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यूपी में अब सरकारी डॉक्टरों की नहीं चलेगी मनमानी, मरीजों को प्रिस्क्रिप्शन में लिखनी होगी केवल जेनरिक दवाएं

यूपी की जनता को सस्ता एवं गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए सीएम योगी की ओर से लगातार हेल्थ डिपार्टमेंट को दिशा-निर्देश दिये जाते हैं. इसी क्रम में मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी राजकीय चिकित्सालयों के डॉक्टरों को निर्देश जारी किए गए हैं.

Lucknow : उत्तर प्रदेश की जनता को सस्ता एवं गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए योगी सरकार की तरफ से लगातार हेल्थ डिपार्टमेंट को दिशा-निर्देश दिये जाते हैं. इसी क्रम में मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रदेश के सभी राजकीय चिकित्सालयों के डॉक्टरों को निर्देश जारी किये गए हैं कि वो अब प्रिस्क्रिप्शन में जेनेरिक दवाओं के नाम ही लिखेंगे. सभी चिकित्सकों को निर्देशित किया गया है कि इसका अनुपालन सुनिश्चित किया जाए कि वे दवाईयों को जेनेरिक नाम से ही अपने प्रिस्क्रिप्शन में लिखें.

इसके साथ ही अस्पतालों में साफ-सफाई रखी जाए और उसका नियमित रूप से पालन किया जाए. साथ ही कहा गया है कि हर महीने अस्पताल के क्रिटिकल परफारमेंस के पैरामीटर का विश्लेषण भी होगा. प्रमुख सचिव स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने राजकीय चिकित्सालयों में बेहतर व्यवस्था के लिए निर्देश जारी किए हैं.

उन्होंने निर्देश दिए कि प्रत्येक निदेशक, प्रमुख चिकित्साधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी और अधीक्षक हर महीने न केवल अस्पताल के क्रिटिकल परफारमेंस के पैरामीटर का विश्लेषण करें, बल्कि चिकित्सकवार भी इसका विश्लेषण करें कि प्रत्येक ऐसे चिकित्सक, जिनके द्वारा ओपीडी सर्जरी की जा रही हैं, उनके द्वारा कितने मरीज देखे जा रहे हैं.

आई ट्रिपल सी से होगी 108 अस्पतालों की मॉनिटरिंग

प्रमुख सचिव ने निर्देश हैं कि केयर ऐप (Care App) में नियमित रूप से प्रत्येक सोमवार को उपकरणों की क्रियाशीलता का डाटा उपलब्ध कराया जाए. इसके बाद जहां कहीं भी कोई उपकरण लंबे समय तक क्रियाशील नहीं रहता है तो सीधे अपर निदेशक, विद्युत से संपर्क किया जाए. उन्होंने कहा कि शीघ्र ही 108 अस्पतालों की मॉनीटरिंग एकीकृत कोविड कमाण्ड सेन्टर (ICCC) के माध्यम से किया जाएगा.

इन अस्पतालों में महत्वपूर्ण जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लग चुके हैं और प्रत्येक कैमरे से क्या देखा जाना है, उसकी एसओपी का निर्धारण भी हो चुका है. उन्होंने निर्देश दिए हैं कि समस्त प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक न केवल यह सुनिश्चित करेंगे कि सीसीटीवी हर समय क्रियाशील रहें, बल्कि अपने स्तर पर भी यह सुनिश्चित करेंगे कि पॉइन्ट वाइज SOP का अनुपालन हो.

साइन बोर्ड के जरिए उपलब्ध दवाओं को दर्शाया जाए

प्रमुख सचिव ने निर्देश दिए कि मानक के अनुसार जो दवाइयां जनपद के ड्रग वेयर हाउस में उपलब्ध हैं, उनको, यदि कोई उपयुक्त कारण न हो, तो अस्पताल में प्राप्त करना और मरीजों को उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाए. उन्होंने निर्देश दिए कि दवाइयों की उपलब्धता एक साईन बोर्ड के माध्यम से दवाइयों के काउंटर के पास ऐसे प्रदर्शित की जाए कि आम जनता उसको आसानी से देख सके. साईन बोर्ड को नियमित रूप से अपडेट रखा जाए.

भोजन की गुणवत्ता चेक करें अधिकारी- प्रमुख सचिव

प्रमुख सचिव ने निर्देश दिए कि आपातकालीन क्षेत्र में चिकित्सक एवं पैरामेडिकल स्टॉफ की पर्याप्त ड्यूटी लगायी जाये और वहां मरीजों के लिए एंबुलेंस, व्हीलचेयर, स्ट्रेचर और आवश्यक दवाइयों और उपकरणों इत्यादि की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये. आईपीडी वार्ड में जो भोजन उपलब्ध कराया जाता है, उसकी गुणवत्ता की जांच नियमित रूप से की जाये और मरीजों एवं उनके तीमारदारों से टेस्टीमोनियल रिकॉर्ड किया जाये और संबंधित लोगों से भी साझा किया जाये.

10 दिन में डीजी हेल्थ को भेजें पूरी रिपोर्ट

उन्होंने निर्देश दिये कि रोगी कल्याण समिति में जो भी धनराशि उपलब्ध है उसका मरीजों की भलाई के लिए उपयोग किया जाये और उससे मरीजों के हित में अस्पताल की छोटी-मोटी कमियों को दूर कराया जाये. रोगी कल्याण समिति में सीएसआर अथवा स्थानीय संपन्न व्यक्तियों से डोनेशन के माध्यम से सहायता प्राप्त करने का प्रयास किया जाये. उन्होंने निर्देशित किया है कि निर्देशों का अनुपालन कर 10 दिन के अन्दर करते हुए आख्या डीजी, चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं को उपलब्ध करायी जाए.

वार्ड में उपलब्ध कराए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता चेक करें

प्रमुख सचिव ने निर्देश दिए कि आपातकालीन क्षेत्र में चिकित्सक एवं पैरामेडिकल स्टॉफ की पर्याप्त ड्यूटी लगायी जाये और वहां मरीजों के लिए एंबुलेंस, व्हीलचेयर, स्ट्रेचर और आवश्यक दवाइयों और उपकरणों इत्यादि की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये. आईपीडी वार्ड में जो भोजन उपलब्ध कराया जाता है, उसकी गुणवत्ता की जांच नियमित रूप से की जाये और मरीजों एवं उनके तीमारदारों से टेस्टीमोनियल रिकॉर्ड किया जाये और संबंधित लोगों से भी साझा किया जाये.

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