UP News: दारुल उलूम देवबंद के प्रबंधक को नोटिस जारी, छात्रों के अंग्रेजी पढ़ने पर रोक लगाने के फैसले पर एक्शन

UP News: उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग ने दारुल उलूम देवबंद के प्रबंधक को नोटिस जारी किया हूं. आयोग ने दारुल उलूम देवबंद के शिक्षा विभाग के अध्यक्ष को इस्लामिक मदरसा द्वारा जारी एक नोटिस पर तलब किया है.

By Radheshyam Kushwaha | June 16, 2023 3:14 PM

लखनऊ. उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग ने दारुल-उलूम देवबंद की ओर से अन्य संस्थानों में छात्रों के अंग्रेजी आदि विषय पढ़ने पर रोक लगाने के फैसले पर एक्शन लिया है. आयोग ने दारुल उलूम देवबंद के शिक्षा विभाग के अध्यक्ष को इस्लामिक मदरसा द्वारा जारी एक नोटिस पर तलब किया है. सहारनपुर स्थित देवबंद के नाजिम मजलिस तालीमी (शिक्षा विभाग के प्रबंधक) को 21 जून 2023 को दोपहर 12 बजे आयोग के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया है.

जानें उलमा ने क्या कहा…

उलमा ने ये भी माना कि हर संस्थान के अपने उसूल और व्यवस्था होती है. कोई भी संस्थान अपने छात्र को किसी दूसरी जगह से शिक्षा लेने की इजाजत नहीं देता है. उनका ये भी कहना है कि साजिश के तहत दारुल उलूम देवबंद के आदेश को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. वहीं उलमा ने साफतौर पर कहा कि अंग्रेजी या किसी भी भाषा की शिक्षा हासिल करना इस्लाम के खिलाफ नहीं है.

आयोग ने लिया संज्ञान

जारी एक बयान में आयोग के सचिव शकील अहमद सिद्दीकी ने कहा कि सोशल मीडिया से उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष को ज्ञात हुआ है कि मदरसे में शिक्षा लेने के दौरान ये छात्र-छात्राएं किसी अन्य माध्यम (अंग्रेजी) में शिक्षा नहीं ले सकते. आयोग ने 15 जून को जारी इस बयान में यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम-1994 की धारा 15 के अंतर्गत आयोग के किसी आदेश या निर्देश की अवहेलना करना आईपीसी के विभिन्न प्रावधानों के तहत दंडनीय अपराध है.

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दारुल उलूम देवबंद ने उर्दू में जारी किया था आदेश

जानकारी के अनुसार, दारुल उलूम देवबंद ने कहा उर्दू में आदेश जारी कर कहा था कि विद्यार्थी कोचिंग सेंटरों में पाठ्यक्रम की पढ़ाई जब करते हैं तो उनकी शिक्षा प्रभावित होती है. इसलिए उसने यह प्रतिबंध लगाया है. दारुल उलूम देवबंद ने आदेश में कहा था कि विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि दारुल उलूम देवबंद में पढ़ाई के दौरान कोई अन्य पाठ्यक्रम (अंग्रेजी आदि) की अनुमति नहीं होगी. यदि विश्वसनीय स्रोतों से उनका आचरण सिद्ध होता है तो उन विद्यार्थियों को बाहर कर दिया जाएगा.

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