मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर केस में 10 साल की सजा और पांच लाख का जुर्माना, जानें कृष्णानंद राय हत्याकांड का केस
माफिया मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर एक्ट के लगभग 16 वर्ष पुराने गाजीपुर के मामले में दस साल की सजा सुनाई गई है. इसके साथ ही पांच लाख का जुर्माना लगाया गया है. मुख्तार अंसारी की वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए पेशी हुई. मुख्तार अंसारी इस समय बांदा जेल में बंद है.
Lucknow: उत्तर प्रदेश में माफियाओं पर कानून का शिकंजा तेजी से कसा जा रहा है. अब माफिया मुख्तार अंसारी को गाजीपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट के लगभग 16 वर्ष पुराने मामले में दोषी करार देते हुए दस साल की सजा सुनाई गई है. इसके साथ ही पांच लाख का जुर्माना लगाया गया है. मुख्तार अंसारी की वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए पेशी हुई. मुख्तार अंसारी इस समय बांदा जेल में बंद है. वहीं मुख्तार के भाई बसपा सांसद अफजाल अंसारी पर फैसला दो बजे सुनाया जाएगा.
2005 में तत्कालीन भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हुई थी हत्या
गाजीपुर में वर्ष 2005 में मुहम्मदाबाद थाना के बसनिया चट्टी में भाजपा के तत्कालीन विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की हत्या की गई थी. इस मामले में अफजाल अंसारी और मुख्तार अंसारी पर 2007 में गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ था.इसके बाद से गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी जमानत पर हैं.
मुख्तार अंसारी पर दर्ज मुकदमों की संख्या
मुख्तार अंसारी जरायम की दुनिया में एक ऐसा नाम है, जिसकी दहशत उसके जेल के अंदर रहने के बाद भी कायम है. बाहुबली पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी बीते 18 साल से जेल में बंद है. बावजूद इसके उसका नाम अक्सर किसी न किसी वजह से सुर्खियों में रहता है.
गाजीपुर, वाराणसी, मऊ और आजमगढ़ के विभिन्न थानों में जेल में रहते मुख्तार पर अब तक हत्या के कई मामले दर्ज हुए हैं. इस प्रकार करीब 60 साल के मुख्तार अंसारी पर कुल 61 मुकदमे दर्ज हैं. इसमें से सबसे ज्यादा मुकदमे उसके गृह जनपद गाजीपुर में दर्ज हैं. जनवरी में 61वां मुकदमा उसके गृह जिले के मुहम्मदाबाद कोतवाली क्षेत्र में उसरी चट्टी हत्याकांड में दर्ज हुआ था.
अपराध की दुनिया में बड़ा नाम होने के बाद मुख्तार अंसारी ने सियासत में रखे कदम
दरअसल एक समय पूर्वांचल के अपराध में गाजीपुर केंद्र बिंदु बनकर उभरा. वहीं 90 के दशक में मुख्तार अंसारी समेत अन्य अपराधियों के नाम गाजीपुर और आस-पास के जनपदों में फैलने लगे. इसमें कई गैंग बने. इनकी आपस में रंजिश भी हुई. वहीं अपराध की दुनिया में बड़ा नाम होने पर मुख्तार अंसारी ने सियासत में कदम रखे और 1996 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़कर जीत हासिल की.
इसके बाद 2017 तक लगातार पांच बार विरोधियों को शिकस्त दी. पहले बसपा फिर निर्दलीय और बाद में खुद की पार्टी कौमी एकता दल से सियासत के कारण मुख्तार अंसारी हमेशा सर्खियों में रहा. वर्ष 2022 में उसने सियासत से दूरी बनाते हुए अपने बेटे अब्बास अंसारी को इसमें उतारा और उसने भी जीत दर्ज की. हालांकि पिता मुख्तार की तरह विधायक बेटा अब्बास अंसारी भी इस समय जेल की सलाखों के पीछे है.
मुख्तार अंसारी के दादा थे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
खास बात है कि मुख्तार अंसारी से पहले उसके परिवार में आपराधिक पृष्ठभूमि का कोई नहीं था. उसके परिवार की गिनती बड़े सियासी घराने के रूप में होती थी. मुख्तार के दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. लेकिन उनकी विरासत को आगे बढ़ाने के बजाय मुख्तार अंसारी ने अपराध की दुनिया में शोहरत हासिल करना ज्यादा बेहतर समझा.
अब तक करोड़ों की संपत्ति हो चुकी है जब्त-ध्वस्त
मुख्तार अंसारी ने जेल के अंदर रहते हुए भी अपराध की दुनिया में गुर्गों के जरिए कई वारदातों को अंजाम दिया. वहीं 2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद उस पर शिकंजा कसना शुरू हुआ. मुख्तार अंसारी को पंजाब जेल से यूपी लाने के बाद बांदा कारागार में रखा गया है. वहीं मऊ, गाजीपुर और लखनऊ में लगभग कई सौ करोड़ रुपये की उसकी संपत्ति जब्त और ध्वस्त की जा चुकी है.