Lucknow : यूपी में पिछले दो वर्षों में शराब पीने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है. प्रदेश में हर रोज करोड़ों में नहीं बल्कि अरबों में शराब की बिक्री हो रही है. आपको भी जानकर हैरानी होगी कि यूपी के शौकिन ने करीब 160 करोड़ रुपये की ज्यादा का शराब और बियर गटक गए हैं.
आबकारी महकमे के सांख्यिकी विभाग के विश्लेषण में यह आंकड़े सामने आए कि पिछले साल अप्रैल में कुल 3153.32 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था, जबकि इस बार अप्रैल में 3313.13 करोड़ रुपये की राजस्व आय प्राप्त हुई है. इस तरह से पिछले साल के अप्रैल के मुकाबले इस बार के अप्रैल में 159.71 करोड़ रुपये की ज्यादा राजस्व आय हुई है.
जानकारी के मुताबिक इस बार देसी के मुकाबले अंग्रेजी शराब की खपत कम रही. देसी शराब की कुल खपत 6.59 करोड़ लीटर की रही जबकि पिछले साल अप्रैल के महीने में 5.88 करोड़ लीटर देसी शराब प्रदेश में खपी थी. अगर अंग्रेजी शराब की बात करें अप्रैल के महीने में 1.66 करोड़ लीटर अंग्रेजी शराब की बिकी थी जबकि पिछले साल के अप्रैल में 1.64 करोड़ लीटर अंग्रेजी शराब की खपत हुई थी.
वहीं बीयर के शौकीन इस बार अप्रैल के महीने में आगे रहे. इस बार 4.43 करोड़ लीटर बीयर की खपत हुई जबकि पिछली अप्रैल में 3.82 करोड़ लीटर बीयर की खपत हुई थी. आपको बता दें कि प्रदेश सरकार की राजस्व आय के सबसे बड़े स्रोत आबकारी से चालू वित्तीय वर्ष में 58 हजार करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तर प्रदेश के लोग हर रोज 115 करोड़ रुपये की शराब और बीयर गटक जा रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि पूरे राज्य में शायद ही कोई ऐसा जिला है, जहां शराब और बीयर की हर रोज बिक्री ढाई-तीन करोड़ रुपये से कम की है. पिछले कुछ सालों के दौरान राज्य में शराब की खपत तेजी से बढ़ी है. सिर्फ 2 साल पहले राज्य में शराब की औसत खपत हर रोज करीब 85 करोड़ रुपये की थी.
आबकारी विभाग के एक अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि राज्य में कई ऐसे जिले हैं, जहां शराब की डेली खपत 12-15 करोड़ रुपये है. सबसे ज्यादा शराब की खपत करने वाले जिलों को देखें तो नोएडा और गाजियाबाद सबसे ऊपर है. इन दो जिलों में हर रोज 13 से 14 करोड़ रुपये की शराब व बीयर की खपत हो रही है.
प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रोजाना 10-12 करोड़ रुपये की शराब की खपत है. वहीं पर्यटकों से गुलजार रहने वाला ताज नगरी आगरा भी बहुत पीछे नहीं है, जहां औसत रोजाना खपत 12-13 करोड़ रुपये की है. इसी तरह मेरठ और कानपुर भी दहाई अंकों का आंकड़ा रखते हैं. मेरठ के लोग हर रोज करीब 10 करोड़ रुपये की शराब पी रहे हैं, तो वहीं कानपुर में हर रोज 8 से 10 करोड़ रुपये की शराब की खपत हो रही है. वाराणसी भी 6-8 करोड़ रुपये की शराब की रोज खपत कर रहा है.
आबकारी अधिकारी का दावा है कि पिछले 2-3 साल के दौरान राज्य के लगभग सभी जिले में शराब और बीयर की खपत बढ़ी है. मजेदार है कि शराब की खपत के कुल आंकड़े में 45 से 50 फीसदी योगदान देसी पीने वाले दे रहे हैं. अधिकारी का कहना है कि कई कारण हैं, जो शराब की खपत को बढ़ा रहे हैं. लोगां की कमाई बढ़ रही है और उनके जीने के स्तर में सुधार हो रहा है. धीरे-धीरे शराब की सामाजिक स्वीकार्यता बढ़ रही है और आबकारी विभाग की सख्ती से तस्करी पर अंकुश है.