24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

चैत्र माह की पापमोचिनी एकादशी कब है? जानें डेट, शुभ मुहूर्त-पूजा विधि, व्रत नियम, कथा और कष्ट दूर करने का उपाय

ekadashi kab hai: चैत्र एकादशी को यानि कृष्ण एकादशी को अधिकाश शुभ कार्यों के लिए उतम माना जाता है. इस लिए यह शुभ मुहूर्त में माना जाता है. यह हिन्दू पंचांग के संवद का अंतिम एकादशी होता है.

Papmochani Ekadashi 2023: चैत्र माह की पापमोचिनी एकादशी का व्रत 18 मार्च 2023 को है. यह एकादशी संवत 2079 का अंतिम एकादशी का व्रत है. एकादशी का व्रत सभी उपवास-व्रत में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. चैत्र एकादशी को यानि कृष्ण एकादशी को अधिकाश शुभ कार्यों के लिए उतम माना जाता है. इस लिए यह शुभ मुहूर्त में माना जाता है. यह हिन्दू पंचांग के संवद का अंतिम एकादशी होता है. एकादशी का व्रत रखने से मन प्रसन्न रहता है और शरीर की शुद्धि होती है. मन आपके नियंत्रण में रहता है. यह व्रत भगवान विष्णु के लिए किया जाता है. इससे कई गुना शक्ति आपके शारीर में आती है. आपके घर का आय में वृद्धि होती है. परिवार में सभी लोग निरोग रहते है. इसके साथ ही क्षय बीमारी कभी नहीं आती है. इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति मिलता है.

संवत 2079 का अंतिम एकादशी कब है?

पापमोचिनी एकादशी का व्रत चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. एकादशी व्रत में श्रीहरि की पूजा के बाद कथा का जरुर श्रवण करना चाहिए. कहा जाता है कि जो लोग इस व्रत को करते है और अगर वे भूलकर भी कथा नहीं सुनें तो इस व्रत का फल प्राप्त नहीं होता है. इसलिए कथा जरुर सुने. पापमोचिनी एकादशी व्रत के परिणाम स्वरूप व्यक्ति सभी तरह के कष्ट तथा पाप से मुक्त हो जाता है. चैत्र माह की पापमोचिनी एकादशी का व्रत 18 मार्च 2023 दिन शनिवार को है. इस एकादशी का व्रत सभी उपवास-व्रत में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. आइए जानते है कब है इस संवत 2079 का अंतिम एकादशी, पापमोचिनी एकादशी व्रत, पूजा का मुहूर्त और कथा…

पापमोचिनी एकादशी 2023 मुहूर्त

पूजा का मुहूर्त – सुबह 07 बजकर 59 मिनट से सुबह 09 बजकर 30 मिनट तक रहेगा.

पापमोचनी एकादशी 18 मार्च, 2023 शनिवार को मनाई जाएगी. पापमोचिनी एकादशी तिथि के शुभ मुहूर्त की शुरुआत 17 मार्च को रात 2 बजकर 07 मिनट पर शुरू होगी. 18 मार्च को सुबह 11 बजकर 13 मिनट पर इस तिथि समापन होगा. इस लिए इस व्रत को उदयातिथि के अनुसार, पापमोचनी एकादशी का व्रत 18 मार्च को रखा जाएगा. इस व्रत का पारण 19 मार्च को होगा. पारण का समय 19 मार्च 2023 की सुबह 06 बजकर 28 मिनट से 08 बजकर 08 मिनट तक रहेगा.

Also Read: Surya Gochar 2023: सूर्य करेंगे मीन राशि में गोचर, देवगुरु बृहस्पति की कृपा से इन राशियों का चमकेगा भाग्य
पापमोचिनी एकादशी व्रत कथा

पापमोचनी एकादशी व्रत की कथा स्वयं ब्रह्मा जी ने नारद जी को सुनाई थी. कथा के अनुसार प्राचीन समय में चित्ररथ नामक एक बहुत सुंदर वन था. इस वन में देवराज इन्द्र गंधर्व कन्याओं तथा देवताओं सहित विचरण करते थे. एक बार च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी वन में शिव जी की तपस्या कर रहे थे. उस समय वहां से गुजर रही मंजुघोषा नाम की अप्सरा की नजर मेधावी पर पड़ी और वह मेधावी पर मोहित हो गईं. अपने प्रेम के जाल में मेधावी को फंसाने के लिए मंजुघोषा ने कई प्रयास किए. इसमें कामदेव ने भी अप्सरा की मदद की. तपस्या से विभुख होकर काम क्रीड़ा में लीन हो गए ऋषि मेधावी अपने मन पर नियंत्रण नहीं रख पाए और मंजुघोषा की सुंदरता और नृत्य की ओर आकर्षित हो गए.

एकादशी व्रत कथा

वे शिव भक्ति से विमुख हो गए. इस तरह मेधावी मंजुघोषा के साथ रति क्रीड़ा में 57 साल तक लीन रहे. एक दिन मंजुघोषा ने मेधावी से वापस देवलोक जाने की अनुमति मांगी, तब मुनि को आभास हुआ कि वह अप्सरा की वजह से शिव भक्ति से विमुख हो गए थे. उन्होंने उसे इस घोर पाप का कारण माना और श्राप दे दिया. क्रोधित होकर मेधावी ने मंजुघोषा को पिशाचनी होने का श्राप दे दिया. अप्सरा को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह मेधावी से क्षमा याचना करने लगी. उसने मेधावी से इस पाप का पार्यश्चित करने का उपाय पूछा, तब उन्होंने उसे पापमोचनी एकादशी व्रत रखने को कहा. पापमोचनी एकादशी व्रत के प्रताप से मंजुघोषा के सारे पाप मिट गए और वह पिशाचनी देह से मुक्त होकर देवलोक चली गई. वहीं काम क्रीड़ा में लीन रहने के कारण मेधावी भी तेजहीन हो गए थे. तब उन्होंने भी पापमोचनी एकादशी व्रत रखा, जिससे उन्हें भी पापों से मुक्ति हो गई.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा

ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ

मो. 8080426594/9545290847

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें