लखनऊ : किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) की बीएसएल-थ्री लैब अब नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआइवी) पुणे की तर्ज पर विकसित होगी. इसके लिए सरकार ने नयी मशीन कोबास लगाने का फैसला किया. यह सरकारी संस्थान में देश की दूसरी मशीन होगी. माइक्रोबायोलॉजी विभाग की बीएसएल-थ्री लैब में कोरोना की जांच की जाती है.अभी यहां पीसीआर की चार मशीनें लगी हैं. इन पर 600 से 800 सैंपल रोज टेस्ट हो रहे हैं. वहीं अब कोबास 6800 मशीनों के लिए धन मंजूर कर दिया गया. 10 करोड़ 86 लाख, 29 हजार, 173 रुपये की मशीन अभी एनआइवी पुणो में ही लगी है. इस मशीन पर 1200 सैंपल की रोज जांच हो सकेगी. दो-तीन सप्ताह में यह मशीन लैब में रन करने लगेगी.
कोरोना पर रिसर्च के लिए पांच लाखकेजीएमयू में शोध समिति का गठन किया गया. इसमें कोरोना पर शोध से संबंधित परियोजनाओं के लिए पांच लाख रुपये तक के अनुदान की मंजूरी दी गयी. इसमें सीडीआरआइ, आइआइटीआर, एनबीआरआइ के साथ मिलकर भी शोध किये जायेंगे.केजीएमयू में तीन वर्ष तक ही कर सकेंगे एसआरशिपकेजीएमयू में सी नियर रेजीडेंट (एसआर) शिप तीन वर्ष की ही होगी. अब किसी का सेवा विस्तार नहीं किया जा सकेगा. इसको लेकर आदेश जारी कर दिये गये हैं.
केजीएमयू में जूनियर डॉक्टरों की भर्ती विवादों से घिरी रहीं. आरक्षण नियमों को दरकिनार के अलावा पेपर लीक प्रकरण भी छाया रहा.रिपोर्ट नहीं आने से सहारनपुर नहीं भेजे जा सके जमातीबलरामपुर अस्पताल में क्वारंटाइन रहे तबलीगी जमात के 14 लोग शनिवार को सहारनपुर नहीं भेजे जा सके. सीएमएस डॉ. आरके गुप्ता ने बताया कि इन सभी को होम क्वारंटाइन के लिए उनके गृह जनपद भेजा जाना था, मगर उनकी दूसरी जांच रिपोर्ट नहीं आने से उनको रवाना नहीं किया जा सका.