UP Chunav 2022: मुजफ्फरनगर दंगों और किसान आंदोलन ने बुढ़ाना विधानसभा सीट का तापमान बढ़ाया है. इस सीट पर जाट-मुस्लिम समीकरण सबसे बड़े गेमचेंजर रहते हैं. लंबे समय तक खतौली विधानसभा का हिस्सा रहे इस क्षेत्र से किसान राजनीति की हुंकार उठती है. बुढ़ाना सीट पर राजनीतिक जागरूकता और सक्रियता काफी ज्यादा देखी जाती है. पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह और किसानों के मसीहा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत का बुढ़ाना विधानसभा सीट से खास रिश्ता रहा था.
साल 2012 में खतौली का परिसीमन हुआ. इसके बाद बुढ़ाना विधानसभा सीट का निर्माण हुआ है. बुढ़ाना के विधानसभा सीट बनते ही जाट क्षत्रप यहां पहुंच गए. दूसरी तरफ खतौली गैर जाट सीट बन गई. खास बात यह है कि हर राजनीतिक दल में जाट और मुस्लिम ही बुढ़ाना से टिकट की दावेदारी करते रहे हैं.
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बुढ़ाना सीट उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में आती है. यहां से इस बार के चुनाव में बीजेपी ने उमेश मलिक और बसपा ने हाजी मोहम्मद अनीश को चुनावी मैदान में उतारा है. यहां पर पुरुष मतदाता 20 लाख और महिला मतदाताओं की संख्या 17 लाख के आसपास है. 90 हजार से ज्यादा युवा वोटर्स भी हैं.
2017 में बुढ़ाना में कुल 40.55 प्रतिशत वोट पड़े थे. 2017 में भाजपा के उमेश मलिक ने सपा के प्रमोद त्यागी को 13,201 वोटों के अंतर हराया था. यह सीट मुजफ्फरनगर जिले के अंतर्गत आती है. यहां से बीजेपी के संजीव कुमार बाल्यान सांसद हैं. उन्होंने रालोद के अजित सिंह को लोकसभा चुनाव में हराया था.
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मतदान- 10 फरवरी
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मतगणना- 10 मार्च
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उमेश मलिक – भाजपा – विजेता – 97,781
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प्रमोद त्यागी – सपा – उपविजेता – 84,580
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नवाजिश आलम खान – सपा – विजेता – 68,210
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राजपाल सिंह बालियान – रालोद – उपविजेता – 57,622