लखनऊ विश्वविद्यालय ने सत्र 2023-24 के पीएचडी कोर्स में एडमिशन की तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए सभी विभागाध्यक्षों को पीएचडी की पूर्णकालिक एवं अंशकालिक सीटों का विवरण विभागीय शोध समिति (डीआरसी) से संस्तुति कराकर 15 दिसंबर तक शोध अध्यादेश के तहत कार्यवाही पूर्ण करके प्रवेश समन्वयक के कार्यालय में उपलब्ध कराना होगा. कुलसचिव डा. विनोद कुमार सिंह ने इसका पत्र जारी कर दिया है. सभी विभागों को विषय एवं शिक्षक का नाम, पदनाम, नियमावली के अनुसार कुल पूर्णकालिक सीटों की संख्या, शोधरत पूर्णकालिक शोधार्थियों की संख्या, सत्र 2022-23 में विज्ञापित की गईं पूर्णकालिक सीटों की संख्या, सत्र 2023-24 में विज्ञापित की जाने वाली पूर्णकालिक सीटों की संख्या देनी होगी. विवरण आने के बाद विभाग एवं विषयवार सीटों की संख्या तय करके प्रवेश के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू होगी.
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लखनऊ विश्वविद्यालय में एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) से जुड़े कोर्स शुरू किए जाएंगे. इससे छात्रों के कौशल विकास को बढ़ावा मिलेगा. अब विश्वविद्यालय में छात्रों को ओडीओपी से जुड़े उत्पादों के बारे में पढ़ाया जाएगा. इसके तहत स्टूडेंट्स अब फ्यूजन वर्क (चिकन वर्क और पेंटिंग मिलाकर किया जाने वाला काम) के बारे में भी जानेंगे. कुलसचिव डॉ. विनोद कुमार सिंह ने बताया कि सत्र 2024-25 से ओडीओपी से जुड़े उत्पादों को वोकेशनल कोर्स के तौर पर शामिल करने की योजना है. यह कोर्स चार क्रेडिट का होगा और छात्रों को प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा. विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में ओडीओपी से संबंधित कोर्स शुरू करने की तैयारी की है.
प्रमुख सचिव ने राज्य विश्वविद्यालयों के कुलसचिव की बैठक में निर्देश दिए है. विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार, प्रमुख सचिव की ओर से ओडीओपी को कोर्स में शामिल करने के निर्देश मिले हैं. इसे स्नातक दूसरे और चतुर्थ सेमेस्टर में पढ़ाया जाएगा, जो वोकेशनल कोर्स के रूप में जोड़ा जा रहा है. इसके सिलेबस को बनाने में संबद्ध जिलों के स्थायी शिक्षकों से सहयोग लिया जाएगा ताकि कोर्स में उत्पाद से जुड़ी कोई बात छूट न जाए. इसमें लखनऊ की चिकनकारी, जरी-जरदोजी, रायबरेली की काष्ठ कला, सीतापुर की दरी, हरदोई के हैंडलूम और लखीमपुर खीरी के जनजातीय शिल्प और गुड़ उत्पाद सम्मिलित होंगे. एलयू प्रशासन के अनुसार, संबद्ध पांचों जिलों में वहां के उत्पाद से ही जुड़े कोर्स छात्र चुन सकेंगे.