किसान महापंचायत: आंदोलन जारी रखने की बनायेंगे रणनीति, राकेश टिकैत ने बुलंद की आवाज
एसकेएम नेताओं ने कहा कि मुजफ्फरनगर में रविवार की सभा किसानों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा जारी रखने के लिए मिशन उत्तर प्रदेश के लिए मंच तैयार करेगी.
नयी दिल्ली : भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने रविवार को कहा कि किसान समूह मुजफ्फरनगर के किसान महापंचायत में तीन विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन जारी रखने की रणनीति पर चर्चा करेंगे. नवंबर में केंद्र द्वारा पेश किये गये संशोधित कृषि कानूनों के विरोध में किसान संघों का एक संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के आह्वान पर आज देश भर के हजारों किसान उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में जीआईसी मैदान में एकत्र हुए हैं.
एसकेएम नेताओं ने कहा कि मुजफ्फरनगर में रविवार की सभा किसानों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा जारी रखने के लिए मिशन उत्तर प्रदेश के लिए मंच तैयार करेगी. उन्होंने कहा कि वे सभा में लगभग एक लाख प्रतिभागियों के शामिल होने की उम्मीद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैं मुजफ्फरनगर जा जरूर रहा हूं, लेकिन अपनी गांव की माटी पर कदम नहीं रखूंगा. जब तक कानून वापसी नहीं, तब तक घर वापसी नहीं.
Also Read: राकेश टिकैत ने हरियाणा में कहा-हमें खालिस्तानी कहा जायेगा, तो हम उन्हें सरकारी तालिबानी कहेंगे
इस महापंचायत को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने किसान महापंचायत में प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में ट्वीट किया है. मेगा सभा को देखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये हैं. आयोजन स्थल और उसके आसपास के विभिन्न जिलों से पुलिस बलों के अलावा प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबल (पीएसी) की छह कंपनियों और रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की दो कंपनियों को तैनात किया गया है.
जिला प्रशासन ने भगदड़ जैसी स्थिति को देखते हुए रालोद प्रमुख जयंत चौधरी के हेलीकॉप्टर से किसानों पर फूल बरसाने का अनुरोध ठुकरा दिया. किसानों के प्रति अपनी एकजुटता व्यक्त करते हुए विभिन्न खाप पंचायतों ने विरोध करने वाले किसानों के लिए सामुदायिक भोज की व्यवस्था की है, जबकि स्थानीय गुरुद्वारों में लंगर का आयोजन किया जा रहा है, जबकि मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने सुबह प्रतिभागियों के बीच मिठाई बांटी है.
Also Read: Kisan Mahapanchayat LIVE: मुजफ्फरनगर पहुंचे राकेश टिकैत, महापंचायत में जुटे देश भर के हजारों किसान
किसान नेता तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. जिसके आ जाने से उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म हो जाने का डर सता रहा है. हालांकि केंद्र सरकार की ओर से कई बार कहा गया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य बराकरार रहेगा. सरकार इसे खत्म नहीं करेगी. किसान नेताओं का आरोप है कि नये कानूनों से कार्पोरेट घरानों को फायदा होगा और किसानों को उनके अनाज का उचित दाम नहीं मिल पायेगा.
किसान नेताओं और सरकार के बीच पिछले 10 महीनों में कई दौर की बातचीत हुई, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया. जिसके कारण बीकेयू ने तीन कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. याचिकाओं पर सुनवाई के बाद, शीर्ष अदालत ने जनवरी में तीन कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी थी और कानूनों पर सिफारिशें करने के लिए चार सदस्यीय पैनल का गठन किया था.
Posted By: Amlesh Nandan.