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लखनऊ: आउटर रिंग रोड के किनारे प्लॉट खरीदने पर गंवा बैठेंगे जीवन भर की जमा पूंजी, जानें क्या कहता है नियम

लोगों के लिए जरूरी है कि वह प्लॉट, फ्लैट, दुकान या रो-हाउस खरीदने से पहले प्रोजेक्ट की प्रामाणिकता सत्यापित करें. विक्रेता से विकास प्राधिकरण द्वारा पारित लेआउट और अनुमोदित मानचित्र मांगने में संकोच नहीं करें, तभी भी वह गलत जमीन खरीदने से बच सकेंगे.

Lucknow: राजधानी लखनऊ में अपना आशियाना बनाने की चाहत में गलत तरीके से प्लाटिंग करने वालों से जमीन खरीदना लोगों को महंगा पड़ने वाला है. लखनऊ विकास प्राधिकरण (Lucknow Development Authority) अब ऐसे निर्माणकर्ताओं के खिलाफ कड़ा एक्शन लेने की तैयारी में है.

इस बार लखनऊ विकास प्राधिकरण ने आउटर रिंग रोड (Outer Ring Road) के किनारे किसान पथ के करीब ऐसा निर्माण करने वालों न सिर्फ नोटिस जारी किया है, जिससे उनके अवैध निर्माण ध्वस्त किए जाएं. बल्कि भविष्य में इस तरह के प्रोजेक्ट में लोगों की जीवन भर की जमा पूंजी नहीं डूबे, इसके लिए लेसा (Lucknow Electricity Supply Administration) को भी पत्र लिखा जा रहा है. इसके बाद यहां बिजली कनेक्शन भी नहीं लिया जा सकेगा.

झूठे वादे करके बेची जा रही जमीन

दरअसल उत्तर प्रदेश की राजधानी होने के कारण लखनऊ में मकाना बनाना हर किसी की चाहत होती है. ऐसे लोगों पर फोकस करते हुए किसान पथ को कवर करने वाली आउटर रिंग रोड के किनारे आकर्षक दरों पर भूखंडों की पेशकश लंबे समय से की जा रही है. इसके लिए भ्रामक विज्ञापनों का भी सहारा लिया जा रहा है, लोगों से कई तरह के झूठे वादे किए जा रहे हैं.

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आउटर रिंग रोड पर 90 मीटर के दायरे में कोई भी निर्माण अवैध

एनएचएआई दिशा निर्देशों के मुताबिक आउटर रिंग रोड और सभी राष्ट्रीय राजमार्गों के दोनों किनारों के 90 मीटर के भीतर कृषि भूमि की बिक्री नहीं की जा सकती है. ऐसा भविष्य में सड़क विस्तार के लिए जगह की आवश्यकता के मद्देनजर किया जाता है.

इसके बावजूद राजधानी लखनऊ में अवैध रूप से प्लाटिंग करते हुए यहां जमीन बेचने का सिलसिला जारी है. इसकी लगातार शिकायत मिलने पर मंडलायुक्त ने मामले में कदम उठाने को कहा. इसके बाद लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारी हरकत में आए और सभी सात जोनल अधिकारियों की ओर से नोटिस जारी किए गए हैं.

70 अवैध प्लाटिंग क्षेत्रों की पहचान

बताया जा रहा है कि लखनऊ विकास प्राधिकरण ने आउटर रिंग रोड के किनारे 70 अवैध प्लॉटिंग क्षेत्रों की पहचान की है. एलडीए उपाध्यक्ष इंद्र मणि त्रिपाठी ने कहा कि इन सभी को नोटिस जारी किए गए हैं और जल्द ही सभी अवैध निर्माण ध्वस्त कर दिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि इस संबंध में प्राधिकरण की ओर से एनएचएआई को एक पत्र भी लिखा है.

जिला प्रशासन पहले कर चुका है आगाह

खास बात है कि इससे पहले भी अवैध तरीके से प्लॉट बेचने वालों को चेतावनी जारी की जा चुकी है. लेकिन, ज्यादा मुनाफा कमाने की कोशिश में किसानों से सस्ते में जमीन खरीदने के बाद इसे महंगे दामों में बेचा जाता है. इसके लिए लोगों को किस्तों में धनराशि देने की भी छूट दी जाती है. जिलाधिकारी सूर्य पाल गंगवार ने इस साल मार्च में घर खरीदारों को आउटर रिंग रोड के किनारे प्लॉट खरीदने के प्रति आगाह किया था. हालांकि इसके बाद भी कई लोग सचेत नहीं हुए और अभी भी वह धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं.

