सुभासपा और भाजपा गठबंधन पर लगी मुहर, अमित शाह ने NDA में किया स्वागत, ओमप्रकाश राजभर बोले- कब तक इंतजार करता
अमित शाह ने कहा कि ओमप्रकाश राजभर के आने से उत्तर प्रदेश में एनडीए को मजबूती मिलेगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए के गरीबों व वंचितों के कल्याण के लिए किए जा रहे प्रयासों को और बल मिलेगा. वह एनडीए की 18 जुलाई की मीटिंग में शामिल होंगे.
Lucknow: यूपी में लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की सियासी दोस्ती की पुष्टि हो गई. गृह मंत्री अमित शाह और सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की नई दिल्ली में मुलाकात के बाद इस गठबंधन पर मुहर लगी. अमित शाह और ओमप्रकाश राजभर दोनों ने रविवार को ट्वीट कर इसकी जानकारी दी.
अमित शाह ने रविवार को ट्वीट किया कि सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर से दिल्ली में भेंट हुई और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में आने का निर्णय किया. मैं उनका एनडीए परिवार में स्वागत करता हूं.
उन्होंने कहा कि ओमप्रकाश राजभर के आने से उत्तर प्रदेश में एनडीए को मजबूती मिलेगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए के गरीबों व वंचितों के कल्याण के लिए किए जा रहे प्रयासों को और बल मिलेगा. वह एनडीए की 18 जुलाई की मीटिंग में शामिल होंगे.
इसके बाद ओमप्रकाश राजभर ने भाजपा और सुभासपा के साथ आने का ट्वीट किया. उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय देश की रक्षा- सुरक्षा, सुशासन वंचितों, शोषितों, पिछड़ों, दलितों, महिलाओं, किसानों, नौजवानों, हर कमजोर वर्ग को सशक्त बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी मिलकर लड़ेगी.
ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में भेंट हुई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में शामिल होने का पार्टी ने निर्णय किया. ओमप्रकाश राजभर ने इसके लिए प्रधानमंत्री, गृह मंत्री सहित पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार जताया है.
ओमप्रकाश राजभर ने विपक्षी एकता को लेकर दिए अपने पूर्व में दिए बयान पर भी प्रतिक्रिया व्यक्त की. उन्होंने कहा कि हमारी ओर से लगातार इंतजार किया जा रहा था कि ये लोग साथ आएं. लेकिन अखिलेश यादव सोचते हैं कि हम बड़े, मायावती सोचती हैं कि हम बड़े. आखिर हम कितने दिन इंतजार करते. उधर से कोई रिस्पॉन्स नहीं आया. हम लोग देश हित में गरीब, कमजोर, वंचित, शोषितों की लड़ाई लड़ने वाले लोग हैं. इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इसके लिए साथ आए हैं.
सुभासपा अध्यक्ष ने कहा कि विपक्ष को भाजपा से सीखना चाहिए. भाजपा देश में छोटी-छोटी जातियों की लीडरशिप को पकड़कर सत्ता में आगे बढ़ रही है और विपक्ष के नेता अकेले लड़ने की बात कर रहे हैं. ऐसे में मुकाबला संभव नहीं है.
उन्होंने कहा कि भाजपा और सुभासपा मिलकर अब दलितों, पिछड़ों और वंचितों की लड़ाई को लड़ेंगे. दोनों दलों के साथ आने से यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर अब कोई लड़ाई नहीं बची है. विपक्ष चाहे जितना हल्ला कर ले, मोर्चा बना ले, धरात पर कुछ नहीं बचा है. उन्होंने एनडीए के सभी सीटों पर जीतने का दावा किया.
हालांकि सुभासपा को कितनी सीटें दिए जाने की बात पर ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि 18 जुलाई को एनडीए की नई दिल्ली में बैठक बुलाई गई है. इसमें भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की ओर से उन्हें भी आमंत्रण दिया गया है. सीटों को लेकर बातें आगे तय होंगी.
ओमप्रकाश राजभर के एनडीए में शामिल होने पर सपा प्रवक्ता राजपाल कश्यप ने कहा कि उनका कोई भरोसा नहीं है कि वह कब कहां चले जाएं और क्या करें. अब उन्हें पिछड़ों के आरक्षण की चिंता नहीं है. अगर ऐसा है तो भाजपा से इसे लागू कराकर दिखाएं.
ओमप्रकाश राजभर सिर्फ अपने फायदे के लिए भाजपा के पाले में गए हैं. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन्हें बहुत सम्मान दिया. विधानसभा चुनाव में उन्होंने जो टिकट बताएं वह टिकट भी दिए गए, उनकी हर बात को माना गया. लेकिन, उनकी वह अपनी आदत से मजबूर हैं. इसीलिए पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और दलितों का नुकसान करने वाली भाजपा से वह मिल गए हैं.
इस बीच कहा जा रहा है कि ओमप्रकाश राजभर ने अमित शाह के सामने लोकसभा चुनाव में कुल तीन सीटों की मांग रखी है. इनमें दो सीटें यूपी में और एक सीट बिहार में मांगी है. हालांकि बिहार में सीट देने को लेकर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है. लेकिन, यूपी में दो सीट देने पर लगभग सहमति बन गई है. इनमें गाजीपुर और घोसी सीट शामिल हैं.
ओमप्रकाश राजभर ने अमित शाह के सामने यह भी शर्त रखी है कि दोनों सीटें वह अपने सिंबल ही चुनाव लड़ेंगे. सूत्रों के मुताबिक राजभर ने गाजीपुर सीट से अपने छोटे पुत्र अरुण राजभर को चुनाव लड़ाने का भी प्रस्ताव भी अमित शाह को दिया है. कहा जा रहा है कि राजभर ने अमित शाह के सामने यह भी शर्त रखी है कि यदि बिहार में सीट देने की स्थिति नहीं बनती है तो फिर यूपी में चंदौली या आजमगढ़ की लालगंज सीट में से कोई एक सीट सुभासपा को दिया जाए. हालांकि इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं हो पाया है.