लखनऊ. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को एक निजी स्कूल शिक्षक के खिलाफ जांच शुरू करने और प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है. जिसने अपनी कक्षा में बच्चों को एक-एक करके एक छात्र को मारने का निर्देश दिया था. एसएसपी को एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई कर रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया गया है. इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. इसके साथ ही एनसीपीसीआर ने मुजफ्फरनगर के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) को आरटीई अधिनियम, 2009 की धारा 17 (बच्चे को शारीरिक दंड/मानसिक उत्पीड़न) के तहत मामले में कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है.
कथित वीडियो में शिक्षक, छात्र के मुस्लिम विश्वास का जिक्र करते हुए और “मुस्लिम बच्चों” के बारे में अपमानजनक रूप से बात करते हुए दिखाई दे रही है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने वीडियो के आधार पर स्वत: संज्ञान लिया है. एनसीपीसीआर ने कहा है कि “नाबालिग छात्र को जिला मुजफ्फरनगर में स्थित एक स्कूल में शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न का शिकातर होता देखा गया है . ’’
जेजे अधिनियम की धारा 75 में कहा गया है कि “यदि ऐसा अपराध किसी ऐसे संगठन में कार्यरत या प्रबंधन करने वाले व्यक्ति द्वारा किया जाता है, जिसे बच्चे की देखभाल और सुरक्षा सौंपी गई है, तो उसे कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा जो पांच साल तक बढ़ सकता है.” जुर्माना जो पांच लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है.” आयोग ने आगे कहा है कि चूंकि उत्पीड़ित बच्चे और इसमें शामिल अन्य बच्चों को सुरक्षा की जरूरत है. इसलिए पीड़ित और कक्षा के अन्य बच्चों दोनों को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया जाए . सभी बच्चों को सुरक्षा प्रदान की जाए. बच्चों को “आवश्यक परामर्श” प्रदान करने का आदेश है.
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आयोग ने डीएम से स्कूल की मान्यता जांचने को भी कहा है साथ ही मान्यता का प्रमाणपत्र देने को कहा है. साथ ही पांच साल में बच्चों के लिए क्या किया गया इसकी भी रिपोर्ट मांगी है.यह घटना मंसूरपुर पुलिस थाने के अंतर्गत आने वाले खुब्बापुर गांव में गुरुवार को नेहा पब्लिक स्कूल में हुई, जहां शिक्षिका तृप्ता त्यागी ने छात्रों को धर्म विशेष से आने वाले पीड़ित छात्र के पास जाने और उसे थप्पड़ मारने का आदेश दिया.