Janmashtami 2023: उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी शुरू हो गई है. वृंदावन में भव्य आयोजन के बीच श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बांके बिहारी के दर्शन को देश-विदेश से श्रद्धालुओं के पहुंचने के मद्देनजर विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं. श्रीबांकेबिहारी मंदिर में नंदलाला के जन्म का समय भी निर्धारित कर दिया गया है.
मथुरा में जन्माष्टमी पर आने वाले अधिकांश श्रद्धालु जन्मस्थान के साथ विभिन्न मंदिरों के दर्शन करते हैं. दिन भर भ्रमण के बाद शाम को श्रीकृष्ण जन्मस्थान पहुंचते हैं. ऐसे में शहर भर में छोटे-छोटे लीला मंच बनाए जा रहे हैं, जहां श्रद्धालु खड़े होकर कृष्ण लीलाएं देख सकें. वहीं भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कान्हा के जन्म लेने की तैयारी तेजी से चल रही है.
श्री कृष्ण जन्माष्टमी रोहिणी युक्त मध्य रात्रि में मानी जाती है विशेष
इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग, रोहिणी नक्षत्र तथा वृषभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा. जन्माष्टमी पर 30 साल बाद ग्रह नक्षत्रों का भी विशिष्ट संयोग बन रहा है. पंचांग के अनुसार यह स्थिति श्रीकृष्ण जन्म के लिए शुभ व भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करने वाली मानी गई है. श्री कृष्ण जन्माष्टमी रोहिणी युक्त मध्य रात्रि में विशेष मानी जाती है.
सुप्रसिद्ध श्रीबांकेबिहारी मंदिर समेत अन्य मंदिरों में सात सितंबर को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव मनाया जाएगा. इसे लेकर मंदिरों में होने वाले महाभिषेक और कार्यक्रमों पर मंथन तथा जन्माष्टमी पर लगने वाला विशेष भोग और ठाकुरजी की पोशाक भी तैयार हो रही है.
जन्मोत्सव की तैयारियों में जुटे ब्रजवासी
नंद के लाल और ब्रजवासियों के प्राणप्रिय भगवान श्रीकृष्ण की जन्म की खुशी के साथ तैयारियों का सिलसिला जोरों पर चल रहा है. वृंदावन के मंदिर हों या घर सभी जगह जन्मोत्सव की तैयारियों में सेवायत गोस्वामी एवं ब्रजवासी जुटे हैं. मंदिरों के सेवायत गोस्वामी प्रभु के अभिषेक एवं प्रसाद के लिए दूध, दही, मेवा के ऑर्डर बुक करा रहे हैं.
श्रद्धालुओं को भगवान के जन्म के प्रसाद वितरण के लिए पंजीरी, पाक, मिष्ठान तैयार किए जाने लगे हैं. ठाकुर श्रीबांकेबिहारी मंदिर, इस्कॉन मंदिर, प्रेम मंदिर, राधादामोदर, राधारमण मंदिर सहित अन्य स्थानों में सात सितंबर को जन्माष्टमी के दिन भव्य आयोजन होगा. इसमें मंदिरों में भगवान के श्रीविग्रहों का महाभिषेक एवं विभिन्न धार्मिक आयोजन किए जाएंगे.
दूसरे दिन मनाया जाएगा नंदोत्सव
श्रीबांकेबिहारी मंदिर में सात सितंबर की मध्य रात्रि करीब 12 बजे ठाकुरजी के श्रीविग्रह का महाभिषेक किया जाएगा. महाभिषेक के दौरान मंदिर के पट बंद रहेंगे. यह अभिषेक मंदिर के सेवायत अनिल गोस्वामी विधिविधान पूर्वक कराएंगे. इसके बाद रात्रि करीब दो बजे मंगला आरती होगी. खास बात है कि वर्ष में एक बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर प्रभु बांकेबिहारी की मंगला आरती होती है. इसके दूसरे दिन नंदोत्सव मनाया जाएगा. इसके लिए तैयारियों को तेजी से अंतिम रूप दिया जा रहा है.
राधारमण मंदिर में 21 किलोग्राम दूध से होगा अभिषेक
इसके साथ ही प्राचीन ठाकुर राधारमण मंदिर में सात सितंबर को प्रात: 8 से 12 बजे तक अभिषेक किया जाएगा. मंदिर के सेवायत आचार्य पद्मनाभ गोस्वामी ने बताया कि ठाकुरजी के अभिषेक 21 किलोग्राम दूध, पंचाम़ृत, 54 प्रकार की महा औषधियां से किया जाएगा. इसके बाद ठाकुरजी दोपहर एक से दो बजे, शाम साढे़ पांच बजे से रात्रि दस बजे तक भक्तों को दर्शन देंगे. दूसरे दिन नंदोत्सव मनाया जाएगा. प्राचीन परंपरा के अनुसार जन्माभिषेक से पहले चांदी के कलशों में गोस्वामी यमुना से जल मंदिर लाएंगे.
ठाकुर राधादामोदर मंदिर में सात सितंबर को सुबह होगा महाभिषेक
वहीं प्राचीन सप्त देवालयों में से एक ठाकुर राधा दामोदर मंदिर में सात सितंबर को दिन में ठाकुरजी का जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. सुबह लगभग 11 बजे से 12 बजे तक महाभिषेक, हरिनाम संकीर्तन होगा। शाम पांच बजे फूलबंगला और छप्पन भोग के दर्शन होंगे. मंदिर के सेवायत कृष्णबलराम गोस्वामी महाराज ने बताया कि इसके दूसरे दिन नंदोत्सव मनाया जाएगा. मंदिर परिसर में दधिकांदा लीला होगी, जिसमें बड़ी संख्या में देशी-विदेशी भक्तजन शामिल होंगे.
इस्कॉन मंदिर में सात सितंबर को मनाई जाएगी जन्माष्टमी
श्रीकृष्ण बलराम मंदिर इस्कॉन में भी जन्माष्टमी सात सितंबर को पारंपरिक ढंग से मनाई जाएगी. दिन में ठाकुर श्रीकृष्ण बलराम को विशेष प्रकार का भोग लगाया जाएगा. रात को 10 बजे से 12 बजे तक ठाकुरजी का पंचामृत से महाभिषेक होगा. अगले दिन नंदोत्सव मनाया जाएगा.
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था कान्हा का जन्म
भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है. नंदलाल या लड्डू गोपाल या कहे किशन कन्हैया बहुत से नाम है. लेकिन कृष्ण भक्ति का भाव एक ही है. भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में नटखट गोपाल का जन्म हुआ था.
भगवान विष्णु के अवतार ने पृथ्वी पर श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया था. सदियों से श्रीकृष्ण भगवान का जन्मोत्सव अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं. मंदिर में साफ-सफाई करते हैं और साज-सज्जा करते हैं. लड्डू गोपाल के जन्मोत्सव की खुशी में मेवा-पकवान बनाते हैं और बहुत धूमधाम से श्रीकृष्ण भगवान की पूजा अर्चना करते हैं.