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लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्र पढ़ेंगे भोपाल गैस त्रासदी और बालाकोट एयर स्ट्राइक के बारे में, बोर्ड ने दी मंजूरी

अब लखनऊ विश्वविद्यालय के डिफेंस स्टडीज डिपार्टमेंट के बीए छठे सेमेस्टर के छात्र अपने कोर्स के साथ 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी और फरवरी 2019 में हुई बालाकोट एयर स्ट्राइक के बारे में पढ़ेंगे. इसके लिए डिपार्टमेंट के तरफ से 20 अंक मिलेंगे.

Lucknow : राजधानी के लखनऊ विश्वविद्यालय के डिफेंस स्टडीज डिपार्टमेंट ने बीए छठे सेमेस्टर के पाठ्यक्रम में कई और नए टॉपिक शामिल किए हैं. अब छात्र-छात्राएं अपने कोर्स में 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी और फरवरी 2019 में हुई बालाकोट एयर स्ट्राइक के बारे में भी पढ़ेंगे. केस स्टडी के रूप में कोर्स में शामिल करते हुए शुक्रवार को हुई बोर्ड आफ स्टडीज की बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई.

रक्षा अध्ययन कोआर्डिनेटर डा. ओपी शुक्ला ने बताया कि इस बार पुलवामा हमला, भारत की सर्जिकल स्ट्राइक के साथ-साथ भोपाल गैस त्रासदी, बाला कोट एयर स्ट्राइक और हिंद महासागर भूकंप और सुनामी आदि को भी कोर्स का हिस्सा बनाया गया है. ये केस स्टडी के रूप में रहेंगे इसके निर्धारित 20 अंक मिलेंगे.

परास्नातक के छात्र पढ़ेंगे नई सैन्य प्रौद्योगिकी हथियार के बारे में

इसके साथ ही पोस्ट ग्रेजुएशन के चौथे सेमेस्टर रक्षा अध्ययन में साइंस एंड टेक्नोलाजी इन वार पेपर में छात्र-छात्राओं को रासायनिक और जैविक प्रौद्योगिकी की भूमिका और सेना के साथ इसके संबंध के साथ चौथी यूनिट में उन्हें नई सैन्य प्रौद्योगिकी एवं नए पारंपरीक हथियार के विषय में बताया जाएगा.

अब नए नियमें से होंगे पीएचडी में एडमिशन

वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन ने संशोधित पीएचडी ऑर्डिनेंस बनाकर तैयार कर दिया है. इसे यूजीसी के नियमों के तहत राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत बनाया गया है. अब नए ऑर्डिनेंस के हिसाब से ही 2023-24 सत्र में दाखिले लिए जाएंगे. इसे जल्द ही पीएचडी ऑर्डिनेंस कमेटी के सामने पेश किया जाएगा. उसके बाद आगामी कार्य परिषद की बैठक में पास कराकर लागू कर दिया जाएगा.

इस बार पीएचडी में एडमिशन अगस्त में शुरू होने की है संभावना

जिसके बाद नए सत्र की प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो सकेगी. फिलहाल एडमिशन सेल की ओर से पीएचडी सत्र 2023-24 के एडमिशन अगस्त माह में शुरू करने की योजना है. संशोधित अध्यादेश में अहम बदलाव किए गए हैं. चार साल के स्नातक व एक साल का परस्नातक करने के बाद या फिर चार साल के स्नातक में 75 प्रतिशत से ज्यादा अंक लाने पर अभ्यर्थियों को प्रवेश प्रक्रिया में शामिल होने का मौका दिया जाएगा. अध्यादेश में दिव्यांगों को पीएचडी पूरा करने के लिए दस साल का मौका दिया जाएगा.

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