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Lockdown in UP: बीजेपी नेता के पिता की कोराना से मौत, पंडितों का अंतिम संस्कार कराने से इनकार

मेरठ / मथुरा : भाजपा के एक स्थानीय नेता के कोरोना वायरस संक्रमण से मरे पिता का अंतिम संस्कार कराने से शुक्रवार को श्मशाम में मौजूद सभी पंडितों ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उनके पास व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण के नाम पर मास्क तक नहीं है तथा वह अपनी जान जोखिम में नहीं डालना चाहते.

मेरठ / मथुरा : भाजपा के एक स्थानीय नेता के कोरोना वायरस संक्रमण से मरे पिता का अंतिम संस्कार कराने से शुक्रवार को श्मशाम में मौजूद सभी पंडितों ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उनके पास व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण के नाम पर मास्क तक नहीं है तथा वह अपनी जान जोखिम में नहीं डालना चाहते.

पुलिस ने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण से मरे अपने पिता के शव को प्रोटोकॉल के अनुसार पूरी तरह सील करके सूरजकुंड शमशान पहुंचे स्थानीय बीजेपी नेता को वहां के पंड़ितों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा. श्मशान में वाद-विवाद की सूचना मिलने के बाद वहां पहुंची पुलिस की टीम ने जब पंड़ितों से बात की, तो उन्होंने बताया कि उनके पास सेनेटाइजर, मास्क और दस्ताने भी नहीं हैं. ऐसे में कोविड-19 से मरे व्यक्ति का अंतिम संस्कार करा कर वे स्वयं को खतरे में नहीं डालना चाहते हैं.

पंडितों की बात सुनने के बाद परिजनों ने खुद ही मृतक का अंतिम संस्कार संपन्न किया. पुलिस के समझाने पर पंड़ित पंडित रवि शर्मा और निशांत शर्मा ने उचित दूरी बनाए रखते हुए इस दौरान मंत्रोचारण कर अंतिम संस्कार संपन्न करवाने में सहायता दी.

विसर्जन के लिए हरिद्वार के बजाय अन्यत्र अस्थियां भेजे जाने का विरोध

इधर मथुरा में अखिल भारतीय तीर्थ-पुरोहित महासभा ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखकर, पूर्वजों का कर्मकांड, पिंडदान, अस्थि प्रवाह आदि मृत्योपरांत संपन्न की जानेवाली धार्मिक विधियों के लिए हरिद्वार आनेवाले हिंदू धर्मावलंबियों को वहां कर्मकांड संपन्न ना करने देकर उन्हें कथित रूप से शुक्रताल और गढ़ मुक्तेश्वर आदि भेजे जाने पर गहरा रोष व्यक्त किया है.

महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पाठक ने बताया, ”जब सरकार ने मुर्दनी तक में 20 लोगों के शामिल होने की सीमा तय की तो लोगों ने उसका भी पालन किया. लेकिन, जब केवल एक या दो लोग अपने स्वजनों की अस्थियां लेकर गंगा में प्रवाहित करने के लिए हरिद्वार पहुंचे, तो उन्हें घाट पर जाने से रोक दिया गया. महासभा ने आपत्ति की तो उस दिन वहां जाने दिया, लेकिन फिर पुलिस ने जिले की सीमा पर से ही लोगों को लौटाना शुरू कर दिया.”

उन्होंने बताया, ”मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट करते हुए अस्थि प्रवाह करनेवाले आगंतुकों की संख्या निश्चित कर, स्वास्थ्य परीक्षण कर, उत्तराखंड के प्रवेश द्वारों से हरिद्वार आने देने की छूट आदि की मांग की गयी है. इससे हरिद्वार तीर्थ की मर्यादा भी बनी रहेगी और तीर्थयात्रियों की भावनाओं को भी ठेस नहीं पहुंचेगी.”

यह पत्र महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीकांत पाठक ने लिखा है. राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताया ”इस पत्र में कहा गया है कि वर्षों से तीर्थयात्री अपने पूर्वजों के धार्मिक कर्मकांड के लिए हरिद्वार आते रहे हैं. लॉकडाउन के दौर में इनकी संख्या में भी कमी आयी है. रास्ते सील हैं. फिर भी कई लोग पास लेकर ही वहां पहुंचते हैं. परंतु, जिला प्रशासन द्वारा उन्हें ऐसा करने से गलत तरीके से रोका जा रहा है. यह ठीक नहीं है.”

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