Lucknow News: लखनऊ में एक कमरा ऐसा जिसमें भरीं हैं इंसानी हड्डियां, ठीक बगल में काम कर रहे सरकारी कर्मचारी
राजधानी में स्वास्थ्य विभाग का राज्य चिकित्सा विधि प्रकोष्ठ इंसानों की हड्डियों से भर चुका है. यहां अब स्वास्थ्य विभाग के अफसर दो छोटे कमरों में बैठने को मजबूर हैं.
Lucknow News: राजधानी में राज्य चिकित्सा विधि प्रकोष्ठ ही स्वास्थ्य विभाग की बिगड़ती स्थिति का गवाह बना हुआ है, जोकि अब इंसानों की हड्डियों से पूरी तर भर चुका है. यहां आलम ये है कि अब भीषण बदबू के बीच स्वास्थ्य विभाग के अफसर दो छोटे कमरों में बैठने को मजबूर हैं. फिलहाल, अफसरों का अपना कार्य हड्डियों और बदबू के बीच करने को मजबूर हैं.
60 साल से हड्डियों का निस्तारण नहीं
राज्य चिकित्सा विधि प्रकोष्ठ के बड़े हाल में बोरियों में भरी हड्डियों का ढेर लगा है. करीब 60 साल से हड्डियों का निस्तारण नहीं हो सका है. लिहाजा हड्डियों से कमरा भर चुका है. निस्तारण न होने से फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने हड्डियों से मौत के सटीक कारणों का पता लगाने संबंधी विश्लेषण बंद कर दिया है. विशेषज्ञों की रिपोर्ट के छह माह बाद हड्डियों का निस्तारण किया जा सकता है.
मौत के कारणों का लगाया जाता है पता
दरअसल, ऐशबाग स्थित बाल महिला चिकित्सालय से सटा है राज्य चिकित्सा विधि प्रकोष्ठ. इसके दूसरे फ्लोर पर तीन कमरों में प्रकोष्ठ का संचालन हो रहा है, इसमें सीएमओ स्तर के पांच अफसरों की तैनाती है. इनके अलावा भी कर्मचारी तैनात हैं. विधि प्रकोष्ठ में इंसानों की मौत के सही कारणों का पता लगाने के लिए विश्लेषण होता है. इसके लिए पुलिस मृतक के शरीर की हड्डियां लाते हैं. फॉरेंसिक विशेषज्ञ हड्डियों का परीक्षण करते हैं.
अफसरों की लापरवाही बनी कारण
राज्य चिकित्सा विधि प्रकोष्ठ के नए भवन के लिए निशातगंज में भूमि भी चिन्हित की गई थी, 2014 में शासन की ओर से करीब 62 लाख रुपए स्वीकृत किए गए थे, लेकिन अफसरों की लापरवाही से भवन निर्माण संबंधी प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ा.