स्वामी प्रसाद मौर्य की बढ़ी मुश्किलें, रामचरितमानस विवाद मामले में पुलिस ने चार्जशीट की दाखिल, पाए गए दोषी
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने बयान में कहा था कि रामचरितमानस में कुछ जातियों को दर्शाते हुए जिस पर अपमानजनक टिप्पणियां की हैं, हम उसका विरोध करते हैं. इसका संज्ञान लेते हुए इसमें जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही प्रतिबंधित कर देना चाहिए.
Lucknow: रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी के मामले में समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की मुश्किलें बढ़ गई हैं. पुलिस ने इस मामले में उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है. पुलिस की चार्जशीट में मौर्य को दोषी पाया गया है.
रामचरितमानस पर की थी प्रतिबंध लगाने की मांग
राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया था. इसका समर्थन करते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी विवादित टिप्पणी की थी. इसमें उन्होंने कहा कि तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, अमर्यादित टिप्पणी हैं, जिन पर हमें आपत्ति है. इस पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे लिखे हैं जिसमें जाति वर्ग विशेष को लेकर अपमानजनक टिप्पणियां की गई हैं. हम इसको धर्म ग्रंथ नहीं मानते क्योंकि तुलसीदास जी ने इसे स्वयं ‘स्वान्त: सुखाय’ यानी निज सुख के लिए लिखने की बात स्वीकार की है.
कुछ जातियों पर अपमानजनक टिप्पणी का लगाया आरोप
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि फिर भी रामचरितमानस में कुछ जातियों को दर्शाते हुए जिस पर अपमानजनक टिप्पणियां की हैं, हम उसका विरोध करते हैं. इसमें वह शूद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं. इसका संज्ञान लेते हुए इसमें जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही प्रतिबंधित कर देना चाहिए. उन्होंने यहां तक कहा कि कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है. यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है.
हजरतगंज पुलिस ने दर्ज की थी एफआईआर
स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर सियासी घमासान मच गया था. भाजपा ने इसे लेकर स्वामी प्रसाद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. वहीं सपा इस मामले से किनारा करते नजर आई. इसके बाद राजधानी लखनऊ के बाजारखाला निवासी शिवेंद्र मिश्रा ने 24 जनवरी को हजरतगंज थाने में स्वामी प्रसाद मौर्य पर आईपीसी की धारा 295 ए, 298, 504 और 153 के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई थी. आरोप था कि 22 जनवरी को वह एक टीवी न्यूज चैनल पर डिबेट सुन रहे थे. इसी दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस पर आपित्तजनक टिप्पणी की. उनके इस आचरण से हिंदू समाज बेहद आहत हुआ है. बयान जाति विभाजित करने और समाज में घृणा फैलाने वाला है. जिन धाराओं में केस दर्ज किया गया था, उसमें सात साल से कम की सजा का प्रावधान था इसलिए पुलिस ने गिरफ्तारी नहीं की.
विवेचना पूरी होने के बाद चार्जशीट दाखिल
हजरतगंज इंस्पेक्टर अखिलेश कुमार मिश्रा ने बताया कि केस की विवेचना के दौरान जो वीडियो बयान था, उसकी जांच कराई गई. इसमें पुष्टि हुई कि बयान आरोपी का ही था. इसी आधार पर उनको एक नोटिस भेजा गया. अब बयान आदि लेने के बाद विवेचना पूरी कर चार्जशीट दाखिल की गई है.