राहुल गांधी ने यूपी में ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ का समय घटाया, इस कारण से लिया यह फैसला

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की नेतृत्व में निकाली जा रही भारत जोड़ो न्याय यात्रा का यूपी में रहने का समय बोर्ड परीक्षाओं को चलते घटा दिया गया है. अब यह यात्रा 11 दिन के बजाय 6 दिन ही प्रदेश में रहेगी.

By Sandeep kumar | February 12, 2024 10:58 AM
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लोकसभा चुनाव का ऐलान होने से पहले देश की सभी राजनैतिक पार्टियां अपना प्रचार-प्रसार शुरू कर दी हैं. इसी क्रम में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की अगुवाई में भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाली जा रही है. यह यात्रा 16 फरवरी को चंदौली के नौबतपुर से उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश करेगी. 17 फरवरी को वाराणसी पहुंचेगी. इस दौरान वे काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन के लिए भी पहुंच सकते हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश में बोर्ड परीक्षाओं को देखते हुए भारत जोड़ो न्याय यात्रा का समय घटा दिया गया है. उत्तर प्रदेश में अब यह यात्रा 11 दिन के बजाय 6 दिन ही रहेगी. कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने सोमवार को एक बयान जारी कर बताया कि राहुल गांधी ने यूपी बोर्ड की परीक्षाओं और छात्र-छात्राओं के हितों को देखते हुए राज्य में अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा का समय घटा दिया है. उन्होंने बताया कि यूपी में पहले यह यात्रा 16 जनवरी से 26 फरवरी तक होनी थी लेकिन आगामी 22 फरवरी को शुरू हो रही उत्तर प्रदेश बोर्ड की परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए अब यह 21 फरवरी तक ही इस राज्य में रहेगी. उन्होंने कहा कि संवेदनशीलता की मिसाल पेश करते हुए राहुल गांधी ने कई मौकों पर जनहित को प्राथमिकता पर रखा. वह इससे पहले भी कोरोना काल में लोगों की परवाह करते हुए बंगाल में अपनी रैलियां निरस्त कर चुके हैं. अवस्थी ने बताया कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा आगामी 16 फरवरी को वाराणसी से उत्तर प्रदेश में प्रवेश करेगी और भदोही, प्रयागराज और प्रतापगढ़ के रास्ते 19 फरवरी को अमेठी पहुंचेगी. राहुल अमेठी लोकसभा क्षेत्र के गौरीगंज में जनसभा को संबोधित करेंगें. उन्होंने बताया कि यात्रा 20 को रायबरेली और लखनऊ पंहुचेगी. लखनऊ में रात को विश्राम होगा. अगले दिन यह यात्रा उन्नाव पहुंचेगी, यहां शुक्लागंज होते हुए कानपुर में प्रवेश करेगी. कांग्रेस प्रवक्ता ने बताया कि यात्रा कानपुर से हमीरपुर होते हुए झांसी पहुंचकर उसी दिन मध्य प्रदेश में दाखिल हो जाएगी.

लोकसभा चुनाव की तैयारियों में समय नहीं मिल पा रहा

कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी की यात्रा के दौरान पूरी टीम यात्रा के संबंध में होने वाले कार्यक्रमों में समय दे रही है. ऐसे में लोकसभा चुनाव की तैयारी को समय नहीं मिल पा रहा है. चुनाव को लेकर कांग्रेस की इंटरनल बैठकें और समीक्षा के साथ-साथ प्रत्याशियों की चयन की प्रक्रिया होनी है. उसमें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी समय नहीं दे पा रहे हैं. यहीं नहीं राहुल गांधी भी चुनाव की तैयारियों में समय नहीं पा रहे हैं. वहीं यूपी प्रदेश अध्यक्ष अजय राय का कहना है कि कहा है कि 22 फरवरी को बोर्ड परीक्षा शुरू हो रही है. इसके कारण भारत जोड़ो यात्रा के यूपी में दिन कम कर दिए गए हैं. परीक्षा शुरू होने से यात्रा रूट पर पड़ने वाले स्कूल-कॉलेजों में ठहरने का प्रबंध नहीं हो पा रहा है. जो स्थान मिल रहे हैं, वे यात्रा रूट से दूर हैं.

