उत्तर प्रदेश के स्कूलों में स्टूडेंट्स और टीचर्स अब मोबाइल फोन का प्रयोग परिसर में नहीं कर सकेंगे. यदि वे मोबाइल फोन का उपयोग करते हुए पकड़े गए तो दंड दिया जाएगा. पहले चेतावनी व जुर्माना होगा और यदि इसके बाद भी इनके पास मोबाइल मिला तो निष्कासन किया जाएगा. नर्सरी से इंटरमीडिएट तक के स्कूलों में टीचर्स अपना मोबाइल फोन प्रिंसिपल ऑफिस में जमा करेंगे. हालांकि, प्रिंसिपल व प्रशासनिक पदों पर कार्यरत टीचर्स को इस नए नियमों के दायरे से बाहर रखा जाएगा. टीचर्स को इमरजेंसी में मोबाइल फोन प्रयोग करने के लिए प्रिंसिपल के तरफ से छूट दी जाएगी.
दरअसल, महानिदेशक, स्कूल शिक्षा कार्यालय में माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा इसके लिए बनाई गई 11 सदस्यीय कमेटी की बैठक में तमाम बिंदुओं पर चर्चा की गई. बैठक में संयुक्त शिक्षा निदेशक (लखनऊ मंडल) प्रदीप कुमार ने स्कूल में मोबाइल फोन पर सख्ती के साथ प्रतिबंध लगाने पर चर्चा की और इसको नियमावली में व्यवस्थित करने की बात कही. वहीं कमेटी के सदस्य व अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने कहा कि प्रिंसिपल, टीचर्स व स्कूल मैनेजमेंट के लिए नियम बनाने के साथ अभिभावकों की भी जवाबदेही तय की जाए. स्कूल में कोई घटना होने पर उसकी जांच डिप्टी एसपी या उससे ऊपर के अधिकारी से कराई जाए. अभी थानेदार जांच के लिए बुलाते हैं और उनका बर्ताव ठीक नहीं रहता. अगर आरोप झूठे पाए जाएं तो अभिभावक के खिलाफ भी कार्रवाई की व्यवस्था की जाए. घर से स्कूल आने और स्कूल से वापस घर जाने के दौरान यदि रास्ते में कोई घटना छात्र के साथ हुई हो तो उसके लिए विद्यालय प्रबंधन को जिम्मेदार न ठहराया जाए.
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बता दें कि कुछ दिनों पहले वाराणसी के बीएचयू स्थित एक केंद्रीय विद्यालय के कक्षा 9वीं के छात्र ने आत्महत्या कर ली थी. छात्र के परिवार वालों का आरोप है कि उनका बेटा स्कूल मोबाइल लेकर गया था. जिसपर टीचर ने डांट लगाई थी. इतना ही नहीं उसे 7 दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया गया था. जिसकी वजह से वह डर गया था और उसने घर में आत्महत्या कर ली. वहीं अब अपने बेटे को इंसाफ दिलाने के लिए परिवारवालों ने सुबह स्कूल के गेट पर धरना दिया. इनकी मांग ती कि प्रिंसिपल और वाईस प्रिंसिपल को सस्पेंड किया जाए और उनके खिलाफ कार्रवाई हो. हालांकि पुलिस के समझाने के बाद इन्होंने धरना खत्म कर दिया था.
दरअसल, 14 साल का मयंक अपने साथ मोबाइल लेकर के स्कूल आ गया था. मोबाइल की वजह से उसे स्कूल में डांट पड़ी. साथ ही उसके माता-पिता को बुलाकर स्कूल प्रशासन ने चेतावनी दी और उसे 7 दिन के लिए सस्पेंड कर दिया था. स्कूल की इस कार्रवाई पर उसके माता पिता ने माफी मांगी लेकिन स्कूल ने अपना दंड कम नहीं किया. मयंक के पिता सन्तोष यादव ने कहा कि मैं ड्यूटी कर रहा था. अचानक मैडम का फोन आया और स्कूल बुलाया गया. उन्होंने कहा कि बच्चों को यही सिखाए है कि मैडम का वीडियो बनाएं. मैंने कहा मेरा बेटा ऐसा नहीं कर सकता है. मैंने कहा ठीक है माफ कर दीजिए. लेकिन दूसरे दिन उन्होंने मेरे पत्नी को बुलाया. पत्नी को भेजा तो उन्हें भी जलील किया गया था.