UP Chunav 2022: मुजफ्फरनगर दंगे के बाद जाट-मुस्लिम वोट बैंक में बीजेपी की सेंध, इस बार क्या होंगे नतीजे?
मुजफ्फरनगर सदर सीट से बीजेपी ने कपिल देव अग्रवाल को टिकट दिया है. बसपा ने पुष्पाकर पाल को मैदान में उतारा है. जिले में वोटिंग के दौरान जातिगत-धार्मिक समीकरण खूब देखने को मिलते हैं.
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पहले फेज की 58 सीटों में से 53 पर बीजेपी जीती
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दंगे के बाद जाट-मुस्लिम वोटबैंक में बीजेपी की सेंध
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बीजेपी और सपा-रालोद गठबंधन में सीधी टक्कर
UP Chunav 2022: 2013 में उत्तर प्रदेश के इतिहास में सबसे शर्मनाक दिन 27 अगस्त रहा. मुजफ्फरनगर जिले के कवाल गांव में छेड़खानी के मुद्दे ने सांप्रदायिक रंग लिया. आग पूरे जिले में फैल गई. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तनाव कायम हो गया. तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव और आजम खान के निर्देश पर कुछ युवकों को थाने से छोड़ा गया. इसके बाद गन्ने की मिठास के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध मुजफ्फरनगर में दंगे भड़क गए. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जाता है कि दंगों में 60 से ज्यादा लोग मारे गए थे. खौफनाक हालात से निपटने के लिए जिले में सेना की तैनाती की गई थी. इसी मुजफ्फरनगर सीट पर 10 फरवरी को वोटिंग है. वहीं, 10 मार्च को नतीजों का ऐलान किया जाएगा.
पहले फेज की 58 सीटों में 53 पर बीजेपी जीती
2017 में हुए चुनाव में मुजफ्फरनगर का दंगा बड़ा फैक्टर साबित हुआ. मुजफ्फरनगर जिले की सभी छह विधानसभा सीट (मुजफ्फरनगर सदर, पुरकाजी, चरथावल, बुढ़ाना, खटौली, मीरापुर) पर बीजेपी ने जीत हासिल की. संजीव बलियान, हुकुम सिंह, संगीत सोम, सुरेश राणा जैसे फायर ब्रांड नेताओं ने बीजेपी को अभूतपूर्व जीत दिलाने में सफलता हासिल की थी. इस साल जिन 58 सीटों पर पहले फेज का चुनाव होना है, उनमें से 53 सीटों पर 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की थी.
2013 के दंगे के बाद सभी सीट पर बीजेपी जीती
मुजफ्फरनगर सदर सीट से बीजेपी ने कपिल देव अग्रवाल को टिकट दिया है. बसपा ने पुष्पाकर पाल को मैदान में उतारा है. जिले में वोटिंग के दौरान जातिगत-धार्मिक समीकरण खूब देखने को मिलते हैं. 2013 के दंगे से पहले जाट और मुस्लिम वोटबैंक का दबदबा दिखता था. जाट और मुस्लिम वोटबैंक की नजर जिस पर जाती है, वो जीत हासिल करने में सफल हो जाता है. दंगे के बाद 2014 और 2019 में दो लोकसभा और 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जीत हासिल हुई थी. राजनीतिक जानकारों की मानें तो 2013 के दंगे के बाद यहां होने वाले चुनावों में हिंदू-मुस्लिम देखने को मिलता है.
दंगे के बाद जाट-मुस्लिम वोटबैंक में बीजेपी की सेंध
मुजफ्फरनगर में 2013 दंगे से पहले जाट-मुस्लिम गठजोड़ का रालोद को समर्थन मिलता था. दंगे के बाद इस वोटबैंक में बीजेपी ने सेंध मारी. इस बार रालोद के जयंत चौधरी और सपा के अखिलेश यादव ने साथ आने का ऐलान करते हुए गठबंधन कर लिया है. दोनों दल जाट-मुस्लिम वोटबैंक को अपने पाले में लाने की कोशिश में हैं. पिछले तीन चुनावों (दो लोकसभा और एक विधानसभा) बीजेपी को बढ़त मिली है.
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बीजेपी और सपा-रालोद गठबंधन में कांटे की टक्कर
2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कपिल देव अग्रवाल ने सपा के गौरव स्वरूप बंसल को 10 हजार वोटों के अंतर से हराया था. 2012 में सपा के चितरंजन स्वरूप ने बीजेपी के अशोक कुमार कौशल को हराने में सफलता हासिल की थी. लेकिन, 2013 के दंगे के बाद स्थिति बहुत बदलती गई है. किसान आंदोलन को लेकर जाटलैंड में रालोद को माइलेज मिलने के कयास भी लगाए जा रहे हैं.