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शिक्षकों को देख DG पहले तो गुस्साए फिर फटकारा,अंत में समस्या दूर करने का आश्वासन, फर्जी वालों की लिस्ट वायरल

राज्य में 2018 और 2020 में दो बार ट्रांसफर प्रक्रिया हो चुकी है. इसमें आठ आकांक्षी जिलों को छोड़कर सभी जिला से स्थानांतरण किए गए थे. शिक्षकों का कहना था की आकांक्षी जिला से मात्र 10 फीसदी का तबादला हुआ है लेकिन अन्य अन्य जिलों से तीन बार में करीब 40 फीसदी शिक्षक यह लाभ ले चुके हैं.

By अनुज शर्मा | July 1, 2023 11:08 AM
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लखनऊ. ..रोज ट्रांसफर के लिए चले आ रहे हो. विद्यालय के बच्चे निपुण कर दिए क्या…? शिक्षक संदर्शिका से पढ़ाते हो कि नहीं? … तुम्हारे लिए क्या पूरा जिला ही खाली कर दें ? शुक्रवार पूर्वाह्न करीब साढ़े दस बजे बेसिक शिक्षा विभाग के राज्य परियोजना कार्यालय स्थित महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद के कक्ष में यही सवाल गूंज रहे थे. विभाग के आला हाकिम के इन सवालों के आगे शिक्षक डरे सहमे खड़े थे. अंतर्जनपदीय तबादले की मांग को लेकर आए इन शिक्षकों पर डीजी पहले तो खूब आग बबूला हुए. फटकार भी लगाई लेकिन बाद में उनकी समस्या को सुना. शिक्षकों के निस्तारण पर विचार करने का आश्वासन भी दिया.

स्थानांतरण की 10 फीसदी की सीमा को बढ़ाकर 20 % कराने की मांग

बहराइच ,श्रावस्ती,बलरामपुर , सिद्धार्थनगर, सोनभद्र, फहतेहपुर, चित्रकूट, चंदौली आदि जिलों से बड़ी संख्या में शिक्षक व शिक्षिकाएं वर्तमान में चल रही अन्तर्जनपदीय स्थानांतरण की प्रक्रिया में आकांक्षी जनपदों से स्थानांतरण की 10 फीसदी की सीमा को बढ़ाकर 20 % कराने की मांग को लेकर डीजी विजय किरण आंनद के कार्यालय पहुंचे थे. 26 जून 2023 को शिक्षकों की तबादला सूची जारी होने के बाद शिक्षकों को निदेशालय में मांग पत्र लेकर जाने का सिलसिला लगा हुआ है. शुक्रवार को बड़ी संख्या में शिक्षकों को देख डीजी नाराज हो गए. उनका कहना था कि जब प्रक्रिया पूरी हो गई तो फिर वह परेशान क्यों हो रहे हैं? स्कूलों को निपुण बनाने पर ध्यान केंद्रित क्यों नहीं कर रहे है.

Also Read: एक्शन में ACS दीपक, अब CDO की अध्यक्षता वाली कमेटी की मंजूरी के बाद ही रिलीव होंगे ट्रांसफर लेने वाले शिक्षक शिक्षकों के डरे सहमे चेहरे देखे तो नरम पड़े महानिदेशक

डीजी ने जब शिक्षकों के डरे सहमे चेहरे देखे तो वह कुछ नरम हुए और शिक्षकों से कहा के वह अपनी समस्या बताएं. शिक्षक रामराज गुप्ता, रत्नेश पाल, प्रदीप पाल ,आसिफ खान, प्रज्ञा शुक्ला, सोनल गेरा, प्रतिभा त्रिपाठी , साधना सिंह ,आराधना मिश्रा , सशी मिश्रा ,सुषमा, प्रतिमा पांडेय , ममता मिश्रा, सुभाष पांडेय आदि शिक्षकों ने डीजी स्कूल शिक्षा को बताया कि वर्तमान में चल रही अन्तर्जनपदीय स्थानांतरण की प्रक्रिया में आकांक्षी जनपदों से 10 की बजाय 20 % स्थानांतरण किये जाएं. राज्य में 2018 और 2020 में दो बार की ट्रांसफर प्रक्रिया हुई है. इसमें आठ आकांक्षी जिलों को छोड़कर सभी जिला से स्थानांतरण किए गए हैं. शिक्षकों का कहना था की आकांक्षी जिला से मात्र 10 फीसदी का तबादला हुआ है लेकिन अन्य अन्य जिलों से तीन बार में करीब 40 फीसदी शिक्षक यह लाभ ले चुके हैं.

