लखनऊ यूनिवर्सिटी में 66वां दीक्षांत समारोह का आयोजन हुआ. इस दौरान 43 हजार 398 छात्रों को डिग्री मिली. इसके साथ ही 107 मेधावियों को 193 पदक प्रदान कर सम्मानित किया गया.
समारोह की अध्यक्षता कुलाधिपति और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने की. मुख्य अतिथि के रूप में ICMR के पूर्व महानिदेशक पद्मनी प्रो. बलराम भार्गव भी शामिल हुए. इस दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विश्वविद्यालय में 100 फीट ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज का ध्वजारोहण किया.
साथ ही विश्वविद्यालय परिसर में संविधान स्थल का लोकार्पण किया. राज्यपाल ने डॉ. भीमराव रामजी आम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस के पर उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की. कलश में जलधारा अर्पण करके जल संरक्षण के संदेश के साथ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह का शुभारंभ किया.
समारोह कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के कुल 107 प्रतिभाशाली मेधावियों को 193 पदक प्रदान किए. समारोह में कुल 43398 उपाधियां (डिग्रीयां) प्रदान की गईं, जिसमें स्नातक स्तर पर 33146 ,परास्नातक स्तर पर 10009 तथा 243 शोध उपाधि प्रदान की गयीं.
इस अवसर पर सीएमडी रेडिफ्यूजन इंडिया संदीप गोयल को कुलपति द्वारा मानद उपाधि प्रदान की गई. वहीं विश्वविद्यालय की तरफ से सभी डिग्रियों को डिजिलाकर में भी ऑनलाइन माध्यम से उपलब्ध कराया गया.
बता दें कि रिचा सामंत को कुलाधिपति स्वर्ण पदक, स्वराज शुक्ला को जीएन चक्रवर्ती पदक, भावनी बहुगुणा को कुलपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया है.
इसके अलावा शिवि गौतम को चांसलर रजत पदक, श्रेयांश शुक्ला को चांसलर रजत पदक, अरुण कुमार को चांसलर ब्रॉन्ज मेडल, चेतन शुक्ला को चांसलर कांस्य पदक, मान्या श्रीवास्तव को चांसलर कांस्य पदक, प्रियांशु निगम को चांसलर कांस्य पदक, माही गुप्ता को चांसलर कांस्य पदक व स्वाति को चांसलर कांस्य पदक से सम्मानित किया गया.
वहीं इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के पूर्व निदेशक और एम्स नई दिल्ली के कार्डियोलॉजी विभाग के पद्मश्री प्रोफेसर बलराम भार्गव ने इस अवसर पर बातचीत करते हुए बताया कि भारत कोरोना जैसी महामारी को भविष्य में रोकने के लिए पूरा रोड मैप तैयार कर रहा है.
इसमें भारत सरकार देश के सभी वैज्ञानिक और मेडिकल से जुड़े हुए इंस्टिट्यूट मिलकर काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि जिस तरह से हमने कोरोना को रोकने के लिए स्वदेशी वैक्सीन को रिकॉर्ड समय में विकसित किया है. भारत पूरे विश्व में इस तरह की आपदाओं को रोकने के लिए एक मार्गदर्शक के तौर पर सामने आएगा.