Lucknow : राजधानी लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज (KGMU) में इलाज के लिए लोग देश के कोने-कोने से आते हैं. इसी के चलते मरीजों को राहत देने के लिए अस्पताल प्रशासन आय दिन नए तरह की व्यवस्था कर रहा है. अब यहां तीमारदारों को गंभीर मरीजों के साथ एक्स-रे की जांच के लिए इधर-उधर जाना नहीं पड़ेगा. बिस्तर पर ही मरीजों का एक्स-रे किया जा सकेगा. केजीएमयू के रेडियो डायग्नोसिस विभाग में रविवार को पांच पार्टेबलस एक्स-रे मशीने आ गईं हैं. इन मशीनों को अलग-अलग विभागों में उपयोग किया जाएगा.
केजीएमयू में 4500 बेड हैं. ओपीडी में मरीजों को लिखी जांचों के अलावा जनरल सर्जरी, बाल रोग, ह्रदय रोग अस्थि रोग, रेस्पिरेट्री, न्यूरो सर्जरी समेत कई विभागों में भर्ती गंभीर मरीजों को विभिन्न जांचों के लिए मरीजों को पीआरओ ऑफिस, ट्रामा सेंटर और लिंब सेंटर में दौड़ लगानी पड़ती है. रेडियो डायग्नोसिस विभागध्यक्ष डॉक्टर अनित परिहार के अनुसार, संस्थान में पोर्टबेल मशीनों से उन मरीजों का एक्स-रे किया जा सकेगा जो चलने या उइठने में असमर्थ हैं या किसी गंभीर बीमारी की अवस्था में हैं.
इन मशीनों से उनके बिस्तर तक जाकर जांच की जा सकेती है. अभी उन मशीनों को नियमित रूप से रेडियोथेरेपी, पीडियाट्रिक सर्जरी (बाल शल्यक्रिया), श्वसन चिकित्सा, न्यूरोसर्जरी और कॉर्डियोलॉजी विभाग में प्रयोग किया जाएगा. इसके अलावा आवश्यकतानुसार, यह शताब्दी फेज-दो भवन और केजीएमयू के अन्य विभागों में भी भेजा जा सकेता है. केजीएमयू कुलपति डॉक्टर बिपिन पुरी ने कहा कि पोर्टेबल मशीन से अब मरीजों को एक्स-रे के लिए अधिक समय तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा और सुचारू उपचार हो सकेगा.
वहीं, दंत संकाय में रोज 50 से 70 मरीजों के दांतों का एक्स-रे हो रहा है. कई बार एक्स-रे फिल्म का संकट हो जाता है. इससे मरीजों को फिल्म मुहैया कराने में अड़चन आती है. हालांकि, अब मरीजों की दुश्वारियों को कम करने के लिए एक्स-रे के शुल्क में कमी कर दी गई है. पहले एक्स-रे 100 रुपये में हो रहा था, जिसे 50 रुपये कर दिया गया है. रेडियो विजियोग्राफी विधि से होने वाले एक्स-रे के लिए नई दरें लागू की गई हैं.
ओपीडी व अन्य विभागों में एक्स-रे पहले से निर्धारित शुल्क पर ही लिया जाएगा. दंत संकाय के डीन डॉ. आरके पाटिल के मुताबिक अब तक छोटी फिल्म नहीं आ रही थी. लिहाजा बड़ी फिल्म पर ही एक्सरे का प्रिंट निकालना शुरू कर दिया गया है. एक फिल्म पर 15 छोटे एक्स-रे के प्रिंट आ जाते हैं. यह छोटी फिल्म की तुलना में किफायती पड़ रहा है. इसलिए कीमत को कम किया गया है.
लखनऊ नगर निगम ने लोगों को मोहल्ले स्तर पर इलाज मुहैया कराने के लिए अपनी डिस्पेंसरी शुरू करने की तैयारी कर रहा है. मेयर के निर्देश के बाद अधिकारियों ने इसकी कार्ययोजना बनानी शुरू कर दी है. नगर निगम के पास मौजूदा वक्त में अपना कोई अस्पताल नहीं है. नगर निगम की सभी नौ डिस्पेंसरी अरसे से बंद पड़ी है. अब इन्हें दोबारा शुरू करने का प्रस्ताव कार्यकारिणी और सदन में रखा जाएगा. मंजूरी के बाद डिस्पेंसरी को फिर से चालू किया जाएगा.
जानकारी के मुताबिक डिस्पेंसरी में डॉक्टर के अलावा लैब असिस्टेंट भी तैनात करने की प्लानिंग चल रही है. ये लैब असिस्टेंट अल्ट्रासाउंड समेत कई जांचें करेंगे. नगर निगम के अधिकारी इसके लिए स्वस्थ्य विभाग से भी बात कर रहे हैं. अगर स्वास्थ्य विभाग डॉक्टर और स्टाफ की तैनाती के लिए राजी नहीं होगा तो कॉन्ट्रैक्ट पर इनकी नियुक्ति की जाएगी.
वहीं, हजरगंज में लीला सिनेमा के पास स्थित नगर निगम का चौपड़ अस्पताल ढ़ाई साल से बंद है. यहां सीलन से फर्नीचर तक खराब हो गए हैं. अब इस अस्पताल में फिलहाल सीतापुर आई अस्पताल और बाल विकास का महिला चिकित्सालय चल रहा है. वहीं, एक हिस्से में डूडा के कर्मचारी बैठते हैं. मेयर ने इस अस्पताल के बारे में भी रिपोर्ट मांगी है.
वही, गणेशगंज रोड पर बनी नगर निगम की डिस्पेंसरी भी बदहाल हालत में है. आसपास रहने वाले लोगों को भी इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है. साथ ही नाका हिंडोला में नगर निगम का युनानी अस्पताल भी बदहाली के दौर से गुजर रहा है. नगर स्वास्थ्य अधिकारी के कहा कि डिस्पेंसरी फिर से शुरू करने की योजना बनाई जा रही है. स्वास्थ्य विभाग से बातचीत चल रही है. डॉक्टर और स्टाफ मिलने के बाद ही डिस्पेंसरी शुरू की जा सकती है.