Mukhtar Ansari Death: मुख्तार अंसारी और उसकी पत्नी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर मांगी थी रिहाई, जानें क्यों
मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari Death) के पत्रों से पता चलता है कि उसे दो बार दिल का दौरा पड़ा था. उसने और पत्नी ने जेल में हार्टअटैक, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज सहित कई अन्य बीमारियों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रपति को पत्र लिखकर रिहाई की अपील की थी.
लखनऊ: माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari Death) की मौत के बाद उसके कई पत्र सामने आए हैं. इन पत्रों के माध्यम से मुख्तार और उसकी पत्नी ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए रिहाई की अपील की है. ये पत्र राष्ट्रपति को मुख्तार के पंजाब की रोपण जेल में रहने के दौरान लिखे गए थे. इसमें कई बीमारियों का जिक्र किया है. लेकिन इसी बीच मुख्तार को बांदा जेल शिफ्ट कर दिया गया.
दो बार हार्ट अटैक पड़ने की पत्र में दी जानकारी
माफियागिरी से राजनीति में आए मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari Death) और उसकी पत्नी अफशां अंसारी (Afsha Ansari) ने 2018 और 2019 में राष्ट्रपति को जो पत्र भेजे थे, उससे पता चलता है कि जेल में रहते हुए उन्हें पहले ही दो बार दिल का दौरा पड़ चुका था. वो हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के मरीज थे. मुख्तार और उनकी पत्नी ने राष्ट्रपति से अपील की थी कि उसे स्वास्थ्य के आधार पर रिहा किया जाए.
पत्नी अफशां अंसारी ने भी राष्ट्रपति को लिखा पत्र
10 सितंबर 2018 को मुख्तार की पत्नी अफशां अंसारी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर उसके मधुमेह, उच्च रक्तचाप, स्पॉन्डिलाइटिस और स्लिप डिस्क होने की जानकारी राष्ट्रपति को दी थी. अफशां ने अपील की थी कि बीमारियों को ध्यान में रखते हुए उनकी रिहाई की जाएगी. इसके बाद को मुख्तार ने पंजाब की रोपड़ जेल से राष्ट्रपति को व्यक्तिगत रूप से पत्र लिखा था. उन्होंने लिखा था कि मैं एक 60 वर्षीय व्यक्ति हूं. जेल के अंदर दो बार दिल का दौरा पड़ चुका है. साथ ही वो हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज आदि से भी पीड़ित है. मुख्तार और उसकी पत्नी ने जेल से रिहाई और स्थायी अस्पताल में भर्ती होने की अपील की थी.
एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया था
बांदा जेल (Banda Jail) के एक अधिकारी के अनुसार 9 जनवरी 2018 को मुख्तार को बांदा जिला अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें कोरोनरी आर्टरी डिजीज, हार्ट अटैक बाद सीने में दर्द, उच्च रक्तचाप और मधुमेह का इलाह किया. मुख्तार को उसी दिन एसजीपीजीआई लखनऊ ले जाया गया और जहां से 11 जनवरी को उन्हें छुट्टी दे दी गई.
तीन साल में 84 बार मिला इलाज
डीजी जेल एसएन साबत का कहना है कि मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari Death) जब भी बीमार पड़ते थे तो उन्हें बेहतरीन इलाज मुहैया कराया जाता था. मुख्तार के परिवार के इलाज में लापरवाही और उपेक्षा के आरोप का जवाब देते हुए वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि उसे पहले 9 जनवरी 2018 को पीजीआई लखनऊ में भर्ती कराया गया था और 11 जनवरी को छुट्टी दे दी गई थी. 2021 से 2024 तक बांदा जेल (Banda Jail) में बंद रहने के दौरान 84 बार डॉक्टरों ने मुख्तार का इलाज किया.
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