मथुरा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को मथुरा पहुंचे. यह किसी प्रधानमंत्री का पहला मथुरा दौरा है. इस दौरान पीएम ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि में कान्हा के दर्शन किये. इसके बाद वह मीराबाई की 525वीं जयंती के कार्यक्रम में शामिल हुए. उन्होंने ब्रजवासियों को अपना परिवार बताया. उन्होंने राधे-राधे और जय श्रीकृष्ण के उद्घोष के साथ अपना संबोधन शुरू किया. इसके बार जय श्रीकृष्ण कहकर भाषण समाप्त किया. इससे पहले उन्होंने संत मीराबाई पर एक डाक टिकट और 525 रुपये के सिक्के को जारी किया.
प्रधानमंत्री ने ब्रजवासियों से कहा कि मैं क्षमा चाहता हूं कि आने में विलंब हुआ. उन्होंने कहा कि मैं राजस्थान में चुनाव के मैदान में था और उस मैदान से अब इस भक्ति के वातावरण में आया हूं. मेरा सौभाग्य है कि मुझे आज ब्रज के दर्शन का अवसर मिला है. बृजवासियों के दर्शन का मौका मिला है क्योंकि यहां वही आता है जिसे श्री कृष्ण और श्रीजी बुलाते हैं. यह कोई साधारण धरती नहीं है यह ब्रज तो हमारे कान्हा और लाडली जी के प्रेम का साक्षात अवतार है.
उन्होंने कहा कि ब्रज की रज में राधा रानी रमी हुई है, यहां के कण-कण में श्रीकृष्ण समाये हुए हैं. इसीलिए हमारे ग्रंथो में कहा गया है कि विश्व की सभी तीर्थ यात्राओं का जो लाभ होता है, उससे भी ज्यादा लाभ अकेले मथुरा और बृज की यात्रा से मिल जाता है. आज ब्रजरज महोत्सव और संत मीराबाई की 525 में जन्म जयंती समारोह के जरिए मुझे एक बार फिर ब्रज में आप सब के बीच आने का मौका मिला है. मैं दिव्य ब्रज के स्वामी भगवान कृष्ण और राधा रानी को प्रणाम करता हूं.
पीएम मोदी ने कहा कि मैं मीराबाई जी के चरणों में भी नमन करते हुए ब्रज के सभी संतो को प्रणाम करता हूं. उन्होंने सांसद हेमामालिनी का भी अभिनंदन किया. पीएम ने कहा कि वह सांसद तो हैं लेकिन ब्रज में वह रम गई हैं. वह न केवल सांसद के रूप में ब्रजरज महोत्सव के आयोजन के लिए पूरी भावना से जुटी हैं बल्कि खुद भी कृष्ण भक्ति में सरोबार हो गयी है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरे लिए इस समारोह में आना एक और वजह से भी महत्वूपर्ण है. उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण से लेकर मीराबाई तक का गुजरात से एक अलग ही रिश्ता रहा है. मथुरा के कान्हा गुजरात जाकर ही द्वारकाधीश बने थे. राजस्थान से आकर मथुरा वृंदावन संत मीराबाई ने अपना अंतिम जीवन द्वारिका में ही बिताया था.मीरा की भक्ति बिना वृंदावन के पूरी नहीं होती है. संत मीराबाई ने वृंदावन भक्ति से अभिभूत होकर कहा था कि जब गुजरात के लोगों को ब्रज में आने का सौभाग्य मिलता है तो हम इसे द्वारकाधीश की ही कृपा मानते हैं. उन्होंने कहा कि मुझे तो मां गंगा ने बुलाया और फिर देश की कृपा से 2014 से ही आपके बीच में आकर आपकी सेवा में लीन हो गया.
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प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रजवासियों को मेरे परिवार जनों कहकर संबोधित किया. उन्होंने कहा कि मीराबाई का 525वां जन्मोत्सव केवल एक संत का जन्म उत्सव नहीं है, यह भारत की संपूर्ण संस्कृति का उत्सव है. यह भारत की प्रेम, परंपरा का उत्सव है. यह उत्सव नर और नारायण में, जीव और शिव में, भक्त और भगवान में संबंधों का उत्सव है.
पीएम ने कहा कि उन्हें संत मीराबाई की स्मृति में सिक्का और डाक टिकट जारी करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है. मीराबाई राजस्थान की उस वीर भूमि में जन्मी थी, जिसने देश के सम्मान और संस्कृति के लिए असीम बलिदान दिए हैं. 84 कोष का यह ब्रजमंडल राजस्थान को जोड़कर बनता है. मीराबाई ने भक्ति समर्पण और श्रद्धा को बहुत ही आसान भाषा और सहज रूप से समझाया था. मीरा के प्रभु गिरिधर नगर सहज मिले अविनाशी रे से इसका पता चलता है.
मीराबाई की श्रद्धा में आयोजित कार्यक्रम हमें भारत की भक्ति के साथ-साथ बलिदान की भी याद दिलाता है. मीराबाई के परिवार ने राजस्थान में अपना सब कुछ झोंक दिया था. हमारी रक्षा के लिए राजस्थान और देश के लोग दीवार बनकर खड़े रहे, ताकि भारत की आत्मा और चेतना को सुरक्षित रखा जा सके. इसलिए आज का यह कार्यक्रम हमें मीराबाई की प्रेम के साथ-साथ उस पराक्रम की परंपरा का भी याद दिलाता है.
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि ब्रज क्षेत्र ने मुश्किल से मुश्किल समय में भी देश को संभाले रखा, लेकिन जब देश आजाद हुआ तो जो महत्व इस पवित्र तीर्थ को मिलना चाहिए था, वो नहीं मिला. जो लोग भारत को उसके अतीत से काटना चाहते थे, भारत की संस्कृति और उसकी आध्यात्मिक पहचान से विरक्त थे, जो आजादी के बाद भी गुलामी की मानसिकता नहीं त्याग पाए, उन्होंने ब्रज भूमि को भी विकास से वंचित रखा. लेकिन अब राम मंदिर की तिथि भी आ गई है. अब वो दिन दूर नहीं जब यहां भगवान कृष्ण के दर्शन और भी दिव्य रूप में होंगे.
पीएम मोदी ने कहा कि भारत हमेशा से नारीशक्ति का पूजन करने वाला देश रहा है. कृष्ण के आगे भी राधा ही लगा है. हमारे देश में महिलाओं ने हमेशा जिम्मेदारियां भी उठाईं और समाज को लगातार मार्गदर्शन भी किया है. मीराबाई इसका भी एक प्रखर उदाहरण रही है. मीराबाई एक पथ प्रदर्शक रही हैं. भगवान श्री कृष्ण और मीराबाई का गुजरात का अलग ही रिश्ता है. उन्होंने ब्रज तीर्थ विकास परिषद की स्थापना पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि अब मथुरा और ब्रज विकास की दौड़ में पीछे नहीं रहेंगे. संतों ने कहा है कि वृंदावन सा वन नहीं, नंदगांव जैसा गांव नहीं और वंशी वट जैसा कहीं वट नहीं.
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