UP News: मैनपुरी का समान पक्षी विहार बनेगा राज्य पक्षी सारस की शरण स्थली, जनगणना में मिली थी सबसे अधिक आबादी

आगरा मंडल के मैनपुरी जिले में समान पक्षी विहार अभयारण्य है. जो पांच वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला है. सन 1990 में समान पक्षी विहार बना था. जिसे सन् 2019 में संयुक्त राष्ट्र ने रामसर साइट का दर्जा दिया.

By Amit Yadav | July 17, 2023 12:30 PM

लखनऊ: योगी सरकार ने राज्य पक्षी सारस के संरक्षण के लिये प्रयास तेज कर दिये हैं. इसी कड़ी में मैनपुरी के समान पक्षी विहार को सारस की शरण स्थली के रूप में विकसित करने की योजना बनायी गयी है. राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी प्रोजेक्ट की डीएफओ ने समान पक्षी विहार को सारस की शरण स्थली के रूप में विकसित करने की विशेष योजना बनाई है. इसके लिये सरकार को 70 लाख रुपये का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है.

प्राकृतिक आवास का होगा निर्माण

राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी प्रोजेक्ट की डीएफओ आरुषि मिश्रा ने बताया कि मैनपुरी के समान पक्षी विहार को ईको टूरिज्म का बड़ा केंद्र बनाने की योजना बनायी जा रही है. समान पक्षी विहार में ग्रीष्म काल में राज्य पक्षी सारस की संख्या भी अच्छी रहती है. पिछले साल ग्रीष्मकालीन गणना में वन विभाग ने 98 सारस रिकार्ड किए थे. इस साल 95 सारस दर्ज हुए हैं.

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सारस हैबिटेट बनाने के लिये 70 लाख रुपये का प्रस्ताव

उन्होंने बताया कि सारस संरक्षण योजना के तहत समान पक्षी विहार का चयन किया है. समान पक्षी विहार का हैबिटेट खेत खलिहान वाला है. इसके तहत सारस के संरक्षण के लिए वन विभाग समान पक्षी विहार में धान की बुआई करेगा और वहां टीले बनाए जाएंगे. सारस संरक्षण के लिए सरकार को 70 लाख रुपये का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है. इसकी स्वीकृति मिलते ही कार्य शुरू हो जाएगा।

हटानी पड़ेगी जलकुंभी

डीएफओ आरुषि मिश्रा ने बताया कि समान पक्षी विहार सारस का प्राकृतिक हैबिटेट नहीं हैं. यहां में एक से डेढ़ फुट तक पानी या दलदल जैसा हैबिटेट है. जो सारस के अनुकूल है. यहां पर वन विभाग छोटे- छोटे टीलों का निर्माण करेगा. जिससे सारस के प्राकृतिक आवास बनाए जा सके. इसके साथ ही उन्हीं टीलों पर धान की बुआई भी की जाएगी. जिससे सारस को अपने प्राकृतिक आवास से भोजन के लिए दूर न जाना पड़े. वन विभाग को समान पक्षी विहार से जलकुंभी को हटाना पड़ेगा.

5 वर्ग किमी में फैला है क्षेत्र

आगरा मंडल के मैनपुरी जिले में समान पक्षी विहार अभयारण्य है. जो पांच वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला है. सन 1990 में समान पक्षी विहार बना था. जिसे सन् 2019 में संयुक्त राष्ट्र ने रामसर साइट का दर्जा दिया. समान पक्षी विहार में हर साल दिसंबर से फरवरी तक देसी-विदेशी पक्षियों का जमघट रहता है. समान पक्षी विहार में तीन माह से अधिक समय तक हजारों प्रजातियों के पक्षी रहते हैं.

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रामसर साइट्स क्या है?

रामसर साइट्स वेटलैंड्स को नाम दिया गया है. वेल्टैंड्स के कन्वेंशन को रामसर कन्वेंशन कहा जाता है. रामसर सम्मेलन 1971 में यूनेस्को द्वारा स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय आर्द्रभूमि (वेटलैंड्स) संधि है. यह सम्मेलन 1975 में कार्रवाई में आया है.

यूपी के रामसर साइट्स

उत्तर प्रदेश में ऊपरी गंगा नदी, ब्रजघाट से नरौरा खिंचाव सांडी पक्षी अभयारण्य, समसपुर पक्षी अभयारण्य हरदोई, नवाबगंज पक्षी अभयारण्य रायबरेली, समन पक्षी अभयारण्य उन्नाव, पार्वती अरगा पक्षी अभयारण्य मैनपुरी, सरसई नावर झील गोंडा, सुर सरोवर (कीठम) इटावा, आगरा और हैदरपुर वेटलैंड रामसर स्थल घोषित हैं.

यूपी में जून माह में हुई थी सारस की गणना

उत्तर प्रदेश में सारस की गणना 26 और 27 जून 2023 को हुई थी. इसके लिए वन विभाग के अधिकारियों की अगुआई में कई टीमें बनाई गई थीं. इसमें ग्राम प्रधान, स्वयं सेवी संगठन, स्कूल-कॉलेज के छात्रों को भी शामिल किया गया. वन विभाग के अनुसार इन टीमों ने दो दिन चिह्नित स्थानों पर सारस की गणना की. दो दिन में चार बार सुबह 6 से 8 बजे तक और शाम को 4 से 6 बजे तक सारस की गणना का काम किया गया. इस दौरान चिह्नित स्थानों के अलावा भी जहां से सूचना मिली, वहां भी टीमें सारस की गणना के लिए पहुंची.

सबसे ज्यादा इटावा, औरैया, मैनपुरी में मिले सारस

उत्तर प्रदेश में 19,600 सारस देखे गए. इनमें सबसे ज्यादा इटावा में 3280, मैनपुरी में 2872 और औरैया में 1187 सारस मिले. इसके साथ ही प्रदेश में 16 जनपद ऐसे हैं, जहां एक भी सारस नहीं दिखा. प्रत्येक गणना स्थल की जीपीएस रीडिंग यानी अक्षांश व देशांतर अनिवार्य रूप से अंकित किया जाता है. सारस की पहचान चोंच, पंख और पैरों से की जाती है. सारस के बच्चों की चोंच और सिर पीला होता है. व्यस्क सारस की चोंच स्लेटी, सिर का रंग गहरा लाल और पैर गुलाबी होते हैं.

दलदल वाले इलाकों में रहना पसंद करता है सारस

उन्होंने बताया कि सभी जनपदों की जानकारी के आधार पर अब इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी. इस संख्या में आंशिक तौर पर बदलाव हो सकता है. बहुत बड़ा पविर्तन होने की संभावना नहीं है. सारस दलदल वाले इलाकों में ज्यादा पाए जाते हैं. उन्होंने बताया कि जब से इसे राज्य पक्षी घोषित किया गया है, तब से इसके संरक्षण के काफी उपाय किए गए हैं. सारस संरक्षण केंद्र भी बनाए गए हैं. इसका लाभ सारस की संख्या में इजाफा के तौर पर नजर आ रहा है.

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