लखनऊ. पर्यावरण, वन, जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन विभाग वृक्षारोपण अभियान 2023 के तहत कई शहरों में नंदन वन विकसित करने जा रहा है.नन्दन वन में प्रकृति की व्यवहारिक शिक्षा, योग, ट्रैकिंग, पक्षी अवलोकन व फोटोग्राफी के माध्यम से मनोरंजन एवं वन स्नान (फॉरेस्ट बॉथिंग) का आनंद लिया जा सकेगा. वहीं पौधारोपण के लिए अधिक से अधिक लोगों को प्रेरित किया जा रहा है. वन विभाग 1901 नर्सरी के माध्यम से फ्री में पौध उपलब्ध कराएगा.वृक्षारोपण अभियान 2023 के तहत कई अन्य शहरों में भी नंदन वन विकसित किए जा रहे हैं. सरकार ने 2023 में 35 करोड़ पौधरोपण का लक्ष्य रखा है. उत्तर प्रदेश को हरा-भरा बनाने के लिए 14 सिटी में 351 नगर वाटिकाएं विकसित की गई हैं.
शहरों को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए योगी सरकार ने अधिक से अधिक पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है. प्रदूषण मुक्त वातावरण उपलब्ध करवाने व हरे-भरे वातावरण में कुछ क्षण विश्राम करने के लिए शहरों में हरियाली वृद्धि के लिए उपलब्ध रिक्त भूमि पर अधिक से अधिक पौध रोपित करने के साथ ही नंदन वन की स्थापना की जा रही है. हरियाली पुनर्स्थापित करने, हरा भरा वातावरण सृजित करने एवं वायु प्रदूषण को न्यूनतम करने के लिए शहरी क्षेत्रों में नगर वन, नगर वाटिका व नन्दन वन विकसित किए जा रहे हैं. वृक्षारोपण अभियान-2023 के अन्तर्गत प्रदेश में विकसित किए जा रहे नगर वाटिका व नन्दन वन में शहर निवासी प्राकृतिक वातावरण के मध्य प्रकृति की व्यवहारिक शिक्षा, योग, ट्रैकिंग, पक्षी अवलोकन व फोटोग्राफी के माध्यम से मनोरंजन एवं वन स्नान (फॉरेस्ट बॉथिंग) का आनन्द ले सकेंगे.
नन्दन वन में नन्दन का अर्थ है आनन्द देने वाला या प्रसन्न करने वाला. पुराणानुसार यह सब स्थानों में सुन्दर है. जहां सुखपूर्वक विहार किया जाता है. शहरों में इसकी स्थापना से शहरवासी इसमं घूमकर स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ आनन्द को प्राप्त करेंगे. शहरी क्षेत्र में बड़े व छोटे छत्र के वृक्ष प्रजाति (Tree Spp), झाड़ियों (Shrubs) व पौधों (Herb Spp) का सघन रोपण किया जाएगा. घने वन के रूप में नन्दन वन की स्थापना की जा रही है.
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शहरी क्षेत्र में हरीतिमा संवर्धन, वृक्षों व जैव विविधता के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने, क्षेत्र विशेष की महत्वपूर्ण वानस्पतिक प्रजातियों का संरक्षण, शहरवासियों को स्वच्छ व स्वस्थ पर्यावरण उपलब्ध कराने के मुख्य उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए नगर-निगम, नगर पालिका परिषद, नगर पालिका एवं शहरी स्थानीय निकायों के अन्तर्गत व 5 किलोमीटर परिधि में वन विभाग द्वारा 351 नगर वन व नगर वाटिका विकसित की गयी है. भारत सरकार द्वारा शत प्रतिशत वित्त पोषित योजना के अन्तर्गत विकसित किए गए नगर वन का न्यूनतम क्षेत्रफल 10 हेक्टेयर व अधिकतम क्षेत्रफल 50 हेक्टेयर है. शहर की घनी आबादी में न्यूनतम एक हेक्टेयर व अधिकतम 10 हेक्टेयर क्षेत्र में नगर वाटिकाएं विकसित की गई हैं.
प्रदेश के 14 जनपदों आगरा, फिरोजाबाद, झाँसी, कानपुर देहात, औरैया, गोरखपुर, हरदोई, हाथरस, कानपुर नगर, इटावा, रायबरेली, मुरादाबाद, अमरोहा एवं वाराणसी में 722 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 351 नगर वन व नगर वाटिकाएं विकसित की गई हैं.
आयुष वन विकसित करने के लिए (Trees and Shrubs) प्रत्येक जिला में ‘आयुष वन’ की स्थापना की जा रही है. इसके लिए नीम, अर्जुन, जामुन, बेल, आंवला, अशोक, बबूल, कैथा, इमली, पीपल, बरगद, गूलर, हरड़, बहेड़ा, लसोडा, सहजन, महुआ, बालम खीरा, कुसुम, शहतूत, मौलश्री, बेर, कड़ी पत्ता, करौंदा आदि तथा झाड़ी प्रजाति के नींबू, गुड़हल, चिरौंजी, अनार, किन्नू आदि का रोपण कराया जायेगा. आयुष वन की स्थापना विभागीय वृक्षारोपण क्षेत्र तथा आयुर्वेदिक कॉलेजों के परिसर में होगी.
– पेड़ लगाओ, पेड़ बचाओ, हर खेत पर मेड़ हर मेड़ पर पेड़, पेड़ रहेगा तो जीवन रहेगा आदि स्लोगन के माध्यम से जन मानस को जोड़ा जा रहा है.
– 22 जुलाई को एक ही दिन 30 करोड़ पौधों का रोपण होगा
– 15 अगस्त 2023 स्वतंत्रता दिवस पर 5 करोड़ पौधों का रोपण
– वन विभाग (1901 नर्सरी से निःशुल्क पौध उपलब्ध होगी
– नीम, सहजन, आंवला, इमली, अर्जुन, जामुन, बेल, देशी आम, महुआ, सागौन, शीशम, गुटेल, बांस, पीपल, पाकड़, बरगद के पौधे मिलेंगे
– 6.44 लाख आम, अमरूद, नीबू के पौध लगेंगे
– मालाबार नीम के 3.48 लाख पौधे रोपे जाएंगे
ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming- Climate Change) हो रहा है. इसी को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में 35 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा है. व्यापक जन आन्दोलन के माध्यम से वन भूमि,सामुदायिक भूमि व अन्य राजकीय भूमि, कृषि एवं अन्य निजी भूमि पर वृहद स्तर पर रोपण कराया जा रहा है. प्रदेश की हरित आवरण में वृद्धि, पर्याप्त वर्षा जल संचयन (Rain Water Harvesting), कार्बन अवशोषण, शुद्ध हवा, उपजाऊ मिट्टी व स्वच्छ जल की प्राप्ति एवं प्रदेश के कृषकों की आय में वृद्धि होगी.
डॉ अरूण कुमार सक्सेना , राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पर्यावरण, वन, जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन विभाग