इन तथ्यों की जरूर करें जांच

जिलाधिकरी के मुताबिक लोगों के लिए जरूरी है कि वह प्लॉट, फ्लैट, दुकान या रो-हाउस खरीदने से पहले प्रोजेक्ट की प्रामाणिकता सत्यापित करें. विक्रेता से विकास प्राधिकरण द्वारा पारित लेआउट और अनुमोदित मानचित्र मांगने में संकोच नहीं करें, तभी भी वह गलत जमीन खरीदने से बच सकेंगे. जिलाधिकारी ने इसके अलावा लोगों से यूपी रेरा में भी संबंधित प्रोजेक्ट के रजिस्ट्रेशन की जांच करने को कहा.

सभी अवैध निर्माण किए जाएंगे ध्वस्त

एलडीए के जोनल अधिकारी देवांश त्रिवेदी ने भी बताया कि विकास प्राधिकरण ने रिंग रोड के दोनों किनारों पर अवैध निर्माणों को सील करने और ध्वस्त करने के नोटिस जारी किए हैं. किसान पथ के किनारे सभी अवैध निर्माण ध्वस्त किए जाएंगे.

त्रिवेदी ने बताया कि रिंग रोड के विस्तार की योजना के दौरान भविष्य में इस भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए इस तरह की जमीन के खरीद और बिक्री पर रोक है.उन्होंने बताया कि हालांकि किसानों के खेती पर कोई रोक नहीं है. किसान अपनी झोपड़ी बना सकते हैं. लेकिन, किसान पथ के दोनों किनारों के 90 मीटर के भीतर जमीन पर कोई स्थायी निर्माण नहीं हो सकता है.

बिल्डर्स आउटर रिंग रोड को इसलिए देते हैं प्राथमिकता

दरअसल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 104 किलोमीटर लंबी आउटर रिंग रोड 5500 करोड़ की लागत से बन रही है. लखनऊ में प्रवेश और प्रस्थान करते समय यह छह राज्य राजमार्गों और पांच राष्ट्रीय राजमार्गों को पार करेगी. इसके जरिए राज्य की राजधानी में वाहन एक छोर से दूसरे छोर तक सुविधाजनक तरीके से आ-जा सकेंगे.

आउटर रिंग रोड का निर्माण कार्य 2016 में शुरू हुआ था और 2021 में पूरा होने की उम्मीद थी. लेकिन कोरोना संक्रमण और अन्य कारणों से इस परियोजना में देरी हुई. अब इसके मार्च 2024 में पूरा होने की उम्मीद है.

लखनऊ का दायरा बढ़ने के साथ महानगर में खुली जगहों की मांग भी बढ़ी है. ऐसी जगहों में लोग घर बनाना ज्यादा पसंद करते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक पिछले दो से तीन वर्षों में, फैजाबाद रोड, शहीद पथ और किसान पथ सहित बाहरी रिंग रोड के किनारे आवासीय भूखंडों की मांग लगभग 40 प्रतिशत बढ़ गई है.

चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से कनेक्टिविटी के कारण आउटर रिंग रोड के आसपास की जमीन की काफी मांग है. आउटर रिंग रोड सुलतानपुर रोड को फैजाबाद रोड, फैजाबाद रोड को सीतापुर रोड और सीतापुर रोड को कानपुर रोड और कानपुर रोड को सुल्तानपुर रोड से आपस में जोड़ती है.

अवैध निर्माण को लेकर जानकारी

एलडीए अधिकारियों का कहना है कि लखनऊ में लगभग 121 आवासीय सोसायटी, 50 रो हाउसिंग सोसायटी और 1,600 अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स अवैध हैं. प्लॉट, फ्लैट और मकान बेचने वाली ऐसी सोसायटियों की सूची विकास प्राधिकरण की वेबसाइट पर उपलब्ध है. प्राधिकरण ने सर्वे कराकर इनकी पहचान कर ली है. इनमें से 21 अवैध ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों को पहले ही ध्वस्त किया जा चुका है.

अब नहीं मिल सकेगा बिजली कनेक्शन

अब लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) को पत्र भेजने की तैयारी में है. इसमें लेसा को अवैध रूप से पहचाने गए भवनों, वाणिज्यिक परिसरों और दुकानों को बिजली कनेक्शन जारी नहीं करने के लिए कहा जाएगा. इसके लिए सभी जोनल अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र में चिह्नित अवैध निर्माणों की सूची तैयार कर रहे हैं. यह सूची लेसा को भेजकर उन्हें बिजली आपूर्ति कनेक्शन जारी नहीं करने को कहा जाएगा. लखनऊ विकास प्राधिकरण के इस कदम से अवैध रूप से प्लाटिंग करने वालों का आने वाले दिनों में झटका लग सकता है.

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