Madhumita Murder Case: 9 मई 2003 की वो काली रात जिसने एक कवयित्री की चीख के बाद बदल दी पूर्वांचल की सियासत

कुछ लोग कमरे में घुसे और ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगे. पूरा शरीर गोलियों से भर दिया. लखीमपुर की मूल रूप से रहने वाली मधुमिता की मौके पर मौत हो गई.

By अनुज शर्मा | August 25, 2023 7:56 PM

लखनऊ : साल 2003 के मई महीने की एक मनहूस तारीख ने एक दिलचस्प और भयानक किस्से की शुरुआत की थी. इस समय, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित पेपर मिल कॉलोनी में वहां रहने वाली कवयित्री मधुमिता शुक्ला के जीवन में अचानक एक घटना घटी. मधुमिता शुक्ला, जिनकी उम्र उस समय मात्र 24 वर्ष की थी वह कविता से उभरते करियर के सफर में थीं. उस दिन, 9 मई 2003, जब मधुमिता लखनऊ के पेपर मिल कॉलोनी में अपने टू-रूम अपार्टमेंट में थीं, तभी एक अचानक हमला हो गया. कुछ लोग उनके कमरे में घुस आए और उनके ऊपर ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगे. पूरा शरीर गोलियों से भर दिया. लखीमपुर की मूल रूप से रहने वाली मधुमिता की मौके पर मौत हो गई. हत्याकांड की जांच में पुलिस जुट गई.

पुलिस को शुरुआत में कोई सफलता नहीं मिली थी. मधुमिता की हत्या के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं मिला था. जांच की शुरुआत में यह तय नहीं हो पा रहा था कि किस दिशा में चला जाए कि हत्या की सभी कड़ी जुड़ जाएं. कई सवाल उसके सामने थे. क्या वाकई मधुमिता की मौत एक साधारण हत्या थी या इसके पीछे कुछ और था? पुलिस भी इसके पीछे किसी बड़े राजनीतिक ट्विस्ट की संभावना को नजरअंदाज नहीं कर पा रही थी.

Also Read: UP News : कमरा नंबर 8 का कैदी: मधुमिता शुक्ला मर्डर केस में दोषी अमरमणि त्रिपाठी…
…और सन्न रह गई मायावती सरकार

पुलिस ने मधुमिता की मौत की जांच करते समय उनके नौकर से पूछताछ की. उनकी दोस्त और परिवार सदस्यों से भी बातचीत की. पूछताछ के दौरान मधुमिता के नौकर देशराज ने एक बड़ा राजनीतिक राज का खुलासा किया . सरकार भी सन्न रह गई. पूरे देश में वह राज सुर्खियां बन गया. महिला के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार की कानून व्यवस्था को लेकर बयानबाजी शुरू हो गई. देशराज ने पुलिस को बताया कि मधुमिता और उस समय के कद्दावर मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के बीच प्रेम का रिश्ता था. इस रिश्ते के सामने आने के बाद, पुलिस ने गहराई से जांच की और उन्होंने यह खुलासा किया . उस समय उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार थी. अमरमणि त्रिपाठी महत्वपूर्ण राजनीतिक हस्ती ही नहीं सरकार में कद्दावर मंत्री थे.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने मचा दिया तहलका

मधुमिता के खून के छींटे सरकार तक पहुंचे तो पुलिस भी फूंक-फूंककर की जांच करने में लग गई. वह हर कदम सोच समझकर उठा रही थी. पुलिस ने कानूनी प्रक्रिया के तहत मधुमिता के शव का पोस्टमॉर्टम कराया. पुलिस की एक टीम डेडबॉडी को मधुमिता के घर लखीमपुर ले कर चली गई. अचानक पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट की कापी पढ़ने के बाद जांच दल के सदस्य वह पुलिस वह अधिकारी टेलीफोन की तरफ दौड़े. डेडबॉडी लेकर लखीमपुर की तरफ बढ़ रही पुलिस टीम को तुरंत वापस करने का आदेश जारी कर दिया. पुलिस अधिकारी को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से मामले के खुलासे का क्लू मिल गया था. यही केस का टर्निंग प्वाइंट भी था. मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार मधुमिता की हत्या जब हुई वह गर्भवती थी. डेडबॉडी को लखनऊ के एक सरकारी अस्पताल में दोबारा जांच के लिए भेजा गया. डीएनए रिपोर्ट ने साबित कर दिया कि मधुमिता के गर्भ में सरकार के सबसे कद्दावर मंत्री और पूर्वांचल के बाहुबली मंत्री अमरमणि त्रिपाठी का बच्चा था.

Also Read: Explainer : मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में दोषी पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी सपत्नी होंगे रिहा, ऐसे मिली माफी ..
अमरमणि के लिए पूरा सिस्टम कर रहा था काम

मधुमिता हत्याकांड में अपने मंत्री का नाम आने के बाद मुख्यमंत्री मायावती ने निष्पक्ष जांच के दबाव को खत्म करने के लिए मामले की जांच केन्‍द्रीय अन्‍वेषण ब्‍यूरो (CBI) को सौंपने का आदेश दिया. सीबीआई ने सितंबर 2003 में जांच मिलते ही मंत्री अमरमणि त्रिपाठी को अपनी गिरफ्तारी में ले लिया. उधर बहन को इंसाफ दिलाने की लड़ाई लड़ रही मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला को समझ आ गया था कि उत्तर प्रदेश में उसे इंसाफ नहीं मिलेगा. वह अमरमणि त्रिपाठी के इशारे पर काम कर रहा है. निधि शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई और उसकी याचिका पर देश का सबसे चर्चित केस देहरादून हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया. हालांकि तब तक साल 2005 लग चुका था.

Next Article

Exit mobile version