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Lucknow News: 2001 में गैंगवॉर से दहला था पूर्वांचल, अब तक जारी है ब्रजेश सिंह और मुख्तार अंसारी के बीच टशन…

Lucknow News: उमर अंसारी के हाईकोर्ट परिसर में मुकदमे की पैरवी में जाने, उनकी गिरफ्तारी और रिहाई के बाद शुरू चर्चाओं के बीच उस मामले के बारे में किसी का ध्यान नहीं गया जिसकी वजह से यह केस चल रहा है. अंसारी परिवार के करीबियों का मानना है कि प्रशासनिक दबाव में उमर को पैरवी करने से रोका गया था.

Mukhtar Ansari News: उमर अंसारी के हाईकोर्ट परिसर में मुकदमे की पैरवी में जाने, उनकी गिरफ्तारी और रिहाई के बाद शुरू चर्चाओं के बीच उस मामले के बारे में किसी का ध्यान नहीं गया जिसकी वजह से यह केस चल रहा है. अंसारी परिवार के करीबियों का मानना है कि प्रशासनिक दबाव में उमर को पैरवी करने से रोका गया था.

दरअसल, साल 2001 में हुए एक घटनाक्रम के बाद दर्ज मामले में बीजेपी एमएलसी और माफिया बृजेश सिंह एवं त्रिभुवन सिंह समेत कुल पांच लोग नामजद हैं. इनके अलावा 15-20 अज्ञात भी मुख्तार अंसारी द्वारा नामजद करवाए गए हैं. यह कांड उत्तर प्रदेश के संगठित अपराध की फेहरिस्त में अब तक हुए बड़े वारदात में दर्ज है. इस कांड को उसरी चट्टी कांड के नाम से जाना जाता है.

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क्या हुआ था उसरी चट्टी कांड में?

जुलाई 2001 में मुहम्मदाबाद कोतवाली क्षेत्र के यूसुफपुर कासिमाबाद मार्ग पर उसरी चट्टी के पास मऊ विधायक मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमला हुआ था. दिनदहाड़े मऊ विधायक मुख्तार अंसारी के काफिले पर ट्रक से बदमाशों ने अंधाधुंध गोलियां चला दी थी. जिसमें विधायक के निजी अंगरक्षक तथा हमलावर पक्ष से एक शूटर की मौके पर ही मौत हो गई थी. एक ने बाद में दम तोड़ दिया था, 9 अन्य लोग घायल भी हुए थे. इसी मामले में विधायक मुख़्तार अंसारी की ओर से बृजेश और त्रिभुवन सिंह के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया था. इसमें बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय का नाम भी सामने आया था.

लोहे की शीट से ढका ट्रक और फायरिंग

15 जुलाई 2001 को मऊ विधायक मुख्तार अंसारी जब अपने काफिले के साथ जा रहे थे, तभी उसरी चट्टी पर एक रास्ते में अचानक से ट्रक खड़ा करके उन पर गोलियां चलानी शुरू की गई. बताया जाता है ट्रक की चादर को विशेष रूप से बनवाया गया था ताकि उसका कवर लिया जा सके. ट्रक पर आए बदमाशों की अंधाधुंध गोलीबारी में मऊ विधायक मुख्तार अंसारी के अंगरक्षक की मौके पर ही गोली लगने से मौत हो गई थी. वहीं, हमलावर पक्ष से मनोज राय नामक एक शूटर भी मारा गया था. इसी मामले में भाजपा एमएलसी बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह समेत अन्य कई लोग आरोपी हैं. लंबे समय तक यह मामला विचाराधीन रहा.

2019 से मामले में न्यायिक प्रक्रिया तेज हो गई है. 11 जनवरी 2019 को मामले में दोनों आरोपी के खिलाफ अदालत में आरोप तय हुआ. 29 जनवरी 2019 को साक्ष्य के लिए तिथि तय की गई थी. लोकसभा चुनावों के बाद से लेकर अब तक मुकदमे की कार्रवाई सामान्य गति से चल रही थी. भाजपा एमएलसी बृजेश सिंह अब तक एक बार भी हाईकोर्ट में पेश नहीं हुए. उसके बाद मामले में 2021 से फिर से तेजी आई है. गौरतलब है कि यही उसरी चट्टी हत्याकांड अब भाजपा एमएलसी बृजेश सिंह के गले की फांस बना हुआ है.

मामले में साक्ष्य उनके खिलाफ हैं. कुछ वर्ष पहले उसरी चट्टी हत्याकांड के गवाह जफर खां उर्फ चंदा को बृजेश सिंह के करीबी शूटर अजय मरदह उर्फ गुडडू द्वारा जान से मारने की धमकी भी दी गयी थी. इस मामले में अफजाल अंसारी ने बताया कि उनकी (उमर) तालीम लखनऊ, दिल्ली और उच्च शिक्षा लंदन में हुई है. ऐसे में माननीय उच्च न्यायालय की गरिमा का ध्यान उमर को भी है और हमें भी है.

वो ना किसी तरह का हथियार लेकर गए थे और न ही उनके साथ कोई अपराधी था और ना ही उन पर कोई केस दर्ज है. वो अपने पिता के मुकदमे में गवाही करवाने गए थे. ऐसी परिस्थिति में जब उनके पिता जेल में बीमार हैं तो मुझे नहीं लगता कि उमर की तरफ से कोई गलती हुई है. आजकल सत्ता पक्ष हमारे परिवार को परेशान करने की नए-नए तरीके ढूंढ रहा है. उस तरफ के पक्ष के लोगों को ड्राइवर रमेश की गवाही प्रभावित करनी थी सो उन्होंने कर ली. हम प्रयास करते रहेंगे कि उसरी चट्टी का सच सबके सामने आए. हमें कोर्ट पर भरोसा है.

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मुख्तार अंसारी को मिलने वाली सुविधा पता कीजिए…

पुलिस द्वारा शांतिभंग किये जाने के बाद थाने में उमर को बैठाये जाने से सबंधित एक सवाल के जवाब में अफजाल अंसारी ने कहा कि देखिए पुलिस को तो शासन के अनुरूप काम करना होता है, बृजेश सिंह भी विधायक हैं उन्हें जेल में क्या सुविधाएं मिली हैं? यह सबको पता है, मुख्तार भी विधायक हैं लेकिन उन्हें जेल में छोटी से छोटी चीज के लिये जेल मैन्युअल का सहारा लेना पड़ता है. ऐसे में अब दोष किसको दिया जाय? यह सवाल आप मीडिया वाले हमसे बार बार पूछते हैं. लेकिन क्या आपने कभी शासन से ऐसे सवाल पूछने की कोशिश की है? अगर नहीं की हो तो करके देखिए और जो जवाब मिले वो मुझे भी बताएं.

(रिपोर्ट: उत्पल पाठक, लखनऊ)

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