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HOW TO : फूल बंगले में विराजीं राधाजी की प्रधान सखी, राधा अष्टमी की जानें, तिथि, समय, पूजा, अनुष्ठान और महत्व

राधा अष्टमी का हिंदुओं में बहुत महत्व है. इसी शुभ दिन पर राधा रानी का जन्म हुआ था. इस दिन को राधा रानी के भक्तों द्वारा बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है.

By अनुज शर्मा | September 22, 2023 4:05 PM
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राधा अष्टमी 2023: राधा अष्टमी का त्योहार हिंदुओं के सबसे महत्वपूर्ण और शुभ त्योहारों में से एक माना जाता है. यह दिन पूरी तरह से देवी राधा रानी को समर्पित है. इस दिन को राधा रानी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. राधा रानी का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था. यह दिन 23 सितंबर 2023 को मनाया जाने वाला है.

राधा अष्टमी तिथि और समय

अष्टमी तिथि आरंभ – 22 सितंबर 2023 – 01:35 अपराह्न

अष्टमी तिथि समाप्त – 23 सितंबर, 2023 – दोपहर 12:17 बजे

मध्याह्न समय – 23 सितंबर 2023 – सुबह 10:26 बजे से दोपहर 12:52 बजे तक

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यह है राधा अष्टमी का महत्व

राधा अष्टमी का हिंदुओं में बहुत महत्व है. इसी शुभ दिन पर राधा रानी का जन्म हुआ था. इस दिन को राधा रानी के भक्तों द्वारा बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है. राधा अष्टमी का त्यौहार भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव, जन्माष्टमी के त्यौहार के ठीक 15 दिन बाद आता है. किंवदंतियों के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि राधा जी देवी लक्ष्मी का अवतार थीं. वह भगवान कृष्ण की प्रेमिका थीं. देवी राधा 5000 साल पहले मथुरा में स्थित बरसाना गांव में पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं. ऐसा माना जाता है कि वह वृषभानु और कीर्ति की गोद ली हुई बेटी थीं. राधा अष्टमी को राधा जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन को उत्तर भारत के राज्यों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है.

राधा अष्टमी 2023: उत्सव

राधा अष्टमी का त्यौहार एक बड़े व्यापक पैमाने पर मनाया जाता है क्योंकि लोग घरों में कीर्तन और भजन का आयोजन करते हैं. भारत के उत्तरी भाग में राधा रानी का जन्मोत्सव अत्यधिक भक्ति और अत्यधिक भव्यता के साथ मनाया जाता है. सभी राधा कृष्ण मंदिरों को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है, विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. राधा अष्टमी की पूर्व संध्या पर इस्कॉन मंदिरों में भव्य उत्सव आयोजित किया जाता है. राधा रानी के जन्मस्थान को गुब्बारों, रोशनी, रंग-बिरंगे तंबू और विभिन्न प्रकार के फूलों से सजाया गया है. वह अमर प्रेम और भक्ति का सबसे बड़ा उदाहरण हैं.

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राधा कृष्ण का प्रेम और बंधन पवित्रता और पवित्रता का एक महान उदाहरण है. वे दो अलग-अलग संस्थाएं नहीं हैं बल्कि उन्हें हमेशा एक आत्मा माना जाता है. जो भक्त इस शुभ दिन पर राधा जी की पूजा करते हैं, उन्हें सभी सांसारिक सुखों और खुशियों का आशीर्वाद मिलता है. न केवल राधा जी बल्कि भगवान कृष्ण भी उन्हें अच्छे स्वास्थ्य, धन और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. राधा अष्टमी के इस शुभ दिन पर भक्त देवी राधा की पूजा करते हैं. वे व्रत रखते और भजन-कीर्तन करते. अधिकांश लोग राधा जी का जन्मोत्सव बड़े-बड़े आयोजन करके मनाते हैं.

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राधा अष्टमी 2023: पूजा अनुष्ठान

1. भक्त सुबह जल्दी (ब्रह्म मुहूर्त) उठते हैं और पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले पवित्र स्नान करते हैं. 2. पूजा कक्ष को साफ करें और एक लकड़ी का तख्ता लें.

3. राधा कृष्ण की मूर्ति लें और पंचामृत से स्नान कराएं.

4. मूर्तियों को फूल, वस्त्र, आभूषण से सजाएं.

5. उन्हें एक तख्त पर रखें और देसी घी का दीया जलाएं, भोग प्रसाद, फल और मिठाई चढ़ाएं.

6. देवी राधा रानी को श्रृंगार का सामान चढ़ाएं और आशीर्वाद लें.

7. मंत्र और स्तोत्र का पाठ करें और आरती करें. राधा गायत्री मंत्र का जाप अत्यधिक फलदायी माना जाता है.

8. मंदिर जाएं और देवी राधा की पूजा करें.

9. व्रत रखने वाले शाम को देवी को भोग प्रसाद चढ़ाने के बाद अपना व्रत खोल सकते हैं.

10. भोग प्रसाद को परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और दोस्तों में बांट दें.

इन मंत्रों का करें जाप

1. ॐ ह्रीं राधिकाये नमः..

2. ॐ ह्रीं श्रीं राधिकाये नमः..

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राधारानी के जन्म से पहले उनकी प्रधान सखी का जन्मोत्सव

राधारानी के जन्म से पहले उनकी प्रधान सखी ललिताजी का जन्मोत्सव उनके पैतृक गांव व अष्ट सखी गांवों में धूमधाम के साथ मनाया गया. जन्म अभिषेक के बाद ललिताजी के विग्रह को फूल बंगले में विराजमान कर छप्पन भोग लगाए गए. समूचा ब्रज मंडल भद्रपद की षष्ठी को मंगल गीतों व बधाई गीतों से गूंजने लगा. राधा जन्म से एक दिन पहले उनकी प्रधान सखी ललिताजी का जन्मोत्सव उनके पैतृक गांव ऊंचागांव, बरसाना व अष्टसखी गांवों में वेद मंत्रों के सस्वर उच्चारण कर जन्मोत्सव, दोपहर 12 बजे आटोर पर्वत स्थित ललिताजी मंदिर में मनाया गया. सेवायत नारायण भट्ट के वंशज ललिताजी मंदिर के महंत कृष्णानन्द भट्ट, दिलीप महाराज, लोनजी महाराज, के साथ उनके सहयोगियों ने ललिताजी के विग्रह को गर्भ गृह के बहार निकाल कर घंटे घड़ियाल की धुन पर पंचामृत से अभिषेक दर्शन कराए तो समूचा ललिताजी का मंदिर ललिताजी के जयकारे व राधा रानी के जयकारे से गुंजायमान हो उठा.

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जन्म दर्शनों के बाद ललिताजी के विग्रह को फूल बंगले में विराजमान कर छप्पन भोग आरोगे गए. भक्तों ने अपनी आराध्य ललिताजी के मनमोहक दर्शन कर अपने आप को धन्य किया. इससे पहले सुबह दस बजे मंदिर परिसर में नन्दगोपाल सखी के द्वारा ढांडी लीला व ललिताजी जी की वंशावली सुनाई गई. इस दौरान गुर्जर समाज की महिलाओं का नृत्य लोकगीतों पर आकर्षण का केंद्र रहा. इसके बाद मंदिर परिसर में आये भक्तों को नगर पंचायत चेयरमैन प्रतिनिधि पद्म फौजी ने भंडारा प्रसाद खिलाया गया.

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