वाराणसी : लॉकडाउन को देखते यूपी बोर्ड ने भी 20 अप्रैल से ऑनलाइन पठन-पाठन शुरू करने का निर्णय लिया है. वहीं, हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की कॉपियों का मूल्यांकन 25 अप्रैल से शुरू कराया जा सकता है. कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए मूल्यांकन दो शिफ्टों में कराने का प्रस्ताव है. साथ ही अब दस दिनों के स्थान पर 15 दिनों तक मूल्यांकन चलाने की योजना है.
ऑनलाइन पठन-पाठन और मूल्यांकन शुरू कराने के संबंध में उपमुख्यमंत्री सह शिक्षा मंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने शिक्षाधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग करने के बाद यह निर्णय लिया है. इस दौरान उन्होंने सत्र नियमित बनाये रखने के संबंध में बोर्ड के अधिकारियों से सुझाव भी मांगा. साथ ही उन्होंने कहा कि 20 अप्रैल के बाद कोरोना महामारी को लेकर एक बार फिर समीक्षा होनी है. इस दौरान यदि कोरोना संक्रमण का कोई नया केस सामने नहीं आता है, तो संबंधित जनपदों में कॉपियों का मूल्यांकन कराया जा सकता है. सामाजिक दूरी सहित अन्य मानकों का ध्यान रखते हुए मूल्यांकन 25 से शुरू करने का उन्होंने संकेत भी दिया. बैठक में जेडी अजय कुमार द्विवेदी, डीआइओएस डॉ वीपी सिंह सहित अन्य लोग शामिल थे.
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हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की कापियों के मूल्यांकन के लिए जनपद में चार केंद्र बनाये गये हैं. इन केंद्रों पर 6,11,377 कॉपियां रखीं हुई हैं. बोर्ड के निर्देश पर कॉपियों का मूल्यांकन 16 मार्च से शुरू हुआ था. कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए 18 मार्च से मूल्यांकन कार्य स्थगित कर दिया गया है.
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दूसरी ओर माध्यमिक शिक्षक संघ ने वर्चुअल क्लास का विरोध किया है. संघ के प्रदेश अध्यक्ष व एमएलसी चेतनारायण सिंह ने ऑनलाइन क्लास को अव्यावहारिक बताया है. कहा कि माध्यमिक विद्यालयों में गरीब, किसान, मजदूर के बच्चे पढ़ते हैं. उनके पास स्मार्टफोन और नेट की सुविधा नहीं है. उन्होंने उपमुख्यमंत्री से ऑनलाइन कक्षा संचालन का आदेश वापस लेने का अनुरोध किया है. साथ ही नया सत्र जुलाई से शुरू करने की मांग की है. उधर, पूर्व शिक्षक विधायक डॉ प्रमोद कुमार मिश्र ने भी वर्चुअल क्लास का विरोध किया है. कहा कि अधिकतर छात्रों के पास मोबाइल, टैबलेट, कंप्यूटर के साथ इंटरनेट की सुविधा नहीं है. ऐसे में आधी-अधूरी और उचित तैयारी-प्रशिक्षण के बिना ऑनलाइन पढ़ाई का फैसला अनुचित है. यह व्यवस्था भेदभावपूर्ण, अव्यावहारिक और एक आदर्श परिकल्पना मात्र है.