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Lakhimpur Kheri : सीन रीक्रिएशन से पुलिस ने सुलझाई गाड़ियों की ‘गुत्थी’! जांच में अब तक क्या मिला?

क्राइम सीन को रीक्रिएट करके पुलिस ने यह जानने की कोशिश की है कि आखिर उस दिन क्या हुआ था? लखीमपुर के तिकुनिया क्षेत्र में उस दिन सच में क्या कुछ हुआ था?.

By Prabhat Khabar News Desk | October 16, 2021 9:59 AM
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Lakhimpur Kheri Violence: लखीमपुर खीरी हिंसा की गुत्थी को सुलझाने में जुटी पुलिस के हाथों कुछ नये अहम सुराग लगे हैं. क्राइम सीन को रीक्रिएट करके पुलिस ने यह जानने की कोशिश की है कि आखिर उस दिन क्या हुआ था? लखीमपुर के तिकुनिया क्षेत्र में उस दिन सच में क्या कुछ हुआ था?.

दरअसल, बीते तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर तेज रफ्तार में कार चढ़ा दी गई थी. उसके बाद से ही देश और प्रदेश की राजनीति में खलबली मची हुई है. ऐसे में पुलिस पर भी काफी दबाव है कि वह वारदात की जल्द से जल्द जांच करके अपनी रिपोर्ट तैयार करे. इसी क्रम में घटनास्थल पर वारदात के मंजर को रिक्रिएट कर यह जानने की कोशिश की गई कि आखिर उस दिन के घटनाक्रम में सबकुछ किस तरह से अंजाम दिया गया था.

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लखीमपुर हिंसा में शामिल तीन गाड़ियों में सबसे पीछे चलने वाली स्कॉर्पियो लखीमपुर के ठेकेदार की नहीं बल्कि आशीष मिश्रा मोनू के करीबी रिश्तेदार की बताई जा रही है. उस स्कॉर्पियो को आशीष का ड्राइवर चला रहा था. इसके मद्देनजर लखीमपुर खीरी हिंसा में रिमांड पर लिए गए मंत्री पुत्र आशीष मिश्रा और उनके करीबी अंकित दास को घटनास्थल पर ले जाकर पुलिस ने 3 अक्टूबर के पूरे घटनाक्रम को समझने की कोशिश की गई. इस दौरान पुलिस ने आरोपियों के बयान से समझा की घटना के बाद कौन कहां से कैसे भागा था.

3 अक्टूबर को हुई लखीमपुर के तिकुनिया में हिंसा की वारदात को हूबहू समझने के लिए 11 दिन बाद लखीमपुर पुलिस ने क्राइम सीन रीक्रिएट किया. पुलिस ने घटनास्थल पर अंकित दास उनके गनर लतीफ और ड्राइवर शेखर को उतारा और समझने की कोशिश की कि घटना के बाद वह लोग कैसे भागे और कैसे उनकी गाड़ी पलटी. पुलिस ने पूरे घटनाक्रम के दौरान आशीष मिश्रा को घटनास्थल पर जीप में ही बैठे रहने दिया. क्योंकि पुलिस ने जब आशीष मिश्रा से घटनास्थल के बारे में जानकारी ली तो आशीष अपने बयान पर कायम रहा कि वह घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं था.

सबसे पहले पुलिस के पास पहुंचा था अंकित

वारदात को थार जीप से अंजाम दिया गया था. चश्मदीदों के मुताबिक़, थार जीप किसानों को रौंदने के बाद सामने से आ रही बस के चलते निकल नहीं पाई और वह सड़क के किनारे पलट गई. पीछे आ रही फॉर्च्यूनर में अंकित दास सवार थे. उनकी गाड़ी भी आगे जाकर पलट गई लेकिन मौके से स्कॉर्पियो निकल गई. अंकित दास ने पूछताछ में बताया कि गाड़ी पलटने के बाद वह अपने गनर लतीफ के साथ खेतों से भागा था. इस दौरान उसने तीन लोगों को फोन करके मदद भी मांगी थी.

अंकित ने अपने बयान में कहा है कि वारदात के बाद वह सबसे पहले पुलिस के पास पहुंचा था लेकिन जब उसे जानकारी मिली कि तिकुनिया में लोगों ने आक्रोशित होकर शेखर और हरिओम मिश्रा समेत कई लोगों को पीट-पीटकर मार डाला है तो वह वहां से भाग निकला था. अब पुलिस अंकित दास के बयान के आधार पर उन 3 लोगों से भी पूछताछ करेगी जिनको घटना के बाद अंकित ने कॉल किया था.

वहीं, हिंसा में शामिल तीन गाड़ियों में सबसे आगे थार जीप, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा की थी. पीछे चल रही फॉर्च्यूनर अंकित दास की थी जो उनकी फर्म के नाम पर रजिस्टर्ड है. तीसरी गाड़ी स्कॉर्पियो, लखीमपुर के ठेकेदार की बताई गई थी. पुलिस को छानबीन में पता चला कि सबसे पीछे चल रही स्कार्पियो उस ठेकेदार की नहीं बल्कि आशीष मिश्रा मोनू के करीबी रिश्तेदार की थी और जिसको आशीष मिश्रा का ड्राइवर शिवकुमार चला रहा था. अंकित दास के ड्राइवर शेखर और लतीफ से हुई पूछताछ में इस तीसरी गाड़ी की असलियत सामने आई है.

स्कॉर्पियो को लेकर क्यों है संशय?

दरअसल, ठेकेदार की स्कॉर्पियो का नंबर और रंग घटना में प्रयोग स्कॉर्पियो से काफी हद तक मिलता-जुलता है. स्थानीय लोगों को भी लगा कि पीछे चल रही स्कार्पियो अंकित दास के करीबी ठेकेदार की थी. मगर उस ठेकेदार की स्कॉर्पियो का शीशा पीछे से टूटा नहीं था जबकि असली स्कॉर्पियो का शीशा पीछे से टूटा हुआ है. इस तरह घटना में शामिल तीन गाड़ियों में 2 गाड़ियां आशीष मिश्रा मोनू की हैं. यह खुलासा हुआ है. इन दोनों गाड़ियों को आशीष के ड्राइवर ही चला रहे थे.

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बयान पर कायम रहा आशीष

तकरीबन 72 घंटे की पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिया गया आशीष मिश्रा पूरे वक्त अपने के बयान पर कायम रहा. वह यही कहता रहा कि घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं था. इसीलिये उसने वारदात के सम्बंध में कोई भी जानकारी होने से साफ इंकार कर दिया. अंतत: पुलिस ने भी रिमांड खत्म होने के 17 घंटे पहले ही उसे लखीमपुर जेल में दाखिल कर दिया.

(रिपोर्ट: नीरज तिवारी, लखनऊ)

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