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शिक्षकों में भारांक को लेकर काफी नाराजगी थी. ‘प्रभात खबर’ से बातचीत करते हुए शिक्षकों ने कहा कि आकांक्षी जिलों से पहले तो ट्रांसफर नहीं हुए, इस बार 10 फीसदी ट्रांसफर हुए भी तो भारांक गलत तरीके से दिए गए. इस बार सर्विस इयर के अंक एक वर्ष के लिए एक निर्धारित किया गया. वहीं असाध्य रोगियों के लिए 20 अंक, सरकारी सेवा में जिनके पति या पत्नी हैं उनको 10 अंक दिए गए. इस तरह सामान्य महिला का स्थानांतरण हुआ ही नहीं है. पॉलिसी की खामी के कारण कहने को यह 10 फीसदी तबादले हैं, वास्तव में देखा जाए तो यह स्पेशल लोगों के तबादले हैं. ऐसे किसी भी शिक्षक और शिक्षका का तबादला नहीं हुआ है जिनके पति बेरोजगार, किसान, व्यापारी हैं. अथवा प्राइवेट नौकरी करते हैं. भारांक के अव्यवहारिक व्यवस्था के कारण दो साल वाले शिक्षक- शिक्षिका का तबादला हो गया लेकिन आठ या इससे अधिक साल सेवा देने वाले सूची में नाम देखते ही रह गए.

ऐसे समझिए भारांक का गणित

बेसिक शिक्षा विभाग की अंतर्जनपदीय स्थानांतरण पालिसी 2023 में सबसे अधिक भारांक (वेटेज) असाध्य रोगियों को 20 अंक का दिया गया है. दिव्यांग , एकल अभिभावक, सरकारी पति- पत्नी वाले शिक्षक और महिला शिक्षक को 10- 10 अंक का वेटेज दिया गया. राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षक को तीन तथा राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिक्षक को पांच अंक का वेटेज मिला. तबादले के लिए वह शिक्षक पात्र माने गए जिनकी सेवा महिला हैं तो दो वर्ष तथा पुरुष हैं तो पांच वर्ष पूरी हो गई है. आकांक्षी जिला बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, सिद्धार्थनगर, फतेहपुर, चित्रकूट, चंदौली और सोनभद्र में 12 साल से कार्यरत शिक्षकों ने भी तबादले के लिए आवेदन किया था.

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पॉलिसी के अनुसार 12 साल से कार्यरत पुरुष शिक्षकों को मात्र 12 अंक मिले वहीं समान सेवा वाली महिला शिक्षकों का भारांक 22 हुआ. इसके विपरीत जिन महिला शिक्षकों की सेवा भले ही दो साल हुई है लेकिन उनके पति यदि सरकारी सेवा में हैं तो उनका भारांक 22 हुआ. यानि दो साल सेवा वाली महिलाएं 11 साल की सेवा दे चुकी महिला से पहले स्थानांतरित हो गईं. सेवा के अलावा यदि किसी पुरुष शिक्षक पर किसी तरह का भारांक नहीं है वह तो खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं.

