Muzaffarnagar School Incident: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में छात्र की पिटाई के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने घटना का संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किया है.
आयोग ने यूपी के इन दोनों वरिष्ठ अफसरों से चार हफ्ते में पूरे घटनाक्रम की विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. इसमें दोषी शिक्षक पर हुई कार्रवाई, एफआईआर की वर्तमान स्थिति और पीड़ित छात्र को मुआवजा देने के बारे में जानकारी तलब की गई है. इसके साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में भी पूछा गया है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मीडिया में आई खबरों का संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया है. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद स्कूल प्रबंधन और शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की मांग होने लगी थी. आयोग ने इस प्रकरण को मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन माना है. नोटिस में दी गई जानकारी के मुताबिक आरोपी शिक्षक को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है. स्कूल शिक्षा विभाग के मानदंडों को पूरा नहीं करता है.
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मुजफ्फरनगर के खब्बूपुर गांव में स्थित नेहा पब्लिक स्कूल का बीते दिनों वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें एक छात्र को पांच का पहाड़ा नहीं सुनाने पर महिला शिक्षक तृप्ता त्यागी को उसके सहपाठियों से बुला-बुलाकर थप्पड़ लगवाते देखा गया था. इसी दौरान जातीय टिप्पणी का भी आरोप है. प्रकरण के दौरान पीड़ित छात्र के चचेरे भाई ने वीडियो बना ली. वीडियो के वायरल होते ही देशभर से प्रतिक्रियाएं आने लगीं और महिला शिक्षक की गिरफ्तारी की मांग उठ रही है.
मामला तूल पकड़ने के बाद पीड़ित छात्र के परिवार की शिकायत के आधार पर महिला शिक्षक तृप्ता त्यागी के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए सजा) और 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत मामला दर्ज किया गया था. त्यागी ने अपने बचाव में कहा कि इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने के लिए वीडियो के साथ छेड़छाड़ की गई है.
उसने दावा किया कि वीडियो छात्र के चाचा ने शूट किया था. हालांकि महिला शिक्षक ने माना कि छात्र को उसके सहपाठियों से थप्पड़ लगवाना गलत था, लेकिन उसे ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि वह दिव्यांग हैं और खड़े होकर उस छात्र तक पहुंचने में सक्षम नहीं थीं.
उधर कहा जा रहा है कि पीड़ित छात्र का गांव के ही सरकारी प्राथमिक स्कूल में दाखिला कराया जा रहा है. बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) शुभम शुक्ला ने मीडिया को बताया कि पीड़ित छात्र के पिता नहीं चाहते कि उनका बेटा नेहा पब्लिक स्कूल में अपनी पढ़ाई जारी रखे. बीएसए ने बताया कि खंड शिक्षा अधिकारी ने छात्र से बात की थी जिसमें उसने गांव के ही सरकारी प्राइमरी स्कूल में पढ़ने की इच्छा जाहिर की थी लिहाजा प्राइमरी स्कूल में उसका दाखिला कराया जाएगा, बशर्ते उसका परिवार ऐसा करने को तैयार हो.
इसके साथ ही स्कूल प्रशासन को घटना के सिलसिले में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. इसमें उत्तर नहीं देने पर स्कूल की मान्यता खत्म करने की चेतावनी दी गई है. बीएसए ने कहा कि स्कूल को इस मामले में अपना स्पष्टीकरण देने के लिए एक महीने का समय दिया गया है. स्कूल बंद नहीं रहेगा और सामान्य शिक्षण गतिविधियां जारी रहेंगी. स्कूल में तीन शिक्षक हैं.
यह पूछे जाने पर कि महिला शिक्षक तृप्ता त्यागी अब पढ़ाएंगी या नहीं, बीएसए ने कहा कि यह उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई पर निर्भर करता है. बीएसए ने नेहा पब्लिक स्कूल को बंद करने का कोई आदेश जारी किए जाने से इनकार करते हुए कहा कि स्कूल प्रशासन को सिर्फ कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. अगर अभी स्कूल बंद करने की बात है तो यह फैसला सिर्फ स्कूल प्रशासन ही लेगा.
वहीं इस घटना के बाद पीड़ित छात्र के दादा सदमे में हैं. बताया जा रहा है कि उन्होंने खाना भी छोड़ दिया है. दादा का कहना है कि बच्चे को रोता देखकर वह बेहद आहत हो गए हैं. कुछ लोग दबाव बना रहे हैं. लेकिन, हम किसी दबाव में नहीं आएंगे.
समाज का सम्मान करते हैं. लेकिन, कानूनी लड़ाई लड़ेंगे. कानून सबको बराबरी का हक देता है. उनके रोने का भी वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह भाकियू की टोपी लगाए हुए बैठे हैं. बुजुर्ग ने कहा कि समाज में सब बराबर हैं. गांव में कभी भेदभाव नहीं हुआ, लेकिन बच्चे के साथ जो हुआ उसका बेहद दुख है.
पीड़ित बच्चे की मां ने मामले में प्रशासन की कार्रवाई पर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि महिला शिक्षक पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. उनका बच्चा घटना के बाद से सहमा हुआ है. पीड़ित की मां ने महिला शिक्षक पर सख्त से सख्त कार्रवाई किए जाने की मांग की.