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Triple Murder: मलिहाबाद ट्रिपल मर्डर के आरोपी गिरफ्तार, नेपाल के रास्ते पोलैंड भागने की फिराक में थे

सिराज उर्फ लल्लन पर लखनऊ के थाना मलिहाबाद, चौक, काकोरी, वजीरगंज, हरदोई के थाना बेहटा गोकुल में 18 मुकदमें दर्ज हैं. फराज के खिलाफ मलिहाबाद में एक मुकदमा दर्ज है.

लखनऊ: पुलिस ने मलिहाबाद में तिहरे हत्याकांड (Triple Murder Case) के आरोपी पिता-पुत्र और ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस के मुताबिक आरोपी उत्तराखंड से नेपाल होते हुए पोलैंड भागने की फिराक में थे. लेकिन पुलिस की घेराबंदी से परेशान होकर वह सरेंडर करने की तैयारी में थे. इसी बीच उन्हें लखनऊ के दुबग्गा इलाके से पकड़ लिया गया.

पुलिस कमिश्नर के अनुसार मृतकों के परिजनों से जानकारी मिली थी कि आरोपी सिराज के पास पोलैंड का पासपोर्ट है. इस पर एयरपोर्ट अर्थारिटी को आरोपियों का फोटो भेजा गया. सर्विलांस से यह भी जानकारी मिली कि आरोपी लखनऊ और मुरादाबाद के कुछ लोगों के संपर्क में हैं. वह उत्तराखंड के रास्ते नेपाल और फिर वहां से पोलैंड भाग सकते हैं. इस पर उत्तराखंड पुलिस को पूरे मामले की जानकारी देकर कर वहां भी घेराबंदी कराई गई.

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सर्विलांस से पता चली मूवमेंट

इसी बीच सर्विलांस से पता चला कि मुख्य आरोपी सिराज अहमद उर्फ लल्लन और फराज मुरादाबाद भाग गये हैं. इस पर लखनऊ पुलिस की एक टीम मुरादाबाद के लिए निकल पड़ी. जब इसकी जानकारी आरोपियों को हुई तो वह कोर्ट में सरेंडर करने के इरादे से लखनऊ वापस लौट आए. जहां रविवार तड़के उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है. उनके पास से एक डीबीबीएल लाइसेंसी बंदूक और शस्त्र लाइसेंस बराम हुआ है. फराज के पास से पासपोर्ट भी बरामद किया गया है. हत्या में इस्तेमाल रायफल और थार गाड़ी को घटना के दिन ही माल क्षेत्र से बरामद की जा चुकी है.

18 मुकदमें दर्ज है मुख्य आरोपी सिराज पर 

पुलिस के अनुसार सिराज उर्फ लल्लन पर लखनऊ के थाना मलिहाबाद, चौक, काकोरी, वजीरगंज, हरदोई के थाना बेहटा गोकुल में 18 मुकदमें दर्ज हैं. फराज के खिलाफ मलिहाबाद में एक मुकदमा दर्ज है. सिराज के नाम से दो शस्त्र लाइसेंस भी जारी हुए थे. जिसमें से एक बीबीबीएल गन 1980 और एक एनपी बोर रायफल मलिहाबाद से 1979 में जारी हुई थी. 1990 में मलिहाबाद थाना प्रभारी की रिपोर्ट पर डीएम लखनऊ ने शस्त्र लाइसेंस को 1992 में निलंबित किया गया था. इसके विरोध में हाईकोर्ट में आरोपियों ने एक याचिका दाखिल की थी. इसके बाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी के आदेश को स्थगित कर दिया था और शस्त्र लाइसेंस बहाल हो गया था.

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