Janmashtami 2023: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर मथुरा-वृंदावन के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी हुई है. कान्हा के जन्मोत्सव को लेकर बुधवार से ही जहां श्रद्धालुओं का रेला हर जगह नजर आ रहा है, वहीं बांकेबिहारी सहित सभी प्रमुख मंदिरों में आज रात 12 बजे कान्हा जन्म लेंगे. उनके स्वागत के लिए मथुरा-वृंदावन दुल्हन की तरह सज गया है.
मथुरा-वृंदावन के प्रमुख मंदिरों में 7 सितंबर की मध्यरात्रि 12 बजे कान्हा का जन्म होगा. मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर मुख्य आयोजन शुरू हो गए हैं. वृंदावन के सुप्रसिद्ध बांकेबिहारी मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर सात सितंबर की रात को ठाकुर बांकेबिहारी का महाभिषेक मध्य रात्रि 12 बजे होगा. वहीं मंगला आरती रात 1:55 बजे होगी. इसे लेकर मंदिर प्रबंधन एवं सेवायत गोस्वामियों ने विशेष तैयारी की है.
मंदिर प्रबंधक मुनीश कुमार शर्मा ने बताया कि सात सितंबर को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह 7:45 से श्रद्धालुओं के लिए पट खोल दिए गए हैं. शृंगार आरती 7:55 बजे, राजभोग आरती 11:55 बजे होगी. इसके बाद छींटा देकर गर्भगृह का पर्दा बंद दोपहर 12 बजे हो जाएगा. फिर शाम को 5:30 से रात्रि 9:30 तक मंदिर के पट खुलेंगे. शयन भोग आरती रात 9:25 मिनट पर होगी. इसके बाद पांच मिनट बाद मंदिर के पट बंद हो जाएंगे.
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वहीं महाभिषेक रात 12 बजे होगा. खास बात है कि इस महाभिषेक के दर्शन श्रद्धालुओं को नहीं कराए जाते हैं. इसके बाद रात 1:45 बजे बांकेबिहारी के पट खुलेंगे और साल में एक बार होने वाली मंगला आरती 1:55 पर होगी. मंगला आरती के बाद रात 2 बजे से 5:30 बजे तक बांकेबिहारी के दर्शन होंगे. वहीं आठ सितंबर को सुबह 7:45 से दोपहर 12 बजे तक मंदिर में पट खुलेंगे और नंदोत्सव मनाया जाएगा.
ठाकुंर बांकेबिहारी की वर्ष में एक बार होने वाली मंगला आरती का सभी का इंतजार रहता है. यह मंगला आरती बेहद खास होती है. दरअसल सामान्य तौर पर हर मंदिर में आराध्य के दर्शन की शुरुआत भोर में होने वाली मंगला आरती के साथ होती है. लेकिन, ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में मंगला आरती नहीं होती. यहां दिन में सेवापूजा और दर्शन की शुरुआत श्रृंगार आरती के साथ होती है.
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में मंगला आरती केवल श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की रात ही होती है. इसके पीछे मान्यता है ठाकुरजी नित निधिवन राज मंदिर में राधारानी और ब्रजगोपियों संग आज भी रास रचाते हैं और देर रात वे मंदिर पहुंचकर विश्राम करते हैं. ऐसे में ठाकुरजी सुबह देर से जागते हैं. उनके दर्शन श्रृंगार आरती के साथ ही शुरू होते हैं. लेकिन, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन ठाकुरजी का रात 12 बजे पंचगव्य से महाभिषेक होता है. ऐसे में इस दिन सुबह 1.55 बजे बांकेबिहारीजी को जगमोहन में स्वर्ण-रजत सिंहासन पर विराजमान कराया जाता है और मंगला आरती होती है.