नीतीश कुमार के बाद आरएलडी का गंठबंधन छोड़ना बड़ी वजह

बिहार में सबसे मजबूत माने जाने वाले नीतीश कुमार अचानक इंडिया गठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए गठबंधन में शामिल हो गए. नीतीश कुमार से इंडिया गठबंधन को हुए नुकसान और समीकरण को जब तक कांग्रेस समझ पाती. तब तक पश्चिमी यूपी के सबसे मजबूत माने जाने वाले राष्ट्रीय लोकदल ने भी इंडिया गठबंधन अलग होने का फैसला कर लिया है. यही नहीं आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने साफ कर दिया कि वह एनडीए के साथ गठबंधन में जा रहे हैं. बता दें कि बिहार के बाद उत्तर प्रदेश में भी इंडिया गठबंधन के कमजोर होने के साथ ही सीट बंटवारे का फैसला भी अब उलझ गया है. अखिलेश यादव ने जहां एक तरफ 11 सीट कांग्रेस को देने का फैसला किया है तो वहीं दूसरी तरफ 7 सीट राष्ट्रीय लोकदल देने का ऐलान करने वाले समाजवादी पार्टी को भी इंडिया गठबंधन में बड़ा झटका लगा है. ऐसे में राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का समय जो पहले अप्रैल तक था, अब ये समय कम कर दिया गया है.

चुनाव की तारीख के ऐलान होने का समय भी है वजह

लोकसभा चुनाव 2024 के ऐलान में अब करीब एक महीने का ही वक्त बचा है. इस वजह से भी राहुल गांधी की यात्रा का समय कम किया गया है. माना जा रहा है कि चुनाव आयोग की टीमों ने आंध्र प्रदेश का दौरा कर लिया है और वहां चुनाव की तैयारियों का जायजा लिया है. अब तक मिली जानकारी के अनुसार आयोग की टीमें मार्च के पहले सप्ताह तक सभी राज्यों में तैयारियों को परख लेगी. उसके बाद मार्च के ही दूसरे सप्ताह में चुनाव की तारीख का ऐलान हो जाएगा. चुनाव आयोग के ऐलान के कम से कम 28 दिन बाद ही चुनाव की शुरुआत हो सकती है. इस तरह पहले चरण का मतदान भी अप्रैल के दूसरे सप्ताह तक होने की संभावना जताई जा रही है. चुनाव का यह पूरा कैलेंडर कमोबेश 2019 के आम चुनाव जैसा ही होगा, तब निर्वाचन आयोग ने 10 मार्च को इलेक्शन का ऐलान किया था और 24 मई को प्रक्रिया समाप्त हो गई थी. राज्यों में जाकर सुरक्षा व्यवस्था समेत कई पहलुओं का जायजा चुनाव आयोग की टीमें लेती हैं. उसके बाद जब तैयारियों को परख लिया जाता है तो फिर प्रक्रिया शुरू की तैयारी होती है.

कांग्रेस के नेतृत्व करने में कमी के कारण भी सहयोगियों ने साथ छोड़ा

आरएलडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शाहिद सिद्दकी तो बीजेपी नेताओं को कांग्रेस नेताओं के मुकाबले ज्यादा प्रोफेशनल बता रहे हैं. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि कांग्रेस इंडिया गठबंधन में नेतृत्व करने में कमी है. इसलिए छोटे दलों का मोह भंग होता जा रहा है. शाहिद सिद्दीकी ने अभी 28 जनवरी को अपने ट्वीट में लिखा था कि कांग्रेस का सबसे बड़ा दुश्मन उसके नेतृत्व का अहंकार है. गांधी परिवार के बारे में भूल जाइए, इसके दूसरे, तीसरे पायदान के नेता इतना अहंकारी है कि उनसे संपर्क करना मुश्किल हो जाता है. दूसरी ओर भाजपा में कोई अहंकार नहीं है वह अपने सबसे बड़े दुश्मनों से समझौता करने में देर नहीं करती है.

बसपा को साथ लाने की कोशिश फिर शुरू

राष्ट्रीय कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि राष्ट्रीय लोकदल का साथ छोड़ना और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के अलग होने के बाद एक बार फिर से बहुजन समाज पार्टी के प्रमुख मायावती से कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के द्वारा संपर्क करने की कोशिश की जा रही है. कांग्रेस की शीर्ष नेतृत्व के द्वारा एक बैठक करके उत्तर प्रदेश के नेताओं को बहुजन समाज पार्टी के नेताओं से संपर्क और उनकी प्रमुख के बारे में बयान बाजी न किए जाने का भी सख्त निर्देश जारी किया गया है. कांग्रेस के एक नेता ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि अगर बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती हम लोगों के इंडिया गठबंधन में साथ आती हैं तो उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश में हम और मजबूती के साथ चुनाव लड़ेंगे. माना जा रहा है कि कांग्रेस और बीएसपी के साथ आने पर कांग्रेस समाजवादी पार्टी के प्रमुख और जिम्मेदार नेताओं से बातचीत भी करेगी. लेकिन दूसरी तरफ चर्चाएं यह भी है कि बीएसपी के संपर्क होने तक कांग्रेस दूसरी पार्टियों के लिए किसी भी तरीके का कोई राजनीतिक बयान नहीं देना चाहती.

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