अयोध्या: पीएम नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में बने महर्षि वाल्मीकि इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन किया. इस इंटरनेशनल एयरपोर्ट का वास्तु और डिजाइन बेहद खास है. यह दो साल की मेहनत के बाद तैयार हुआ है. लगभग 821 एकड़ में फैले एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स के हिसाब से बनाया गया है. इसके लिये 2200 मीटर का रनवे तैयार किया गया है. इस एयरस्ट्रिप पर बोइंग 737, एयरबस 310 और एयरबस 320 जैसे विमान भी सुरक्षित लैंड कर सकेंगे.
अयोध्या में बने इंटरनेशनल एयरपोर्ट की खासियत उसका बाहरी डिजाइन श्रीराम मंदिर से प्रेरित है. इसका टर्मिनल भी भव्यता का ऊंचाइयों को छू रहा है. यहां राम कथा को भी दर्शाया गया है. इसे नागर शैली में बनाया गया है. जो उत्तर भारतीय शैली है. आर्किटेक्ट विपुल वाष्णेर्य हैं. एयरपोर्ट के मुख्य भवन में सात शिखर हैं. मुख्य शिखर बीच में और आगे-पीछे तीन-तीन शिखर हैं. बाहर श्री राम के प्रतीक के रूप में बड़ा सा तीर धनुष बनाया गया है. इसके अलावा अंदर हनुमान जी का बड़ा म्यूरल है. इस एयरपोर्ट की कुल लागत 1450 करोड़ रुपये है. यहां बोइंग भी लैंड कर सकता है.
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एयरपोर्ट की आर्किटेक्ट विपुल वाष्णेर्य के अनुसार महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट में रामकथा की झलक है. प्रयास किया गया है कि जो भी अयोध्या आए उसे महसूस हो कि वह राम नगरी में आए हैं. इस एयरपोर्ट में उत्तरी भारत की शिल्प शैली नागर का इस्तेमाल किया गया है. श्रीराम मंदिर से एयरपोर्ट के डिजाइन की प्रेरणा ली गयी है. इसके शिखर श्री राम मंदिर की तरह ही बड़े से छोटे होते चले गये हैं. कुल सात शिखर बनाए गये हैं इसमें बीच में बड़ा शिखर और तीन-तीन छोटे शिखर आगे व पीछे बने हैं. इस एयरपोर्ट पर श्रीराम के चरित्र, जीवन दर्शन, मर्यादा पुरषोत्तम की झलक मिलेगी.
आर्किटेक्ट के अनुसार एयरपोर्ट में जैसे ही प्रवेश करते हैं, सबसे पहले बड़े से धनुष बाण का म्यूरल दिखता है. ये धनुर्धारी राम की झलक दिखलाता है. ये दर्शाता है के असत्य पर विजय पाने के लिये पुरुषार्थ कितना आवश्यक है. पुरुषार्थ करना हमारा धर्म है, वही हमें श्रीराम सिखाकर गये हैं. इसके अलावा एराइवल और डिपार्चर लाउंज पर सात स्तंभ (पिलर्स) हैं. यह वाल्मीकी रामायण के सात कांड को दर्शाते हैं. इन स्तंभ पर अलग-अलग दैविक और खंडिका पट्टिकाएं हैं. दैविक पट्टिकाएं श्रीराम के जन्म से लेकर किस तरह धर्म को सर्वोच्च स्थान मिला, दिखाती हैं. खंडिका पट्टिका क्षण भंगुर संसार दिखाती है. इसके अलावा द्वारपाल पट्टिका, कमल दल पट्टिका सहित अन्य रामायण के दर्शन को दिखाती हैं.
नव्य भव्य अयोध्या लोगों को लाने का उद्देश्य स्प्रिचुअल टूरिज्म है. यहां जो भी आता है वह राम नगरी का दर्शन करने आता है. यहां पैर रखते ही उसे अलग अनुभूति हो, इसलिये एयरपोर्ट पर अलग-अलग तरह से उकेरा गया है. एयरपोर्ट पर मधुबनी पेटिंग से श्रीराम का विवाहर और दरबार उकेरा गया है. ये तीन फ्लोर ऊंचा है. इसके अलावा एक बड़ा हनुमान जी पर आधारित म्यूरल बनाया गया है. कहा जाता है कि अयोध्या में तब तक पैर नहीं रख सकते, जब तक हनुमान जी की अनुमति न मिली हो. क्योंकि श्रीराम ने हनुमान जी को अयोध्या में ही रहने के लिये कहा था. इस म्यूरल में हनुमान जी के बाल्य काल से लेकर अयोध्या में स्थापित होने तक का पूरा जीवन चरित्र उकेरा गया है.
आर्किटेक्ट विपुल वाष्णेर्य के अनुसार एयरपोर्ट को बनाने के लिये काफी रिसर्च करना पड़ा. साधू-संतो, महंत से बात की गयी. स्कंद पुराण में अयोध्या कांड कुछ अलग है. इसलिये इसको भी पढ़ा गया. इस शोध का परिणाम है कि एक किताब भी विमोचन के लिये तैयार की गयी है. इस एयरपोर्ट की खासबात है के यात्री जैसे ही एयरपोर्ट में पदार्पण करेंगे, यहां पंचतत्व का लैंड स्केपिंग दिखेगी. यह पंच तत्व अलग-अलग रंग की फ्लोरिंग से दर्शाया गया है. बाहर एक कमल दल से निकलता बड़ा फव्वारा बनाया गया है.