UP Election 2022: पश्चिमी यूपी से लखनऊ का सफर करेंगी मायावती? ऐसा है बसपा सुप्रीमो का गेमप्लान

सपा चीफ अखिलेश यादव को टक्कर देने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी तैयारी कर ली है. अखिलेश यादव के जातीय समीकरण पर बसपा सुप्रीमो मायावती की भी नजर है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मायावती जाट-मुस्लिम-दलित समीकरण पर फोकस कर रही हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | December 1, 2021 12:18 PM
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UP Election 2022: उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां बढ़ गई है. सपा चीफ अखिलेश यादव ने समाजवादी विकास यात्रा को बुंदेलखंड से शुरू करने का फैसला लिया है. बुधवार से तीन दिन दिनों तक अखिलेश यादव बुंदेलखंड में रहेंगे. इस दौरान महोबा और बांदा में जनसभा को संबोधित भी करेंगे. खास बात यह है सपा चीफ अखिलेश यादव को टक्कर देने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी तैयारी कर ली है. अखिलेश यादव के जातीय समीकरण पर बसपा सुप्रीमो मायावती की भी नजर है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मायावती जाट-मुस्लिम-दलित समीकरण पर फोकस कर रही हैं.

जमीनी स्तर पर छोटी बैठक करने के निर्देश

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मंगलवार को बसपा चीफ मायावती ने पार्टी ऑफिस में मुस्लिम, जाट, ओबीसी नेताओं के साथ बैठक की. बैठक में जाट-मुस्लिम-दलितों को पार्टी से जोड़ने के निर्देश दिए गए. खास बात यह है उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 86 सीटों में मुस्लिमों और जाट समुदाय को जोड़ने के लिए पार्टी के अभियान की समीक्षा की गई. मायावती ने जाट-मुस्लिम-दलितों को पार्टी से जोड़ने के निर्देश दिए. इसके लिए जमीनी स्तर पर छोटी-छोटी बैठकें करने को कहा.

‘बीजेपी राज में जाट-दलित-मुस्लिम असुरक्षित’

मायावती ने बीजेपी सरकार पर मुस्लिमों के उत्पीड़न का आरोप भी लगाया है. मायावती ने कहा कि मुसलमानों को फर्जी मामलों में फंसाकर उनका उत्पीड़न किया जा रहा है. उनमें डर पैदा करने की कोशिश हो रही है. जाट समाज से भी सौतेला व्यवहार किया गया. मायावती ने बैठक के दौरान वादा किया कि अगर उत्तर प्रदेश में बसपा सरकार आती है तो जाटों के साथ मुस्लिमों और दलितों की मदद की जाएगी. बहुजन समाज पार्टी की सरकार में तीनों जातियों के कल्याण का ध्यान रखा जाएगा.

अखिलेश के ‘जिन्ना प्रेम’ से मायावती को टेंशन

मायावती का सियासी दांव अखिलेश यादव की सपा और जयंत चौधरी की आएलडी के बीच गठबंधन के ऐलान के बाद आया है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत में जाट, मुस्लिम और दलित मतदाता निर्णायक भूमिका में रहते हैं. यही कारण है कि सपा ने आरएलडी के साथ सियासी समझौता किया है. वहीं, मायावती ने भी सपा-आएलडी के गठबंधन से लड़ने की प्लानिंग की है. अखिलेश यादव ने जिन्ना पर दिए गए बयान के बाद भी मायावती ने मुसलमानों पर नजर लगा रखा है.

माना जाता है कि समाजवादी पार्टी चीफ अखिलेश यादव ने जिन्ना पर मुस्लिम वोटबैंक को ध्यान में रखकर बयान दिया है. भले ही बीजेपी समेत दूसरे दल अखिलेश यादव से बयान पर सवाल पूछ रहे हों, मायावती को चिंता है कि सपा चीफ अखिलेश यादव के बयान से मुस्लिम वोटर्स प्रभावित हो सकते हैं. इससे निपटने के लिए मायावती ने ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम चेहरों को चुनाव में उतारना शुरू किया है.

पश्चिमी यूपी का विधानसभा सीटों से कनेक्शन

उत्तर प्रदेश की सियासत में पश्चिमी यूपी का खासा महत्व है. पश्चिमी यूपी में मुरादाबाद, बदायूं, बरेली, आगरा, मथुरा, बागपत, गाजियाबाद, नोएडा, बुलंदशहर, मेरठ, हापुड़, सहारनपुर, अलीगढ़, हाथरस, कासगंज, रामपुर, शाहजहांपुर, फिरोजाबाद, एटा, बिजनौर, इटावा, औरैया, फर्रुखाबाद जैसे जिले आते हैं. इस इलाके में करीब 120 सीटें हैं. पश्चिमी यूपी में जाटों की संख्या 20 फीसदी है. मुस्लिमों का प्रतिशत 30 से 40 के करीब है. यही कारण है कि सभी की नजर पश्चिमी यूपी पर पड़ी हुई है.

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