UP Chunav 2022: आरक्षण की उम्मीद से आया निषाद समाज निराश, घोषणा न होने से लगाया नारा आरक्षण नहीं तो वोट नहीं

कांग्रेस नेता लौटन राम निषाद ने कहा निषाद पार्टी-भाजपा की संयुक्त रैली में आरक्षण के नाम पर जुटाई गयी थी भीड़, निषाद जातियों को अनुसूचित जातियों में शामिल करने की होनी थी घोषणा

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 17, 2021 6:42 PM

UP Election: राष्ट्रीय निषाद संघ (एनएएफ) के राष्ट्रीय सचिव व कांग्रेस नेता चौधरी लौटनराम निषाद का कहना है कि आरक्षण के नाम पर निषाद पार्टी-भाजपा की संयुक्त रैली में बुलाई गयी भीड़ के हाथ निराशा हाथ लगी. निषाद पार्टी-भाजपा की संयुक्त रैली में निषाद जातियों के आरक्षण की घोषणा के नाम पर भीड़ जुटाई गई.

प्रचारित किया गया था कि रैली के मंच से गृहमंत्री अमित शाह व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ निषाद जातियों को अनुसूचित जातियों में शामिल करने की घोषणा करेंगे. लेकिन दोनों नेताओं ने आरक्षण के बारे में एक शब्द भी नहीं बोला.

चौधरी लौटन राम निषाद ने रैली के बाद जारी बयान में कहा कि निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद ने आरक्षण का झूठा सपना दिखाकर लोगों को बुलाया. जिस तरह संजय निषाद ने 17 फरवरी 2014 को आरक्षण का लालच दिखाकर मुख्यमंत्री आवास पर भेजकर समाज के लोगों को पिटवाया था, उसी तरह का झूठा सब्जबाग दिखाकर रमाबाई पार्क में भीड़ बुलायी गई थी.

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उन्होंने कहा कि संभावना थी कि गृहमंत्री अमित शाह मझवार (मल्लाह, केवट, मांझी, बिंद), तुरैहा (तुराहा, तुरहा, धीवर, धीमर) व गोंड़ (गोड़िया, धुरिया, कहार, रैकवार, बाथम) को परिभाषित कर अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ दिलाने की मंच से घोषणा करेंगे. लेकिन आरक्षण की घोषणा न करने से आक्रोशित भीड़ ने आरक्षण नहीं तो वोट नहीं का नारा लगाया.

लौटन राम निषाद ने कहा कि निषादों को बालू, मौरंग, खनन, मत्स्य पालन पट्टा व नौका फेरी घाट पट्टा का अधिकार दिया गया था, उसे कल्याण सिंह की सरकार ने खत्म कर सार्वजनिक कर दिया. मुख्यमंत्री ने कहा भाषण में कहा कि भाजपा ने निषादों को मत्स्य पालन आदि का अधिकार दिया, यह बिल्कुल गलत है. योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनते ही निषादराज व कश्यप ऋषि जयंती के सार्वजनिक अवकाश को खत्म कर दिया.

कांग्रेस की सरकार ने 1985 से मछुआ आवास योजना शुरू की थी. जिसे योगी सरकार ने 2017 में खत्म कर दिया. ई-टेंडरिंग की व्यवस्था कर बालू खनन व मौरंग निकासी के कार्य में निषाद जातियों की प्राथमिकता को खत्म कर दिया. भाजपा श्रीराम-निषादराज की मित्रता के नाम पर सिर्फ वोटबैंक की राजनीति करती है. योगी सरकार ने मछुआरों के सभी परंपरागत पुश्तैनी पेशों को छीनकर माफियाओं का कब्जा करा दिया है.

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