National Family Health Survey Report: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण रिपोर्ट-5 में उत्तर प्रदेश में लिंगानुपात में सुधार हुआ है. अब प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या बढ़कर 1017 हो गई है. वर्ष 2015 की बात करें तो उस समय लिंगानुपात 995 था.
लिंगानुपात बढ़ने की वजह उत्तर प्रदेश में महिला सशक्तिकरण के अभियान को माना जा रहा है. इसके साथ ही, लोगों में जागरूकता भी बढ़ी है, जिससे महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा हुई है. प्रजनन दर में भी गिरावट दर्ज की गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे लेकर प्रदेश वासियों को बधाई दी है.
उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक, पिछले साढ़े चार वर्षों में महिला सुरक्षा और कन्या भ्रूण हत्या रोकने के प्रयास सफल साबित हुई है. 2015-16 में लिंगानुपात 995 था, जो 2020-21 में बढ़कर 1017 हो गया है.
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रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में पहले संस्थागत प्रसव 67.8 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 83.4 प्रतिशत हो गया है. परिवार नियोजन को लेकर भी लोग गंभीर हुए हैं. इसके अलावा, प्रसव पूर्व जांच की संख्या पहले 26.4 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 42.4 प्रतिशत पर पहुंच गया है. वहीं, बच्चों में संक्रमण दर पहले 15 प्रतिशत था, जो अब घटकर 5.6 प्रतिशत हो गया है.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट-5 के मुताबिक. यूपी में एनीमिया प्रभावित महिलाओं की संख्या में 5.1 प्रतिशत की कमी आयी है. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह कमी 1.8 प्रतिशत है. प्रदेश में सामान्य से कम वजन के बच्चों के मामलों में 7.4 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है, जो राष्ट्रीय स्तर पर 3.7 प्रतिशत से ज्यादा है.
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रिपोर्ट में बताया गया है कि स्वच्छ ईंधन का उपयोग करने वाले परिवारों की संख्या बढ़ी है. 2015-16 में ऐसे परिवारों का प्रतिशत 32.7 था, जो 2020-21 में बढ़कर 49.5 हो गया है. वहीं स्वच्छता सुविधाओं में यह प्रतिशत 36.4 प्रतिशत से बढ़कर 68.8 प्रतिशत हो गया है.
Posted By: Achyut Kumar