Lucknow News: देश में नए कृषि कानूनों को लेकर किसान लंबे समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे है. लेकिन कोई समाधान निकलता नजर नहीं आ रहा है. इस बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने केंद्र की ओर से कृषि कानूनों को न हटाए जाने पर चिंता व्यक्त की है. साथ ही कानूनों को वापस लेने की मांग की है.
1. भाजपा का यह कहना कि 'सबका साथ, सबका विकास व सबका विश्वास' आदि को लोग जुमला न मानकर इस पर कैसे विश्वास करें जब देश के किसान 3 कृषि कानूनों की वापसी को लेकर लम्बे समय से तीव्र आन्दोलित एवं आक्रोशित भी हैं।
— Mayawati (@Mayawati) November 7, 2021
पूर्व सीएम ने ट्वीट कर कहा- भाजपा का यह कहना कि ‘सबका साथ, सबका विकास व सबका विश्वास’ आदि को लोग जुमला न मानकर इस पर कैसे विश्वास करें, जब देश के किसान तीन कृषि कानूनों की वापसी को लेकर लंबे समय से तीव्र आन्दोलित और आक्रोशित भी हैं.
उन्होंने आगे कहा- केन्द्र सरकार ने तीन साल में पहली बार उत्पाद कर थोड़ा घटाकर लोगों को इस बार दिवाली पर कुछ राहत का तोहफा दिया है. उसी प्रकार दिवाली के बाद ही सही यदि तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस लेकर केन्द्र सरकार देश के किसानों को भी दिवाली का तोहफा दे देती है तो यह बेहतर ही होगा.
बता दें कि यह पहला मौका नहीं है, जब मायावती ने किसानों की चिंता की है. इससे पहले भी कई मौकों पर मायावती किसानों के मुद्दे पर केंद्र सरकार के घेराव कर चुकी हैं. इससे पहले मायावती ने बीते 4 अक्टूबर को ट्वीट कर लखीमपुर खीरी में किसानों की गाड़ी से रौंद कर की गई हत्या पर न सिर्फ दुख व्यक्त किया बल्कि पीड़ितों के सरकार से उचित न्याय की मांग भी की.
मालूम हो कि यूपी में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. इस संबंध में मायावती ने सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि, बी.एस.पी. और अन्य विरोधी पार्टियों के भी निष्कासित किए गए लोगों को सपा में शामिल किये जाने से इस पार्टी का कुनबा व जनाधार आदि बढ़ने वाला नहीं है, बल्कि इससे यह और भी घटता व कमजोर होता हुआ ही चला जाएगा.
1. बी.एस.पी. व अन्य विरोधी पार्टियों के भी निष्कासित किए गए लोगों को सपा में शामिल किये जाने से इस पार्टी का कुनबा व जनाधार आदि बढ़ने वाला नहीं है बल्कि इससे यह और भी घटता व कमजोर होता हुआ ही चला जाएगा। 1/3
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