लखनऊ. उत्तर प्रदेश नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण के लिए चार मई को वोट डाले जाएंगे. यह तारीख जैसे- जैसे नजदीक आ रही है भारतीय जनता पार्टी (BJP)और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में शह- मात का खेल चरम पर पहुंच गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM yogiadityanath) कानून व्यवस्था के बल पर विपक्ष विशेषकर समाजवादी पार्टी को चारो खाने चित करने में कोई रहम नहीं दिखा रहे हैं. वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (AKHILESH YADAV) ने चुनावी सभा की शुरुआत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर से करने का ऐलान कर पिता मुलायम सिंह यादव (MULAYAM SINGH YADAV) का प्रसिद्ध दांव चलकर भाजपा को सीधे चुनौती दी है.
भाजपा केंद्र और प्रदेश की सत्ता पर पूर्ण बहुमत से काबिज होकर ‘डबल इंजन’ की सरकार बन गयी है. पार्टी अब चाहती है कि शहर की सरकार कही जाने वाली नगरीय निकाय बोर्ड में भी वह प्रचंड बहुमत से काबिज रहे. मिशन ‘ट्रिपल इंजन की सरकार’ को पूरा करने का जिम्मा उठाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी चुनावी सभा में अखिलेश यादव और उनकी पार्टी का भले ही नाम नहीं ले रहे हैं लेकिन सीधा और तीखा हमला उन पर ही बोल रहे है. वह सर्वनाम और विश्लेषण के जरिये अखिलेश राज की खामियों को गिना रहे हैं. सीएम योगी ने 25 अप्रैल (सोमवार) को जाट और मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र सहारनपुर, शामली और अमरोहा में चुनावी सभा कर बड़ा संदेश दिया.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव प्रचार में भी ‘हार्ड लाइन’ लेकर चल रहे हैं. वह एक दिन में तीन – तीन सभा कर रहे हैं. स्थानीय मुद्दे के आधार पर सियासी लेकिन वोटरों के दिल में सीधे समा लाने वाले ‘ नो कर्फ्यू नो दंगा यहां सब चंगा ‘, ‘रंगदारी न फिरौती, अब यूपी नहीं है किसी की बपौती’ , डर से कांप रहे माफिया जैसे मुहावरे गढ़ चुके हैं. 28 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के सीतापुर के मंच से उन्होंने जनता नगर निकाय चुनाव को ‘देवासुर संग्राम’ की उपमा देकर जनता को दुविधा से बाहर निकाल दिया. यानि अब वोटर को तय करना है कि वह ‘देवता’ के साथ है या ‘दैत्यों’ के साथ. मुख्यमंत्री मंच से ”कहते हैं कि ” निकाय चुनाव हमारे लिए किसी देवासुर संग्राम से कम नहीं है…ट्रिपल इंजन लगने से दानव रूपी भ्रष्टाचारियों, माफियाओं व अपराधियों को दरकिनार करने में मदद मिलेगी ”. सीएम इस बात के जरिए मतदाताओं के मष्तिष्क में भाजपा को नगर निकाय चुनाव संग्राम में “देवता ” दल के रूप में बैठाते नजर आते हैं.
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए यह चुनाव पार्टी से अधिक उनकी ‘साख’ का सवाल बना हुआ है. 2024 में लोकसभा चुनाव होने के कारण लिटमस टैस्ट भी बन गया है. अखिलेश यादव कहीं से खुद को कमजोर नहीं होने देना चाहते हैं. अखाड़े और सियायत के पहलवान अपने पिता मुलायम सिंह यादव से विरासत में मिला धोबी पछाड़ दांव उन्होंने चल दिया है. 30 अप्रैल से चुनावी सभा की शुरुआत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र गोरखपुर से करने की घोषणा इसी रूप में देखी जा रही है. वह टिकट बंटवारे को लेकर रुठों को मनाने की जगह अपने फैसले को प्रभावी रूप से क्रियान्वन कराने पर एकाग्र हैं.
अखिलेश यादव चुनावी सभा से अधिक सोशल मीडिया के जरिए सरकार के कामकाज और नीतियों का खुलकर विरोध कर रहे हैं. कही कोई घटना हो जाए. भ्रष्टाचार का मामला सामने आए. कानून व्यवस्था की बात हो, बिना समय गंवाए पोस्ट जारी कर दे रहे हैं. भाजपा ने नगर निकाय चुनाव को लेकर गीत जारी किया है. अखिलेश ने उस गीत को लेकर भी अपनी आपत्ति दर्ज कराने में देरी नहीं की. सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया.
तब भ्रष्टाचार की खिड़की खुल गयी और साथ ही भाजपा की कलई भी जब 6 साल पहले ही बने भुपियामऊ ओवर ब्रिज के कंक्रीट के हिस्से गिरे।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) April 27, 2023
सपा के समय बने वर्ल्ड क्लॉस क्वॉलिटी के मार्ग हवाई जहाज़ का वज़न तक सह लेते हैं; वहीं भाजपा के भ्रष्टाचारी निर्माण, गाड़ी का वज़न भी नहीं सह पा रहे हैं। pic.twitter.com/qIisig6bqy