UP Chunav 2022: प्रियंका गांधी ने योगी सरकार पर तंज, बोलीं-UP की 60 से अधिक विधानसभाओं में कुपोषण के हाल भयावह
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा है, ‘खबरों के अनुसार उप्र में 4 लाख अतिकुपोषित बच्चे हैं (देश में सबसे अधिक) उप्र की 60 से अधिक विधानसभाओं में कुपोषण के हालात भयावह हैं. भाजपा के नेता इन मुद्दों पर बात नहीं करेंगे. उनके भाषणों में नफरत की बातें हैं, बच्चों के लिए न्यूट्रिशन की बात गायब है.’
Lucknow News : उत्तर प्रदेश में साल 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. सभी राजनीतिक दल हर रोज सूबे से जुड़े किसी न किसी मुद्दे पर अपनी राय दे रहे हैं. इसी बीच बुधवार को कांग्रेस महासचिव एवं पार्टी की यूपी चुनाव प्रभारी प्रियंका गांधी ने एक प्रदेश में व्याप्त कुपोषण की समस्या को उठाया है.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा है, ‘खबरों के अनुसार उप्र में 4 लाख अतिकुपोषित बच्चे हैं (देश में सबसे अधिक) उप्र की 60 से अधिक विधानसभाओं में कुपोषण के हालात भयावह हैं. लेकिन, भाजपा के नेता इन मुद्दों पर बात नहीं करेंगे. उनके भाषणों में नफरत की बातें हैं, बच्चों के लिए न्यूट्रिशन की बात गायब है.’
खबरों के अनुसार उप्र में 4 लाख अतिकुपोषित बच्चे हैं (देश में सबसे अधिक)
उप्र की 60 से अधिक विधानसभाओं में कुपोषण के हालात भयावह हैं।लेकिन, भाजपा के नेता इन मुद्दों पर बात नहीं करेंगे। उनके भाषणों में नफरत की बातें हैं, बच्चों के लिए न्यूट्रिशन की बात गायब है। pic.twitter.com/KG8BKNXTZG
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) December 1, 2021
केंद्रीय मंत्रालय ने RTI में किया था खुलासा
बता दें कि केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने जून माह में एक आरटीआई के जवाब में कहा था कि साल 2020 के नवंबर माह तक देशभर में छह महीने से छह साल तक के अनुमानित 9,27,606 गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की पहचान की गई थी. मंत्रालय के अनुसार, इनमें से उत्तर प्रदेश में 3,98,359 और बिहार में 2,79,427 कुपोषितों के आंकड़े जारी किए गए थे.
क्या है कुपोषण की परिभाषा?
यही नहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) गंभीर तीव्र कुपोषण (एसएएम) को बहुत कम वजन-ऊंचाई या 115 मिमी से कम मध्य-ऊपरी बांह की परिधि या पोषण संबंधी एडिमा की उपस्थिति से परिभाषित करता है. सैम से पीड़ित बच्चों का वजन उनके कद के हिसाब से बहुत कम होता है और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण बीमारियों के मामले में उनके मरने की संभावना नौ गुना अधिक होती है.
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