लखनऊ: 1 जुलाई 2024 से देश में नए आपराधिक कानून (New Criminal Laws 2024) लागू होंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नए कानून लागू करने के संबंध में हुई प्रगति की समीक्षा की. इनको लागू करने और इनसे संबंधित सभी स्टेक होल्डर्स को इनके प्रति जागरूक करने के निर्देश भी दिए. कानून में नए बदलाव विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की अवधारणा के अनुरूप है. इन बदलावों में अधिकतम सुशासन, पारदर्शिता, संवेदनशीलता, जवाबदेही, बच्चों और महिलाओं के हित पर खासा ध्यान दिया गया है.
दंड की जगह न्याय पर फोकस
नए कानून में (New Criminal Laws 2024) में खासतौर से दंड की जगह न्याय पर सारा फोकस रखा गया है. शीघ्र न्याय मिले इसके लिए नीचे से ऊपर तक जांच और साक्ष्य के लिए आधुनिकतम तकनीक को शामिल किया गया है. किसी भी मामले न्याय मिलने की सीमा तय होगी. छोटे मामलों के निस्तारण के लिए पहली बार कम्यूनिटी सर्विसेज की शुरुआत की जाएगी. अकेले इस बदलाव से सेशन कोर्ट में ही 40 फीसदी मुकदमों का निस्तारण हो जाएगा.
ये हैं महत्वपूर्ण बदलाव
-नए क्रिमिनल जस्टिस (New Criminal Laws 2024) में राजद्रोह का कानून खत्म कर दिया गया है. लेकिन भारतीय संप्रभुता का किसी भी तरह विरोध करने वालों के लिए कड़े दंड का प्रावधान किया गया है.
-देश की प्रमुख समस्याओं में से एक आतंकवाद को परिभाषित करते हुए दंड की व्यवस्था की गई है.
-संगठित अपराध और मॉब लीचिंग को पहली बार परभाषित किया गया है.
-महिलाओं के लिए चेन और मोबाइल छीनैती कानून व्यस्था के लिए बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है. जिस भी महिला के साथ ऐसी घटना होती है, वो शॉक्ड रह जाती है. इस छीना झपटी में महिला को गंभीर चोट भी आती है. जो जानलेवा या अपंगता का कारण बन सकती है. इसके लिए भी पहली बार नए कानून लाए गए हैं.
-लालच, दबाव और डर की वजह से गवाहों के लिए नए कानूनों में सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया गया है. तकनीक के जरिए परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर जोर दिया गया है. जिससे गवाह मुकर भी नहीं पाएंगे. इससे पुलिस भी पूरी प्रक्रिया के दौरान जवाबदेह बनेगी. पुलिस अपने अधिकारों का बेजा इस्तेमाल नहीं कर सकेगी.
क्रिमिनल जस्टिस के नए युग की शुरुआत होगी
नए कानून में 313 धाराओं में बदलाव किए गए हैं. जो धाराएं अप्रासंगिक हो गई थीं, उनको हटा दिया गया. कुछ में नई टाइमलाइन भी जोड़ी गई है. इन बदलावों से देश गुलामी के प्रतीकों से मुक्त होगा. इसकी खासियत और खूबसूरती ये है कि भारत द्वारा, भारतीयों के लिए और भारतीय संसद से निर्मित कानूनों से चलेगा.
दंड की न्याय, पारदर्शिता और स्पीडी ट्रायल पर होगा खासा जोर
नए आपराधिक कानूनों में दंड की जगह न्याय के साथ पारदर्शिता और स्पीडी ट्रायल के लिए तकनीक पर खासा जोर होगा. पुख्ता जांच के लिए हर जिले में फॉरेंसिक लैब की स्थापना की जाएगी. समय बचाने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग को भी तरजीह दी जाएगी. डेटा एनालिटिक्स, साक्ष्यों के संकलन, ई-कोर्ट, दस्तावेजों के डिजिटाइजेशन में तकनीक का उपयोग किया जाना है. इसके लिए जरूरी तकनीकी बदलाव किया गया है.
ये होंगे बदलाव
1 जुलाई से जो नए कानून लागू होंगे, उसमें भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह भारतीय न्याय संहिता कहा जाएगा. भारत दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम कहा जाएगा. ये सारे बदलाव दंड की जगह न्याय पर आधारित हैं. साथ ही नए कानून में हत्या, दुष्कर्म, डकैती धाराएं भी बदलेंगी.