शिक्षा मंत्री मिले ही नहीं, पुलिस बुला ली
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शिक्षक अपनी समस्या लेकर बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के सरकारी आवास पहुंचे लेकिन मंत्री ने किसी से मुलाकात ही नहीं की. उन्होंने शिक्षकों को संदेश भिजवा दिया कि वह समय लिए बिना आने वालों से मुलाकात नहीं करते. हालांकि मंत्री के आवास पर बड़ी संख्या में शिक्षकों की भीड़ देखकर एक ट्रक पीएसी और कई थानों का फोर्स मौके पर पहुंच गया था. मंत्री से मुलाकात न होने पर शिक्षक निराला नगर स्थित विद्याभारती के स्कूल पहुंचे. यहां आसएसएस के यूपी प्रभारी बैठक कर रहे थे. शिक्षकों को किसी ने बताया था कि आरएसएस के यूपी प्रभारी को यदि समस्या समझा दी गई तो तत्काल समाधान हो जाएगा. यह और बात है कि शिक्षक उनसे मुलाकात नहीं कर सके.

16614 में 6880 को मिला पति की सरकारी नौकरी का लाभ

परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत 45,914 शिक्षक- शिक्षिकाओं ने तबादला के लिए आवेदन किया था. सोमवार को इन शिक्षकों में से 16,614 शिक्षक एवं शिक्षिकाओं का स्थानान्तरण कर दिया गया. विभिन्न श्रेणी में मिले भारांक से बनी मेरिट लिस्ट के आधार पर 12267 शिक्षिका तथा 4,337 शिक्षकों का तबादला हुआ. स्थानांतरित हुए 16,614 शिक्षक एवं शिक्षिकाओं में 1141 असाध्य एवं गम्भीर रोगी , 1122 दिव्यांग तथा 393 एकल अभिभावक को दस अंक का अतिरिक्त लाभ दिया गया. 6880 उन शिक्षक- शिक्षिका को भी दस अंक का लाभ मिला जिनके पति- पत्नी सरकारी सेवा में है. इस श्रेणी में शिक्षक एवं शिक्षिका का तबादला किया गया है.

असाध्य  रोगियों का भौतिक सत्यापन नहीं हुआ

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों को रिलीव करने से पहले मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय कमेटी द्वारा दस्तावेजों का सत्यापन कराया जाएगा. बलरामपुर, श्रावस्ती सहित कई जिलों में फर्जी तरीके से असाध्य रोग दर्शाकर लगातार शिकायतें प्राप्त होने के बाद बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सत्यापन के लिए कमेटी बनाने का निर्देश दे चुके हैं. कई जिलों के बीएसएस ने असाध्य रोगियों का भौतिक सत्यापन नहीं कराने के कारण धांधली के आरोप अधिक लगे हैं. सोशल मीडिया पर लिस्ट वायरल हो रही हैे. हालांकि प्रभात खबर इनकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है.

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मैं, सिद्धार्थनगर के प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत हूं. आप मेरी हालत देख सकते हैं. व्हील चेयर के बिना चल नहीं सकता. दिव्यांग होने के बाद भी मेरा तबादला नहीं किया गया है. मैं, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और डीजी स्कूल शिक्षा से अपील करता हूं कि मेरा स्थानांतरण मेरे गृह जनपद कर दिया जाए. डीजी स्कूल शिक्षा से मिला हूं. डीजी से आश्वासन मिला है आगे क्या होगा मुझे नहीं पता.

दीपक कुमार, दिव्यांग शिक्षक, सिद्धार्थनगर

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लखनऊ से करीब 200 किमी दूर बहराइच जिला के ब्लाक चितौरा स्थित परिषदीय विद्यालय में पत्नी मंजू पाल सहायक अध्यापक हैं. वह कैंसर से लड़ रही हैं. हाल ही में उनके सिर की रेडियोथैरेपी हुई है. हर हफ्ते कीमोथेरेपी चल रही है. बरेली के कैंसर हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है. परिषदीय विद्यालयों के तबादलला नियमावली के अनुसार असाध्य रोगी होने के कारण उनको 20 अंक का भारांक देकर स्थानांतरित करना था लेकिन ऐसा हुआ नहीं. सिस्टम की शिकार वह इकलौती शिक्षिका नहीं हैं.

शेर सिंह पाल, मंजू पाल के पति

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