प्रभात गुप्ता हत्याकांड: 23 साल पुराने केस में आज HC सुनाएगा फैसला, केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी हैं आरोपी
लखीमपुर खीरी में सन 2000 में जिला पंचायत चुनाव के दौरान तिकुनिया में बीच बाजार लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नेता प्रभात गुप्ता की गोली मारकर हत्या कर दी थी. मोटरसाइकिल पर सवार चार अज्ञात हमलावर ताबड़तोड़ फायरिंग के बाद फरार हो गए थे. मामले में अजय मिश्र टेनी सहित अन्य आरोपी हैं.
Lucknow: प्रदेश में लखीमपुर खीरी के चर्चित प्रभात गुप्ता हत्याकांड मामले में शुक्रवार को फैसले का दिन है. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी को बरी करने के खिलाफ शुक्रवार को फैसला सुनाया जाएगा. ये फैसला इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच उत्तर प्रदेश सरकार की अपील पर सुनाएगी.
छात्र नेता प्रभात गुप्ता हत्याकांड की सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रखा है. इस हत्याकांड में केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी समेत सुभाष मामा, शशि भूषण पिंकी और राकेश डालू आरोपी हैं.
बीच बाजार में हमलावरों ने की थी हत्या
सन 2000 में जिला पंचायत चुनाव के दौरान तिकुनिया में बीच बाजार लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नेता प्रभात गुप्ता की गोली मारकर हत्या कर दी थी. मोटरसाइकिल पर सवार चार अज्ञात हमलावर ताबड़तोड़ फायरिंग के बाद फरार हो गए थे.
प्रभात और टेनी की बीच थी सियासी रंजिश
प्रभात गुप्ता तिकुनिया के रहने वाले थे. करीब के गांव बनवारीपुर में अजय मिश्र टेनी रहते थे. दोनों के बीच सियासी रंजि थी और आपस में विरोध भी था. प्रभात हत्याकांड के बाद अजय मिश्र टेनी पर हत्या कराने का आरोप लगा. इसके बाद अजय मिश्र टेनी समेत चार लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर होने के कारण जिला जज ने सभी की जमानत खारिज कर दी.
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जिला जज की अदालत में टेनी 2003 को हुए पेश
मामले में 25 जून 2003 को अजय मिश्र टेनी जिला जज चंद्रमा सिंह की अदालत में हाजिर हुए. इसके बाद अभियोजन पक्ष ने उनकी तरफ से सुनवाई के लिए पांच दिन का समय मांगा. लेकिन, उनकी अर्जी नामंजूर कर दी गई. अदालत ने अभियुक्त के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल होने का हवाला दिया.
पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में निचली अदालत कर चुकी है बरी
जिला जज ने अजय मिश्र टेनी की जमानत को कैंसिल कर दिया. हालांकि, उनके दिल का मरीज होने के कारण जेल के बजाय अस्पताल में भर्ती कराने के आदेश दिए. वहीं अगले दिन अपर जिला जज ने अजय मिश्र ट्रेनी की जमानत मंजूर करते हुए रिहा कर दिया. इसके बाद 29 मार्च 2004 को लखीमपुर जिला कोर्ट में सुनवाई होने के बाद 15 मई 2004 को अजय मिश्र टेनी समेत चारों आरोपियों को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया. इस फैसले के खिलाफ वर्ष 2004 में ही हाईकोर्ट में अपील दाखिल की गई.
तीन बार फैसला किया जा चुका है सुरक्षित
अहम बात है कि हाईकोर्ट लखनऊ में तीन बार फैसला रिजर्व किया जा चुका है. सबसे पहले 12 मार्च 2018 को जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और दिनेश कुमार सिंह ने फैसला सुरक्षित रखा. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 10 नवम्बर 2022 को जस्टिस रमेश सिन्हा और रेनु अग्रवाल ने फैसला सुरक्षित किया. वहीं तीसरी बार 21 फरवरी 2023 को जस्टिस अट्टू रहमान मसूदी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा. अब जस्टिस अट्टू रहमान मसूदी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच शुक्रवार को मामले में फैसला सुनाएगी, जिस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं.