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लोकसभा चुनाव से पहले अल्पसंख्यक-दलित और पिछड़ों तक पहुंच बनाने में जुटी कांग्रेस, पार्टी ने तैयार किया प्लान

कांग्रेस ने इस साल मई में, 3,000 मुस्लिम बहुल गांवों में 10 दिवसीय विशेष अभियान 'आप की पार्टी आप के गांव ' आयोजित किए. इनमें बैठकें आयोजित की गईं और हर गांव में 10 घरों पर पार्टी के झंडे लगाए गए.

लखनऊ ( एजेंसी ) . कांग्रेस पार्टी अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जातियों (दलितों) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को अपने पाले में लाने के लिए लगातार काम कर रही है. कांग्रेस नेताओं ने बताया कि इसके लिए पार्टी दलित-मुस्लिम सम्मेलनों समेत कई आयोजन कर अपने परंपरागत मतदाताओं को फिर से जोड़ने के लिए अभियान चला रही है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस सिमट कर हाशिए पर पहुंच गई है. पिछले साल उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीट पर हुए चुनाव में यह पार्टी सिर्फ दो सीट जीत सकी थी, जबकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 255 और राज्‍य के मुख्‍य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) को 111 सीट मिली थीं.

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भाजपा को सत्‍ता से बेदखल करने का दावा

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष पीएल पुनिया ने दावा किया कि पार्टी के चल रहे अभियानों के दौरान यह पता चला कि अल्पसंख्यकों और पिछड़ों के एक बड़े वर्ग को लगता है कि वर्तमान (भाजपा) सरकार को जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा को सत्‍ता से बेदखल केवल कांग्रेस पार्टी के जरिये ही किया जा सकता है, क्योंकि इसका पूरे देश में जनाधार है. उत्तर प्रदेश कांग्रेस में अल्पसंख्यक विभाग के प्रभारी शाहनवाज आलम ने ‘ न्यूज एजेंसी’ से कहा, ”अल्पसंख्यकों और दलितों के बीच काम करने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं और इसके लिए नियमित रूप से कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं.”

3,000 चाय की दुकानों तक पहुंचे कांग्रेसी

शाहनवाज ने कहा, ‘‘इस साल मई में, 3,000 मुस्लिम बहुल गांवों में 10 दिवसीय विशेष अभियान ‘आप की पार्टी आप के गांव’ आयोजित किया गया था, जहां बैठकें आयोजित की गई और हर गांव में 10 घरों पर पार्टी के झंडे लगाए गए.’’ उन्होंने दावा किया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यकों ने ”पहले ही कांग्रेस के पक्ष में अपना मन बना लिया है.” आलम ने कहा कि ”हम ‘संविधान पर चर्चा’ कार्यक्रम के जरिये चाय की दुकानों पर बैठकें आयोजित करके दलित समुदाय के सदस्यों तक भी पहुंचे. हम 3,000 चाय की दुकानों तक पहुंचे और दलितों को बताया कि मुसलमान अपने मूल घर (कांग्रेस) में लौट रहे हैं और चूंकि ‘आप’ भी इस सरकार (भाजपा सरकार) से परेशान हैं, तो आपको भी ऐसा ही करना चाहिए.”उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम राज्य के विभिन्न हिस्सों में चल रहे हैं.

पार्टी मंडल स्तरीय कार्यक्रम भी आयोजित कर रही

शाहनवाज ने कहा कि एक से आठ अगस्त तक भी अभियान चलाया जाएगा, जबकि इसके पहले 14 अप्रैल को रमजान के मौके पर सभी जिलों में ”दलित-मुस्लिम एकता इफ्तार” का आयोजन किया गया. उन्होंने कहा, ”हर महीने हम अपने कार्यक्रमों के बारे में सीधे कांग्रेस की उप्र प्रभारी प्रियंका गांधी वाद्रा को रिपोर्ट प्रेषित कर रहे हैं और उनसे फीडबैक और निर्देश भी प्राप्त कर रहे हैं.” उन्होंने कहा कि इसी तरह के प्रयास पार्टी के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ द्वारा भी किए जा रहे हैं. पार्टी मंडल स्तरीय कार्यक्रम भी आयोजित कर रही है.

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ग्राम सभाओं में ‘ संविधान रक्षकों ‘ की नियुक्ति कर रही कांग्रेस

राज्य कांग्रेस के अनुसूचित जाति-जनजाति विभाग के प्रभारी आलोक प्रसाद ने कहा, ‘‘ग्राम सभाओं में ‘संविधान रक्षकों’ की नियुक्ति की जा रही है ताकि यह उजागर किया जा सके कि सरकार संविधान के माध्यम से उन्हें दिए गए आरक्षण जैसे विशेष अधिकारों को कैसे खत्म कर रही है.’’ उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार में दलितों का सबसे ज्यादा उत्पीड़न हो रहा है क्योंकि कोई उनकी आवाज नहीं उठा रहा है. प्रसाद ने दावा किया कि जब भी दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामले सामने आए हैं, कांग्रेस उन्हें न्याय दिलाने के मामले में सबसे आगे रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि बसपा (बहुजन समाज पार्टी) प्रमुख मायावती जैसे दलित नेता चुप हैं. उन्होंने कहा कि विभिन्न जिलों में दलितों और पिछड़े वर्गों के ‘महासम्मेलन’ और अल्पसंख्यक-दलित सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं.

अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों के सदस्यों के साथ सीधा संवाद

कांग्रेस प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने कहा कि पार्टी अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों के सदस्यों के साथ सीधा संवाद कर रही है. अवस्थी ने कहा, ”इस बार रुझान में स्पष्ट बदलाव दिख रहा है और आम तौर पर लोग कांग्रेस की ओर झुकाव दिखा रहे हैं क्योंकि अन्य सभी पार्टियां, जिन्होंने अब तक उनका प्रतिनिधित्व करने का दावा किया था, काम करने में विफल रही हैं और लोगों को अब इसका एहसास हो गया है.” पीएल पुनिया ने दावा किया कि ”कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक यह समझ गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने कुछ पसंदीदा लोगों को फायदा पहुंचा रहे हैं. सिर्फ मुस्लिम ही नहीं, ओबीसी और दलित भी महसूस करते हैं कि अब भाजपा को जाना चाहिए और ”कांग्रेस को समर्थन देने की जरूरत है.”

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