Mohini Ekadashi 2023: कब है मोहिनी एकादशी, 30 अप्रैल या 1 मई को, जानें सही डेट, शुभ मुहूर्त और पारण समय
Mohini Ekadashi 2023: हर महीने वैसे तो दो एकादशी तिथि होती है. एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष है. आइए जानते हैं कब है मोहिनी एकादशी, 30 अप्रैल 2023 या 1 मई 2023 को, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में.
Mohini Ekadashi 2023: हिंदू धर्म में मोहिनी एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है. हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी व्रत बड़े ही धूमधाम से रखा जाता है. पंडित जितेंद्र शास्त्री ने बताया हर महीने वैसे तो दो एकादशी तिथि होती है. एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष है. लेकिन इन सब में मोहिनी एकादशी का खास महत्व है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा की जाती है. इस दिन जो भी व्यक्ति व्रत रखते हैं, उनके सभी कष्ट दूर होते हैं. आइए जानते हैं कब है मोहिनी एकादशी, 30 अप्रैल 2023 या 1 मई 2023 को, शुभ मुहूर्त , पूजा विधि और महत्व के बारे में.
कब है मोहिनी एकादशी 2023
मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी का अवतार लिया था. यह एकादशी सभी एकादशियों में बेहद फलदाई है. मोहिनी एकादशी 30 अप्रैल 2023 या 1 मई 2023 कब है को लेकर परेशान है. पंडित जितेंद्र शास्त्री ने बताया इस बार मोहिनी एकादशी व्रत एक मई (1May) दिन सोमवार को रखा जाएगा. लेकिन व्रत की शुरुआत 30 अप्रैल 2023 रात 8:00 बज कर 30 मिनट से शुरू है और अगले दिन एक मई 2023 को रात 10:55 मिनट पर है. वही उदय तिथि 1 मई को ही है.
मोहिनी एकादशी 2023 पारस समय
मोहिनी एकादशी व्रत 1 मई दिन सोमवार को 2023 को रखा जाएगा और पारण का समय अगले दिन मंगलवार 2 मई सुबह 5:00 बजकर 40 मिनट से सुबह 8:19 तक ही है. इस शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करना ही शुभ फलदाई है.
मोहिनी एकादशी व्रत का महत्व
पंडित जितेंद्र शास्त्री बताते हैं मोहिनी एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया था और असुरों का वध किया था. जो भी व्यक्ति मोहिनी एकादशी के दिन पूरे श्रद्धा से व्रत रखते हैं, उनके सभी पाप धुल जाते हैं.
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मोहिनी एकादशी 2023 पूजा विधि
मोहिनी एकादशी 1 मई 2023 दिन सोमवार को रखा जाएगा. ऐसे में इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पहले स्नान कर लें. इस दिन पीले वस्त्र पहनकर ही पूजा करें. पूजा वाली जगह को गंगा जल से साफ करें. इसके बाद भगवान विष्णु और मां पार्वती और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर पीला फूल, गुड़, हल्दी, चंदन, धूपबत्ती, फल में केला, किशमिश चढ़ाएं. पूजा करते समय ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का कम से कम 5 से 11 बार जाप करें.