Mann Ki Baat: संभल जिला बना जनभागीदारी की मिसाल, 70 गांवों ने सोत नदी को किया पुनर्जीवित, पीएम मोदी हुए मुरीद
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नदी को मां मानने वाले हमारे देश में संभल के लोगों ने इस सोत नदी को भी पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया. इसके बाद पिछले साल दिसंबर में सोत नदी के कायाकल्प का काम 70 से ज्यादा ग्राम पंचायत ने मिलकर शुरू किया. ग्राम पंचायत के लोगों ने सरकारी विभागों को भी अपने साथ लिया.
Lucknow: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिये रविवार को देशवासियों से बात की. इस दौरान उन्होंने नदियों को पुनर्जीवित करने के प्रयासों की सराहना करते हुए अमरोहा, संभल और बदायूं से गुजरने वाली उत्तर प्रदेश की सोत नदी का जिक्र किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस क्षेत्र में दशकों पहले सोत नाम की एक नदी हुआ करती थी. अमरोहा से शुरू होकर संभल होते हुए बदायूं तक बहने वाली यह नदी एक समय इस क्षेत्र में जीवनदायिनी के रूप में जानी जाती थी. इस नदी में अनवरत जल प्रवाहित होता था, जो यहां के किसानों के लिए खेती का मुख्य आधार थी. प्रधानमंत्री ने कहा कि समय के साथ नदी का प्रवाह कम हुआ. इस वजह से नदी जिन रास्तों से बहती थी, वहां अतिक्रमण हो गया और नदी विलुप्त हो गई.
सीएम योगी ने प्रधानमंत्री का जताया आभार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे लेकर प्रधानमंत्री का आभार जताया है. उन्होंने ट्वीट किया कि जनपद सम्भल में स्थानीय लोगों ने विलुप्त होती ‘सोत’ नदी को पुनर्जीवित कर जन-भागीदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का सार्थक संदेश दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात कार्यक्रम में इसका उल्लेख सभी को प्रेरित करेगा.
ग्राम पंचायत के लोगों ने सरकारी विभागों को लिया साथ
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नदी को मां मानने वाले हमारे देश में संभल के लोगों ने इस सोत नदी को भी पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया. इसके बाद पिछले साल दिसंबर में सोत नदी के कायाकल्प का काम 70 से ज्यादा ग्राम पंचायत ने मिलकर शुरू किया. ग्राम पंचायत के लोगों ने सरकारी विभागों को भी अपने साथ लिया.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह जानकर खुशी हो कि कि साल के पहले छह महीने में ही यह लोग नदी के 100 किलोमीटर से ज्यादा रास्ते का पुनरुद्धार कर चुके थे. जब बारिश का मौसम हुआ तो यहां के लोगों की मेहनत रंग लाई और सोत नदी पानी से लबालब भर गई. यहां के किसानों के लिए यह खुशी का एक बड़ा मौका बनकर आया है. लोगों ने नदी के किनारे बांस के 10 हजार से अधिक पौधे भी लगाए हैं, ताकि इसके किनारे पूरी तरह सुरक्षित रहें.
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बदायूं में चेक डैम के जरिए सोत नदी को बचाने की कवायद
सोत नदी की कमजोर होती धारा धारा को मजबूत करने के लिए बदायूं जनपद में भी पहल की गई है. यहां सोत नदी में लघु सिंचाई विभाग ने जान डालने की कोशिश की. शुरुआती दौर में बरसात के पानी से इसे जीवित करने की कोशिश के तहत इसमें कई जगह चेक डैम बनाए जाने का निर्णय किया गया है, ताकि पानी को बहने से रोका जा सके. इससे आसपास के इलाके में बहुत बड़ा फायदा नजर आएगा. सोत नदी बदायूं में अंबियापुर, बिसौली, इस्लामनगर, उझानी, जगत, म्याऊ और उसवां ब्लॉक क्षेत्र में होती हुई आगे निकल जाती है. इस नदी को स्रोत नदी भी कहा जाता है. बुजुर्गों का कहना है कि इसमें पहले स्रोत हुआ करते थे. उन स्रोतों से जल निकलकर इस नदी में बहता था. इससे आसपास के गांव काफी लाभान्वित होते थे. सिंचाई का बहुत अच्छा साधन था. कभी इसका जल स्वच्छ और काफी साफ हुआ करता था. बाद में नदी की हालत खराब होती चली गई.
सोत नदी पर जगह-जगह अवैध कब्जे हो गए. लोगों ने नदी को गंदगी और मिट्टी से पाट दिया और उस पर खेतीबाड़ी करने लगे. शहर के नजदीक लोगों ने मकान, होटल और बारात घर तक बना लिए. इससे सोत नदी केवल नाला बनकर रह गई. हालांकि इसके बावजूद बरसात के दिनों में नदी में पानी बहने लगता है. इन तमाम बातों को देखते हुए लघु सिंचाई विभाग ने सोत नदी को शुरू कराने की पहल की. जगह-जगह चेक डैम बनाकर सोत नदी का पानी रोकने का निर्णय किया गया है. सोत नदी के आसपास इलाकों में पहले जलस्तर काफी अच्छा था. लेकिन, इसके सूखने से जलस्तर पर काफी प्रभाव पड़ा है. इसकी शुरुआत होने से वाटर लेवल स्वयं बढ़ जाएगा. आसपास के किसान आराम से अपनी फसलों की सिंचाई कर सकेंगे.
वॉटर वूमन शिप्रा पाठक का मिला साथ
नदी को स्वच्छ और संरक्षित करने और लोगों को जागरूक करने के इरादे से वॉटर वूमन के नाम से प्रसिद्ध शिप्रा पाठक ने भी बदायूं भी सोत नदी को पुनर्जीवित करने की मुहिम को अपना समर्थन दिया. शिप्रा देश के कई राज्यों में पौधरोपण और जल संरक्षण को लेकर काम करती हैं. उन्होंने बंदायू में सोत नदी किनारे स्थित गांव कुंवरपुर में लोगों से जल संवाद किया और सोत नदी को पुनर्जीवित करने की मांग का समर्थन किया. उन्होंने लोगों से कहा कि सोत नदी की अविरल धारा बहाने में वह अपना योगदान देंगी. जब तक सोत के स्रोत नहीं खुल जाएंगे, तब तक सब मिलकर कार्य करेंगे.