इस मंगला आरती के लिए देश-दुनिया से आने वाले लाखों श्रद्धालु एक दिन पहले से ही यहां पहुंच जाते हैं. बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत आचार्य गोपेश गोस्वामी के मुताबिक ठाकुर बांकेबिहारीजी की सेवा परंपरा रस परंपरा के तहत होती है. साल में सिर्फ एक ही दिन मंगला आरती होने को लेकर वह बताते हैं कि बांकेबिहारी जी रात को शयन आरती के बाद निधिवन राज मंदिर पहुंचते हैं और वहां राधारानी और ब्रजगोपियों संग रास रचाते हैं.
इसके बाद बांकेबिहारी सुबह चार बजे मंदिर पहुंचते हैं तो वे थक जाते हैं. इसलिए उन्हें जल्दी नहीं उठाया जाता. जबकि दूसरे मंदिरों में ठाकुरजी को सूर्योदय से पहले उठाकर मंगला आरती की जाती है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन चूंकि भगवान का जन्मोत्सव है, तो उस दिन रास नहीं रचाते, उनका प्राकट्य दिवस होता है और मंदिर में ही महाभिषेक होता है।. इसलिए साल में एक ही दिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बांकेबिहारीजी की मंगला आरती की जाती है. इसके अलावा आम दिनों में ठाकुरजी की सेवा श्रृंगार आरती के साथ ही शुरू होती है.
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर ठाकुर बांकेबिहारी पीले और केसरिया रंग की पोशाक धारण कर श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे. इसके लिए मंदिर के सेवायत द्वारा आगरा के एक श्रद्धालु के सहयोग से वृंदावन के कारीगरों द्वारा पोशाक तैयार कराई गई है, जिसकी कीमत लगभग डेढ़ लाख रुपए है. इसके साथ ही मंदिर के सेवायत गोस्वामी महाभिषेक के लिए पंचामृत, पोशाक, भोग और निज मंदिर में होने वाली अन्य सेवाओं की तैयारियों में लगे हैं. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन ठाकुर बांकेबिहारी की सेवा करने वाले सेवाधिकारी आनंद गोस्वामी ने बताया कि सात सितंबर को भाद्र पद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी. इस दिन ठाकुरजी पीले और केसरिया रंग की पोशाक धारण करेंगे.
ठाकुरजी के भक्त आगरा के एक चार्टर्ड अकाउंटेंट के सहयोग से वृंदावन के कारीगरों द्वारा विशेष पोशाक तैयार की गई है. जरी के कपड़े की पोशाक पर बेल बूटों का काम किया गया है. बताया जा रहा है कि इस पोशाक को कारीगरों ने करीब 15 दिनों में तैयार किया. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बांकेबिहारी के लिए चांदी का नया स्नान पात्र भी बनवाया गया है, जिसमें ठाकुरजी का महाभिषेक किया जाएगा. इसके साथ ही चांदी का छत्र भी लगाया जाएगा. यह स्नान पात्र एवं छत्र 11 किलो चांदी के बने हैं.
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7 सितंबर की रात्रि में श्रीकृष्ण जन्म महाभिषेक कार्यक्रम श्रीभागवत भवन मंदिर में होगा.
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श्री गणपति एवं नवग्रह स्थापना- पूजन आदि रात्रि 11:00 बजे से.
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सहस्त्रार्चन (कमल पुष्प एवं तुलसीदल से) रात्रि 11:55 बजे तक.
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प्राकट्य दर्शन हेतु पट बंद रात्रि 11:59 बजे.
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प्राकट्य दर्शन-आरती रात्रि 12:00 बजे से 12:05 बजे तक.
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पयोधर महाभिषेक कामधेनु रात्रि 12:05 बजे से 12:20 बजे तक.
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रजत कमल पुष्प में विराजमान ठाकुरजी का जन्म महाभिषेक रात्रि 12:20 बजे से 12:40 बजे तक.
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शृंगार आरती रात्रि 12:40 बजे से 12:50 बजे तक.
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शयन आरती रात्रि 1:25 बजे से 1:30 बजे तक.