लखनऊ: कन्नौज लोकसभा (Kannauj Lok Sabha) सीट से जीत हासिल करने के बाद अखिलेश यादव बुधवार को अपना सार्टिफिकेट लेने पहुंचे. उन्होंने आरओ से अपनी जीत का सार्टिफिकेट लिया. इसके बाद अखिलेश यादव कार्यकर्ताओं से मुखातिब होंगे. शाम को चार बजे वो इंडिया गठबंधन की बैठक में शामिल होने दिल्ली जाएंगे. गौरतलब है कि अखिलेश यादव ने कन्नौज लोकसभा सीट बीजेपी के सुब्रत पाठक को हराकर जीती है.
1.70 लाख वोट से जीते अखिलेश यादव
कन्नौज लोकसभा (Kannauj Lok Sabha) सीट पर हुए चुनाव में अखिलेश यादव को कुल 642292 वोट मिले हैं. जबकि सुब्रत पाठक को 471370 वोट मिले. अखिलेश यादव ने 170922 वोट से जीत हासिल की है. मोदी लहर के बावजूद 2014 में यहां अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने जीत हासिल की थी. उन्होंने सुब्रत पाठक को लगभग 20 हजार वोटों से हराया था. 2019 में सुब्रत पाठक ने डिंपल यादव को हराकर कन्नौज में बीजेपी को जीत दिलायी थी.
पहले तेज प्रताप यादव को दिया था टिकट
कन्नौज लोकसभा सीट (Lok Sabha Election Results 2024) से समाजवादी पार्टी की प्रतिष्ठा जुड़ी है. लंबी कशमकश के बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कन्नौज (Kannauj Lok Sabha) से नामांकन कराया था. इससे पहले समाजवादी पार्टी ने कन्नौज से मुलायम सिंह यादव के पोते और अखिलेश यादव के भतीजे तेज प्रताप यादव को प्रत्याशी किया था. लेकिन कन्नौज के कार्यकर्ताओं के दबाव में अखिलेश यादव स्वयं कन्नौज से लोकसभा चुनाव के मैदान में उतर गए थे. अखिलेश यादव वर्तमान में करहल सीट से विधायक भी हैं. वो नेता प्रतिपक्ष भी हैं. उन्होंने 2022 के चुनाव में आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा देकर विधानसभा चुनाव लड़ा था.
उप चुनाव में हासिल की थी जीत
सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष (Akhilesh Yadav MP Kannauj) के राजनीतिक सफर की शुरुआत कन्नौज से सन् 2000 में हुई थी. उन्होंने कन्नौज में लोकसभा का उपचुनाव जीता था. इसके बाद 2009 में उन्होंने फिर कन्नौज से चुनाव लड़ा और सांसद बने. 2012 में यूपी विधानसभा चुनाव के बाद अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बन गए गए और 2017 तक उनका कार्यकाल चला. इसके बाद उन्होंने 2019 में आजमगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ा और बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ को हराया था. 2022 में उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा देकर यूपी विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 2024 के चुनाव में उनके कन्नौज से मैदान में उतरने की चर्चा थी लेकिन तेज प्रताप यादव को प्रत्याशी घोषित करने के बाद इस पर विराम लग गया था. लेकिन अचानक फिर से अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने की संभावनाओं को बल मिला है.