लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ता अब कानूनी रूप से यूपी पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) द्वारा सेवाओं के वितरण में चूक के लिए मुआवजे का दावा कर सकते हैं. यानि विद्युत उपभोक्ता की समस्या का समाधान समय सीमा के अंदर नहीं करने पर बिजली कंपनी को उसे मुआवजा देना होगा. मुआवजा की राशि अलग- अलग सेवा के आधार पर अलग अलग निर्धारित की गयी है. मुआवजा की दावा से लेकर भुगतान करने तक की प्रक्रिया पूरी तरह से आनलाइन होगी. बिजली कंपनी को उपभोक्ता के बिल की राशि की कटौती कर उसका भुगतान करेंगी. अब पूर्वांचल, मध्यांचल, दक्षिणांचल, पश्चिमांचल और केस्को कानपुर के एमडी को पत्र लिखा गया है.
यूपीईआरसी के एक अधिकारी ने कहा,”यूपीपीसीएल के अध्यक्ष एम देवराज ने यूपीईआरसी को सूचित किया है कि निगम ने पूरे राज्य में एक ऑनलाइन सॉफ्टवेयर के माध्यम से मुआवजा कानून लागू किया है.” इस संबंध में यूपीपीसीएल के अध्यक्ष एम देवराज द्वारा जारी आदेश के अनुसार निर्धारित समय सीमा के भीतर शिकायत का समाधान नहीं होने की स्थिति में उपभोक्ता सेवा में चूक की शिकायत के साथ-साथ निगम के 1912 टोल-फ्री नंबर पर अपना मुआवजा का दावा दर्ज करा सकते हैं. मुआवजा के लिए दावा करने वाले संबंधित उपभोक्ता को मुआवजा संख्या अलग से ऑनलाइन जनरेट की जाएगी.दावा भी ऑनलाइन किया जाएगा.
यूपीपीसीएल प्रमुख ने अपने आदेश में कहा, शिकायत दर्ज करने की तारीख से अधिकतम 60 दिनों के भीतर सभी पात्र शिकायतकर्ताओं को मुआवजा प्रदान किया जाएगा. सेवाओं के वितरण के लिए अधिकतम समय तय करते हुए दिसंबर 2019 में यूपीईआरसी द्वारा मानक के प्रदर्शन विनियमों को अधिसूचित किया गया था. इसने डिफॉल्ट के मामले में डिस्कॉम पर जुर्माना लगाने का भी प्रावधान किया. उपभोक्ताओं द्वारा दावा किए गए मुआवजे की राशि अलग-अलग सेवा चूकों के लिए अलग-अलग होगी.यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि कानून के कार्यान्वयन से उपभोक्ताओं को बेहतर और समयबद्ध सेवाएं प्राप्त करने में मदद मिलेगी. वर्मा ने कहा,’हम लंबे समय से डिस्कॉम से मुआवजा कानून लागू करने की मांग कर रहे थे.’
ब्रेक डाउन, केबिल फाल्ट, ट्रांसफार्मर जलने पर बिजली न आना, बिल में गलती, नया कनेक्शन समय से नहीं मिला लोड घटाने या बढ़ाने की जुड़ी समस्या का समय से निस्तारण न होने पर मुआवजा दिया जाएगा. मुआवजा की राशि फिक्स्ड चार्ज की 30 फीसदी के करीब होगी. यानि यदि किसी ने एक किलोवाट का कनेक्शन लिया है. वह वह एक महीने में 100 रुपये प्रति किलोवाट फिक्स्ड चार्ज देता है तो उसे एक साल में अधिकतम मुआवजा 360 रुपये मिलेगा.