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लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद जवाब के इंतजार में कई सवाल, घटना के समय पुलिस कहां थी?

लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर सियासी बवाल जारी है. पुलिस की जांच भी जारी है. इस घटना से कई सवाल भी उठे हैं. सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस समय किसानों को रौंदा गया और चार लोगों की बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या की गई, उस समय लखीमपुर पुलिस कहां थी?

Lakhimpur Kheri News: लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर सियासी बवाल जारी है. पुलिस की जांच भी जारी है. इस घटना से कई सवाल भी उठे हैं. सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस समय किसानों को रौंदा गया और चार लोगों की बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या की गई, उस समय लखीमपुर पुलिस कहां थी?

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पुलिस की घटनास्थल पर मौजूदगी ना होने के बाबत पड़ताल करने के बाद कई खास तथ्य सामने आए हैं. पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार उस दिन (रविवार को) प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का हेलीकाप्टर से आगमन होना था. इसके लिए महाराजा अग्रसेन इंटर कॉलेज के ग्राउंड में हेलीपैड बनाया गया था. उप मुख्यमंत्री को इंटर कॉलेज में बने हेलीपैड पर ही उतरना था और उनके आगमन के लिए निघासन चौराहे से लेकर हेलीपैड और कार्यक्रम स्थल तक करीब तीन से साढ़े तीन सौ पुलिसकर्मी लगाए गए थे. इनके अतिरिक्त एक सेक्शन पीएसी फोर्स भी तैनात की गई थी.

खास बात यह है कि तिकुनिया तिराहे से हेलीपैड और कार्यक्रम स्थल तक मार्ग व्यवस्था की जिम्मेदारी गोला सीओ संजय नाथ तिवारी को सौंपी गई थी. उनके अलावा 17 पुलिसकर्मियों के साथ इंस्पेक्टर धौरहरा, 14 पुलिसकर्मियों के साथ इंस्पेक्टर चंदनचौकी और 18 पुलिसकर्मियों के साथ इंस्पेक्टर गौरीफंटा को भी व्यवस्था में लगाया गया था. कार्यक्रम स्थल बनवीरपुर में सीओ धौरहरा त्रयंबक नाथ दुबे और इंस्पेक्टर पलिया को 32 पुलिसकर्मियों के साथ लगाया गया था. इनके अलावा दर्जनों पुलिसकर्मियों के साथ इंस्पेक्टर निघासन, फूलबेहड़, ईसानगर को तैनात किया गया था.

किसने दिया पुलिस को हटाने का आदेश?

उप मुख्यमंत्री के दौरे की सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस द्वारा पूरी तैयारी की जा चुकी थी. शनिवार की रात में पुलिस प्रशासन को सूचना मिली कि उप मुख्यमंत्री अब हवाई मार्ग की जगह सड़क मार्ग से आएंगे. इस खबर के बाद पुलिस फोर्स में कोई आधिकारिक आदेश लिखित रूप से जारी नहीं हुआ. मौखिक रूप से हेलीपैड और टकराव वाले स्थल से पुलिसकर्मियों की ड्यूटी बदल दी गई. रात में अचानक तिकुनिया से महाराजा अग्रसेन इंटर कालेज जाने वाले रास्ते और हेलीपैड से पुलिसकर्मियों की ड्यूटी बदलकर उन्हें कहीं अन्यत्र भेज दिया गया, जिसके फलस्वरूप मौके पर काफी कम पुलिसकर्मी ही रह गए. इसका नतीजा यह हुआ कि भीड़ को थार जीप से रौंदने और उसके बाद हुई हिंसा पर काबू नहीं पाया जा सका.

पुलिस अधिकारी इस सवाल पर अपना पल्ला झाड़ कर यह साबित करने में लगे हैं कि वो घटनास्थल पर मौजूद थे. मार्ग व्यवस्था के प्रभारी एवं क्षेत्राधिकारी संजय नाथ तिवारी का कहना है कि जहां उनकी ड्यूटी लगाई गई थी, वहां वो स्वयं पुलिस फोर्स के साथ मौके पर मौजूद थे. उन्होंने इसकी भी पुष्टि की है कि जब किसानों द्वारा अंकित दास को घेरा गया तो पुलिस ने ही उन्हें बचाया और बाद में उनसे पूछताछ की थी.

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क्यों की गई एलआईयू रिपोर्ट को अनदेखी?

तीसरा बड़ा सवाल यह है कि स्थानीय पुलिस के अधिकारियों ने एलआइयू रिपोर्ट को क्यों गंभीरता से नहीं लिया था? एलआइयू की स्थानीय इकाई को समय से काफी पहले यह इनपुट मिला था कि बनवीरपुर में तीन अक्टूबर को दंगल समापन के दौरान कृषि बिल कानून के विरोध में भारी भीड़ जुट सकती है. एलआईयू के इंस्पेक्टर जगजीतराम ने रिपोर्ट जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन से साझा की थी। रिपोर्ट की प्रति शासन को भी भेजी गई थी. लेकिन ना जाने किस कारण अंत तक इस रिपोर्ट की अनदेखी की जाती रही.

(रिपोर्ट: उत्पल पाठक, लखनऊ)

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